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MSP: तीसरी वार्ता भी फेल, रविवार को फिर बैठक, किसान आंदोलन जारी रहेगा, ग्रामीण भारत बंद आज

किसान आंदोलन हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा व्यापक रूप लेता दिख रहा है। इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्चा ने आज शुक्रवार को 'ग्रामीण भारत बंद' का आह्वान किया है। मोर्चा ने किसान-मजदूरों से आह्वान किया गया है कि एक दिन के लिए अपना काम बंद रखें। कई ट्रेड यूनियन से लेकर ट्रक ड्राइवर भी इस बंद का हिस्सा बनने जा रहे हैं। जगह-जगह चक्का जाम की तैयारी है। साथ ही भारत सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति के तहत कई अन्य किसान संगठन भी मैदान में उतरना शुरू हो गए हैं। किसान नेताओं राजेवाल, चढूनी, टिकैत आदि ने भी अपने अपने विरोध कार्यक्रमों का ऐलान कर दिया है। दरअसल, किसानों और सरकार के बीच गुरुवार देर रात तक चली तीसरे दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। रविवार को फिर बैठक होगी।
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फाइल फ़ोटो।

तीन केंद्रीय मंत्रियों केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गुरुवार को चंडीगढ़ में प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के नेताओं के साथ तीसरे दौर की बातचीत की। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान भी इस बैठक में शामिल हुए। हालांकि देर रात करीब डेढ़ बजे तक चली बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका है और अब रविवार को अगली बैठक होगी। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने वाले कानून सहित करीब एक दर्जन मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बैठक में एमएसपी पर सरकार के अपने तर्क थे तो किसानों के अपने। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बैठक के दौरान केंद्र ने जोर देकर कहा कि कई फसलों पर पहले से ही एमएसपी दी जा रही है। इस बात पर भी जोर दिया गया कि हरियाणा और पंजाब के किसानों को तो गेहूं और धान पर पहले से ही एमसपी मिल रही है। लेकिन किसान अपनी मांग पर अड़े रहे कि एमएसपी को कानूनी गारंटी मिलना जरूरी है। हालांकि बैठक समाप्त होने के बाद केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने मीडिया से कहा कि, बहुत ही अच्छे माहौल में बात हुई है, सकारात्मक बात हुई है। किसान संगठनों ने जिन विषयों पर ध्यान दिलाया है उस पर विस्तार से चर्चा करते हुए अगली मीटिंग रविवार शाम 6 बजे तय की है। इस दौरान हम समाधान ढूंढेंगे।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मीडिया से कहा कि, एक हफ्ते में किसानों के साथ केंद्र सरकार की तीसरी मीटिंग हुई है। बहुत लंबी-चौड़ी बातचीत हुई है। पंजाब का मुखिया होने के नाते अपने लोगों के लिए यहां पर आया। उन्होंने कहा कि, हर विषय पर विस्तृत और सकारात्मक बातचीत हुई है। मान ने कहा कि, संगरूर, पटियाला और फतेहगढ़ साहिब में केंद्र सरकार ने हमारा इंटरनेट बंद करवा दिया। बच्चों के पेपर थे, ऑनलाइन पढ़ाई होती है। हमने उनसे पूछा कि आपने हमारे यहां इंटरनेट क्यों बंद किया, हमारे यहां आकर ड्रोन शेलिंग कर देता है, यह सब बर्ताव मत करो। मुख्यमंत्री ने कहा, कई विषयों पर बहुत सहमति बनी है, बाकी पर भी बन जाएगी। हमने केंद्र सरकार से आश्वासन लिया है। हरियाणा सरकार से बात करो और शांति रखो। किसान संगठनों से भी आश्वासन लिया है कि शांति रखो और उन्होंने शांति रखी है। रविवार को अगली बैठक होगी।
 

किसान संगठनों ने आश्वासन दिया है शांतिपूर्वक आंदोलन चलेगा। किसान नेता सरवन पंढेर ने कहा कि, हमने कहा है कि हम मुद्दों पर चर्चा ही ना करते रह जाएं, समाधान भी निकालना चाहिए। तो उन्होंने कहा कि हमको समय चाहिए। MSP पर काफी लंबी चर्चा चली है। हमने कहा जिस तरह से आप सोशल मीडिया पेज बंद कर रहे हो, इंटरनेट बंद कर रहे हो और जब हम सरकार से मिल रहे हैं और शांतिपूर्वक बोल रहे होते हैं तो हमारे ऊपर शेलिंग करते हो। अर्ध सैनिक बलों ने हमारे ऊपर जो भी कार्रवाई की हमने उसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि, हम चाहेंगे कि आने वाले समय में सुखद हल निकले और टकराव से बचा जाए। सरकार से जो चर्चा हुई है, उस पर अपने साथियों से चर्चा करेंगे। हमको कहा गया है कि हमारे ट्विटर अकाउंट खोले जाएंगे।

कुछ चैनल चला रहे प्रोपेगेंडा 

उन्होंने कहा कि, दिल्ली जाने का कार्यक्रम जारी है। कुछ चैनल हमारी तस्वीर बिगाड़ रहे हैं और प्रोपोगंडा कर रहे हैं, उनको ऐसा नहीं करना चाहिए। अभी हमारी बातचीत चल रही है इसलिए अभी कोई नतीजा नहीं निकाला जा सकता। जगजीत दल्लेवाल ने कहा कि, हमारी तरफ़ से अभी सीजफायर है। बैठक में किसानों ने उनके ऊपर बड़ी मात्रा में आंसू गैस के गोले छोड़ने, सोशल मीडिया अकाउंट बंद करने और इंटरनेट सेवा बंद करने को पर नाराजगी जताई। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने खाली खोके दिखाए।

इसके साथ ही बैठक में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण पर चर्चा हुई। किसानों की पहले से मांग है कि उनके ऊपर पराली जलाने पर मुकदमे दर्ज न किए जाएं और उनके खेत को रेड एंट्री में ना डाला जाए। जानकारी के अनुसार, किसानों को लखीमपुर खीरी वाली घटना पर भी केंद्र सरकार से एक प्रस्ताव मिला है। उस प्रस्ताव के तहत आंदोलन खत्म होने के सात दिनों के भीतर में मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। दूसरे कई मुद्दों पर भी सरकार ने ऐसे ही किसानों को मनाने की कोशिश की है। लेकिन किसान इस बार झुकने के मूड में नहीं हैं।

उगराहां व धनेर गुट ने रोकी रेल 

आंदोलन कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ हरियाणा पुलिस की कार्रवाई को लेकर पंजाब में कई स्थानों पर किसानों के पटरियों पर बैठने के बाद दिल्ली-अमृतसर मार्ग पर कुछ ट्रेनों को दूसरे मार्गों से गुरुवार को भेजा गया। किसानों ने कई टोल प्लाजा पर धरना भी दिया और अधिकारियों पर यात्रियों से पथकर नहीं लेने के लिए भी दबाव बनाया और कुछ घंटों के लिए कई टोल फ्री कर दिए। भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) और बीकेयू डकोंदा (धनेर) ने पंजाब में कई जगहों पर चार घंटे के लिए रेल रोको का आह्वान किया था।

भारत बंद आज, क्या रहेगा प्रोग्राम

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार और किसानों की बैठक में MSP पर पेंच फंसा है। किसान MSP के मुद्दे पर समझौते को तैयार नहीं हैं। किसान लगातार मांग कर रहे हैं कि उनको MSP गारंटी कानून दिया जाए। जबकि अभी तक केंद्र सरकार यह कहती रही है कि इस मुद्दे पर और चर्चा की जरूरत है और वह एक समिति बनाकर इस मुद्दे का हल निकालने की ही बात को दोहराती रही है। इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा भी मैदान में उतर गया है। एसकेएम ने आज शुक्रवार को ग्रामीण भारत बंद का आह्वान किया हुआ है जिसके साथ ही किसान आंदोलन हर बीतते दिन के साथ और ज्यादा व्यापक रूप लेता दिख रहा है। कई ट्रेड यूनियन से लेकर ट्रक ड्राइवर भी इस बंद का हिस्सा बनने जा रहे हैं। जगह-जगह चक्का जाम करने की तैयारी है और दबाव भारत सरकार पर बनाना है। तीसरी वार्ता में भी क्योंकि कोई नतीजा नहीं निकला है, इस वजह से आंदोलन अब और ज्यादा आक्रमक होने जा रहा है।

बड़ी बात ये है कि अभी तक तो सिर्फ हरियाणा और पंजाब के ही किसान विरोध प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे थे, लेकिन अब कई किसान संगठन साथ में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे हैं, यानी कि सभी किसान एकजुट होकर सरकार पर दबाव बनाने जा रहे हैं। इस बंद को क्योंकि ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन हासिल है, इस वजह से सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक सभी कृषि कार्यों पर रोक रहने वाली है। इसके ऊपर गांव की जो दुकाने हैं, बाजार हैं, उन्हें भी बंद रखा जाएगा। इसके साथ-साथ दोपहर 12 बजे से शाम चार बजे तक देश की सभी बड़ी सड़कों पर चक्का जाम की तैयारी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों की तरफ से जोर देकर कहा गया है कि चक्का जाम के दौरान आपातकालीन सेवाओं को नहीं रोका जाएगा। शादी की बारात से लेकर एंबुलेंर को हरी झंडी दिखाई जाएगी। इसके साथ-साथ परीक्षा देने वाले छात्रों को भी आगे जाने की अनुमति रहेगी। ये भी साफ कर दिया गया है कि हाइवे को बंद नहीं किया जा रहा है, ऐसे में इस बंद का असर ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा देखने को मिलने वाला है। इस बंद को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत भी खासा उत्साहित हैं। वे मानकर चल रहे हैं कि इससे पूरे देश को एक बड़ा संदेश जाएगा। वे कहते हैं कि हमने 'ग्रामीण भारत बंद' के बारे में बात की है- कि किसान आज अपने खेतों में न जाएं। यह आज एक बड़ा संदेश देगा... इस आंदोलन की एक नई विचारधारा है, एक नई पद्धति है। हाईवे बंद नहीं होंगे, बैठकें जारी रहेंगी और हम वहीं निर्णय लेंगे... 17 फरवरी को सिसौली में होगी मासिक पंचायत... MSP पर हमारी मांग तो है लेकिन पंजाब और हरियाणा में जो घटनाएं हो रही हैं, उस पर रणनीति बनानी होगी- हमें ऐसी उम्मीद है। हमने कहा है कि इसके लिए भीड़ के रूप में इकट्ठा न हों... जहां तक बंद का सवाल है, हमने लोगों से स्वेच्छा से भाग लेने का आग्रह किया है।

ग्रामीण भारत बंद को लेकर एसकेएम के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा था कि सब्जियों और अन्य फसलों की खरीद रोकी जाएगी। गांव की दुकानें, अनाज बाजार, सब्जी बाजार, सरकारी, गैर सरकारी ऑफिस बंद रहेंगे। ग्रामीण औद्योगिक और सेवा क्षेत्र के संस्थान के साथ निजी क्षेत्र के उद्यमों को बंद रखने का अनुरोध किया गया है। इसके अलावा हड़ताल के दौरान गांवों के नजदीकी कस्बों की दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहेंगे।

किसानों के अगले प्लान पर क्या बोले टिकैत और चढूनी

MSP सहित अन्य मांगों को लेकर आज शुक्रवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने 'ग्रामीण भारत बंद' का आह्वान किया है। जिसके तहत किसान-मजदूरों से आह्वान किया गया है कि एक दिन के लिए अपना काम बंद रखें। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत का कहना है कि किसानों की समस्याओं का समाधान होना चाहिए। 16 फरवरी को किसान लॉकडाउन है, इसके बाद 17 फरवरी को पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और यूपी के प्रतिनिधियों की बैठक सिसौली में बुलाई गई है। यहीं पर भविष्य के आंदोलन का निर्णय लिया जाएगा। राकेश टिकैत ने कहा कि कल यानी 16 फरवरी को किसान खेतों में कार्य न करें। भाकियू जिले में दस प्वाइंट बनाकर धरना प्रदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि कल मजदूर भी हड़ताल पर रहेंगे। मजदूरों के हड़ताल पर रहने से निर्माण संबंधी कार्यों में लोगों को व्यवधान का सामना करना पड़ सकता है। 

किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने आगे की योजना बताई है। उन्होंने कहा, ''तीन फैसले लिए गए हैं। पहला ये कि हम आज यानी शुक्रवार (16 फरवरी, 2024) हरियाणा में दोपहर 12 बजे से शाम 3 बजे तक टोल फ्री रखेंगे। कल यानी शनिवार (17 फरवरी, 2024) को हर तहसील में दोपहर 12 बजे से ट्रैक्टर परेड होगी। फिर परसों रविवार (18 फरवरी, 2024) को सभी किसान और मजदूर संगठनों की संयुक्त बैठक होगी। इस बैठक में आगे के फैसले लिए जाएंगे।"

चढ़ूनी हरियाणा और पंजाब के किसानों पर असर रखते हैं. वो हरियाणा में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष हैं, जो कि किसानों का बड़ा संगठन है। ऐसे में ज़ाहिर है कि उनकी बातों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, लेकिन हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल किसानों के तौर तरीकों से काफी नाराज दिखाए दिए। दरअसल, मनोहर लाल खट्टर ने किसानों के दिल्ली चलो के आह्वान पर कहा, ‘‘हमें उनके तरीके पर आपत्ति है। हमें उनके दिल्ली जाने पर कोई आपत्ति नहीं है। ट्रेन, बस और उनके अपने वाहन हैं, लेकिन ट्रैक्टर परिवहन का कोई साधन नहीं है। यह एक कृषि उपकरण है।’

नोएडा में भी धारा 144

संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन ने आज 16 फरवरी को 'भारत बंद' का ऐलान किया है। इसे लेकर नोएडा में भी किसान परिषद ने किसानों को एकजुट होने का आह्वान किया है। दूसरी तरफ गौतमबुद्ध नगर जिले में 16 फरवरी को धारा-144 लागू कर दी गई है।खास है कि नोएडा में भारतीय किसान परिषद के तत्वावधान में नोएडा प्राधिकरण सेक्टर-6 और एनटीपीसी सेक्टर-24 नोएडा पर 11 दिसंबर और 18 दिसंबर से लगातार धरना जारी है। यहां किसान नेता सुखबीर खलीफा ने भारत बंद में शामिल होने के लिए किसानों का आह्वान किया है। खलीफा ने कहा है कि भारतीय किसान परिषद भी संयुक्त मोर्चे की मुहिम का समर्थन करती है। सभी किसान साथी सेक्टर-24 में इकट्ठा होकर भारत बंद की मुहिम को आगे बढ़ाने का कार्य करेंगे।

दिल्ली के बाजारों औद्योगिक क्षेत्रों में बंद का असर नहीं

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, किसानों के आंदोलन से दिल्ली के बाजारों पर असर पड़ने का अंदेशा कम है। दिल्ली के व्यापारी संगठनों ने भारत बंद से खुद को अलग कर लिया है। उनका कहना है कि सभी 700 बाजार और 56 औद्योगिक क्षेत्र खुले रहेंगे। गुरुवार को चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने व्यापारियों और उद्यमियों से बैठक के बाद एलान किया है कि दिल्ली में भारत बंद का कोई असर नहीं होगा। दो दिनों से अलग-अलग बाजारों के संगठनों से इस विषय पर चर्चा की गई है।

औचंदी बॉर्डर पर कल किसान करेंगे प्रदर्शन

किसानों के समर्थन में दिल्ली के किसान शुक्रवार को औचंदी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन करेंगे। भारतीय किसान यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष दलजीत सिंह का कहना है कि दिल्ली के किसानों ने ग्रामीण भारत बंद का समर्थन किया है और शुक्रवार को कोई काम नहीं करेगा। शुक्रवार को औचंदी बॉर्डर पर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि सरकार को किसानों की मांग मान लेनी चाहिए। किसान अपना अधिकार ही मांग रहे हैं। 

हरियाणा के कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय की सभी परीक्षाएं स्थगित

किसान आंदोलन के चलते जारी अलर्ट और सड़कों के बंद होने के कारण 20 फरवरी से शुरू होने वाली सेंटर फॉर डिस्टेंस एंड ऑनलाइन एजूकेशन (दूरवर्ती शिक्षा) के पाठ्यक्रमों व अन्य कोर्सेज की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। इस संबंध में परीक्षा शाखा द्वारा अधिसूचना जारी कर दी गई है।

किसानों की 12 मांगों की बात करें तो वो इस प्रकार हैं-

1 स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक MSP का कानून बनाया जाए।
2 देश के सभी किसानों का कर्ज माफ किया जाए
3 भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को फिर लागू करें
4 लखीमपुर खीरी कांड के आरोपियों को सजा, किसानों को न्याय
5. भारत WTO से बाहर निकलें, फ्री ट्रेड एग्रीमेंट खारिज करें
6 किसानों को पेंशन देने का ऐलान हो
7 मनरेगा के तहत 200 दिन का रोजगार, 700 रुपये मजदूरी
8 पिछले आंदोलन में मरे किसानों के परिवार को मुआवजा
9 इलेक्ट्रिसिटी संशोधन बिल 2020 रद्द हो
10 नकली बीज, कीटनाशक बनाने वाली कंपनियों पर एक्शन
11 मिर्च, हल्दी जैसे मसालों पर राष्ट्रीय आयोग
12 आदिवासियों, वन निवासियों और आश्रितों के जंगल पर अधिकार मिलें।

बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा गैर-राजनीतिक और किसान मजदूर मोर्चा ने ऐलान किया था कि किसान फसलों के एमएसपी की गारंटी के वास्ते कानून बनाने सहित विभिन्न मांगों को लेकर केंद्र पर दबाव बनाने के लिए दिल्ली कूच करेंगे। लेकिन सरकार के कड़े रुख के चलते अभी अंबाला शंभू बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं।

साभार : सबरंग 

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