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MP निकाय चुनाव: CPIM ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, “प्रशासन के नियम आम आदमी के लिए करेंगे मुश्किल”

माकपा ने चुनाव आयुक्त को पत्र लिखकर कहा- प्रशासन के मनमाने आदेश आम नागरिक के चुनाव लड़ने में बाधा डाल रहे हैं।
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मध्य प्रदेश में पंचायत और नगर निकाय चुनावों की प्रक्रिया शुरू हो गई है। चुनाव दो चरणों में होंगे। पहला चरण 6 जुलाई और दूसरा चरण 13 जुलाई को होगा। हालाँकि इस प्रक्रिया के साथ ही विपक्ष ने सवाल उठाने शुरू कर दिया। वामपंथी दल भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) यानी माकपा ने चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा और कहा प्रशासन के मनमाने आदेश आम नागरिक के चुनाव लड़ने में बाधा डाल रहे हैं। माकपा ने इन मनमाने और मौखिक आदेशों पर अंकुश लगाकर चुनाव प्रक्रिया को सरल और सुलभ बनाने की मांग राज्य निर्वाचन आयुक्त से की है।
 
राज्य निर्वाचन आयुक्त बीपी सिंह ने बीते बुधवार को प्रेसवार्ता की और बताया कि राज्य के कुल 347 निकायों में चुनाव होंगे। पहले चरण में 133 और दूसरे चरण में 214 निकायों के लिए मतदान होगा। प्रदेश में 19,977 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। मतदान के लिए 87,937 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। चुनाव ईवीएम के जरिए कराए जाएंगे। मतदान का समय सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक होगा।

पहले चरण में 6 जुलाई को चुनाव होना है। जिसमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, खंडवा, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, उज्जैन, सागर, सिंगरौली और सतना ज़िले शामिल है।   

वहीं दूसरे चरण में 13 जुलाई को मतदान है। इसमें कटनी, रतलाम, देवास, रीवा और मुरैना का क्षेत्र शामिल है। इस बार चुनाव लड़ने को लेकर चुनाव आयोग ने कई सारी शर्ते रख दी है और इसके अलावा स्थानीय प्रशासन भी कई नियम अपने स्तर पर बना रहा है।  जिसको लेकर सावला उठ रहे है। 

माकपा के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने राज्य निर्वाचन आयुक्त को पत्र लिख कर कहा है कि मुरैना सहित कुछ जिलों में प्रत्येक प्रत्याशी और उसके प्रस्तावक को 30-30 हजार रुपए जमानत राशि जमा करवाने के लिए कहा जा रहा है, जबकि निर्वाचन आयोग का ऐसा कोई आदेश नहीं है। आश्चर्य की बात यह है कि यह राशि पुलिस थाने में एक कच्ची रसीद देकर जमा करवाई जा रही है। प्रत्याशी और प्रस्तावक से कहा जा रहा है कि यदि आपने चुनाव में अशांति फैलाई तो यह राशि जब्त कर ली जाएगी। उल्लेखनीय है कि यह राशि पूरे प्रदेश में नहीं वसूली जा रही है।

माकपा राज्य सचिव ने अपने पत्र में निर्वाचन आयुक्त से कहा है कि इससे गरीब और ईमानदार प्रत्याशी चुनाव प्रक्रिया से बाहर हो जाएंगे। सारा चुनाव दबंगों का अखाड़ा बनकर रह जाएगा, क्योंकि उनके पास न तो पैसे की कोई कमी है और न ही 30 हजार रुपए की भर्ती उनके लिए मायने रखती है। माकपा ने इस गैर कानूनी और जनविरोधी आदेश को रोकने के लिए पहल करने का अनुरोध राज्य निर्वाचन आयुक्त से कहा है ताकि आम नागरिक भी चुनाव में भागीदारी कर सके।

जसविंदर सिंह ने पंचायत चुनावों में जाति प्रमाण पत्र न होने पर प्रत्याशी के शपथ पत्र को ही जाति प्रमाण पत्र मानने लेने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा है कि नगर निकायों में प्रत्याशियों से फ्रेश जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए कहा जा रहा है। जाति प्रमाण पत्र की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि वह आसानी से नहीं बन पाएगा। जिससे आरक्षित वर्गों के प्रत्याशियों को नामांकन दाखिल करने में असुविधा होगी और वह चुनाव प्रक्रिया से ही बाहर हो जाएंगे।
 
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि एक चुनाव के लिए दो प्रक्रिया कैसे हो सकती हैं? यदि पंचायत चुनावों के लिए शपथ पत्र ही पर्याप्त है तो फिर नगर निकाय चुनावों में भी शपथ पत्र को ही प्रमाणित दस्तावेज मान लेना चाहिए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने निर्वाचन आयुक्त से मांग की है कि वे हस्तक्षेप कर प्रत्याशियों से गैर कानूनी तौर पर वसूली जाने वाली राशि पर रोक लगाएं और जाति प्रमाण पत्र के मामले में भी पंचायत चुनावों की तरह नगरीय निकायों में भी शपथ पत्र को ही मान्य करें।

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