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जमीयत सद्भावना संसद में बोले मदनी: दमनकारी अंग्रेज भी हमारी साझा संस्कृति की विरासत नहीं तोड़ पाए

धार्मिक घृणा और साम्प्रदायिकता को मिटाने और भारतीयता एवं मानवता की भावना की जीत के लिए रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की विभिन्न इकाईयों की ओर से देवबंद सहित देश के एक सौ से अधिक शहरों में “सद्भावना संसद” का आयोजन किया गया। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने इसका नेतृत्व किया। उन्होंने कहा कि इस देश की सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता है। अंग्रेज जैसी दमनकारी सरकार भी हमारी अनेकता में एकता की इस पहचान को खत्म नहीं कर पाई है।
sadhbhawna sansad

जमीयत सद्भावना मंच के बैनर तले देशभर में सौ से अधिक स्थानों पर आयोजित सद्भावना संसद के संबंध में जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी का कहना है कि यह देश की वर्तमान स्थिति के संदर्भ में बहुत महत्वपूर्ण है जिसका स्पष्ट संदेश देश के सभी वर्गों को जोड़ना है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि धार्मिक घृणा और सांप्रदायिकता को समाप्त करने के लिए बीते दिनों मई माह में सद्भावना मंच के नाम से प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसमें देश में 1000 सद्भावना संसदों को आयोजित करने का निर्णय लिया गया था। इसी के तहत 28 अगस्त को देश के विभिन्न राज्यों में सौ से अधिक सद्भावना संसद का आयोजन किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियां किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसे में देश से प्यार करने वाले वफादार नागरिक और संगठन विशेषकर जमीयत जैसे संगठन चुप नहीं रह सकते। मुल्क में पनप रही नफरत और घृणा के माहौल को समाप्त करने के लिए सभी का एक मंच पर आना बेहद जरुरी है। इस दौरान अपने विशेष संदेश में जमीयत अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि “भारत हमारी मातृभूमि है, इसके कण-कण से हमें स्वाभाविक प्रेम है। इस देश की सबसे बड़ी विशेषता अनेकता में एकता है। यहां सदियों से विभिन्न सभ्यताओं और धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते आए हैं। अंग्रेज जैसी दमनकारी सरकार भी हमारी इस विशेष पहचान को पूरी तरह से खत्म करने में विफल रही।”



उन्होंने कहा “इन दिनों कुछ शक्तियां देश की पहचान को मिटाना चाहती हैं, लेकिन उनकी ताकत कितनी भी बड़ी हो, वह भारत की महान शक्ति और इसकी सदियों की परंपरा को पराजित नहीं कर सकते। इस मिट्टी की ताकत का आभास कराने के लिए हमने ऐसी संसदों का आयोजन किया है। आज हम सौ जगहों पर सद्भावना संसद का अयोजन कर रहे हैं। कल हम इससे अधिक स्थानों पर इसका आयोजन करेंगे। हमारा यह काफिला दिलों को जोड़ने का काम करेगा और उन नफरतों को मिटाने का काम करेगा जो मुट्ठीभर असामाजिक तत्वों ने दिलों में बोने की कोशिश की है।”

मुसलमान भी भारत की संतान

इस अवसर पर चेन्नई के न्यू कॉलेज कैंपस में आयोजित सद्भावना संसद में कांचीपुरम मठ के शंकराचार्य के प्रतिनिधि विश्वानंद ने अपने जगद्गुरु विजेन्द्र सरस्वती की ओर से भेजे गए संदेश में कहा कि “भारत में सभी धर्मों के लोग हाथ की पांच उंगलियों की तरह हैं और वह इसी प्रकार रहेंगे। उन्होंने कहा कि एकता, संकल्प और प्रार्थना, तीन ऐसे मंत्र हैं जो इस महान धरती और इसकी संतानों के लिए होते हैं, और निस्संदेह मुसलमान भी इसी भारत की संतान हैं।”



सभा को संबोधित करते हुए जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना हकीमुद्दीन कासमी ने कहा कि “यह कार्यक्रम किसी जमीयत या दल का नहीं बल्कि देश से प्यार करने वाले लोगों की एक संयुक्त सभा है। उन्होंने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की संयुक्त राष्ट्रवाद की विचारधारा को आधार बताया और कहा कि भारत से मुसलमानों का सम्बंध सबसे पुराना है।” 

‘हिंसावादीः देश के दुश्मन’

इस अवसर पर देश के लगभग सभी बड़े शहरों दिल्ली, चेन्नई, पुणे, नागपुर, औरंगाबाद, बेंगलूरु, निजामाबाद, आदिलाबाद, लखनऊ, भोपाल, खरगौन, रांची, दरंग करीमगंज (असम), बिशनपुर मणिपुर, गोवा, भितबारी मेघालय, मेवात, यमुनानगर, किशनगंज, मोहाली आदि में आयोजित होने वाली सद्भावना संसदों में सभी धर्मों के गुरुओं ने भाग लिया और संयुक्त रूप से राष्ट्रीय एकता और शांति का संदेश दिया। इस अवसर पर सभा स्थलों पर ’मानवता का राज होगा, पूरा भारत साथ होगा’, ‘नफरत मिटाओ, देश बचाओ’, ‘नफरत के पुजारी भारत छोड़ो’, ‘हिंसावादीः देश के दुश्मन’ और ‘न तीर से न तलवार से, देश चलेगा प्यार से’ जैसे नारों के पोस्टर और बैनर लगाए गए। 



उनके अलावा चेन्नई में सिख गुरु हरप्रथ सिंह, ईसाई पादरी सांतोम चर्च यसरी सरगोनम, रांची में होफमैन के निदेशक महेंद्र प्रताप सिंह, बेंगलूरु में दलित नेता भास्कर प्रसाद, दलित ईसाई नेता मनोहर चंद्र प्रसाद बंगलूरु, सुरजीत सिंह इंफाल, भंते सरपीत साहिब अमरावती, श्री श्री स्वामी दुजेंद्रानंद रामकृष्ण मिशन आश्रम, मालदा, दयाराम नामदेव जी भोपाल, फादर स्टीफन मरिया जी, प्रोफेसर मनोज जैन, फादर बोल मैक्स पेरिया गोवा, महंत मधुगिरी, गुरु वासु देवगिरी मुक्तेश्वर मंदिर समेत 500 हिंदू धर्म गुरुओं ने अलग-अलग संसदों में हिस्सा लिया और संबोधित किया।

उनके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जिन लोगों ने अपने-अपने क्षेत्रों में नेतृत्व किया, उनमें विशेष रूप से मौलाना हाफिज पीर शब्बीर अहमद हैदराबाद, मौलाना हाफिज पीर खलीक साबिर हैदराबाद, मौलाना नदीम सिद्दीकी महाराष्ट्र, मौलाना अब्दुर्रब आजमी उत्तर प्रदेश, सैयद हुसैन लखनऊ, मौलाना हाफिज बशीर अहमद असम, मौलाना जावेद किशनगंजी बिहार, मौलाना खालिद अनवर किशनगंजी, हाजी मोहम्मद हारून मध्य प्रदेश, मौलाना इब्राहीम केरल, हाजी मो हसन तमिलनाडु, मौलाना अली हसन मजहरी यमुनानगर, मौलाना अनवार मेघालय, मौलाना मंजूर आलम मेघालय, मौलाना सईद अहमद मणिपुर, मौलाना मुफ्ती अब्दुल मोमिन त्रिपुरा, डॉ. असगर अली मिस्बाही रांची, मौलाना अब्दुल कुद्दूस पालनपुर, मौलाना अब्दुस्समी गोवा, मौलाना सिद्दीकुल्ला चौधरी पश्चिम बंगाल, मौलाना दाऊद अमीनी दिल्ली, मौलाना इफ्तिखार और मौलाना शम्सुद्दीन बेंगलूरु के नाम प्रमुख हैं।



जमीयत के सचिव मौलाना नियाज अहमद फारुकी ने बताया कि जमीयत सद्भावना मंच के संयोजक मौलाना जावेद सिद्दीकी कासमी के नेतृत्व में दिल्ली में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें सभी धर्मों के महत्वपूर्ण लोगों ने भाग लिया। बताया कि देश में विभिन्न राज्यों में सद्भावना संसदों का आयोजन किया गया जिनमें आंध्र प्रदेश में 13, महाराष्ट्र में 21, उत्तर प्रदेश में एक, असम में 25, बिहार में 5, मध्य प्रदेश में 8, केरल में 4, तमिलनाडु में एक, हरियाणा एवं पंजाब में 27, मेघालय में तीन, मणिपुर में एक, त्रिपुरा में दो, झारखंड में एक, गोवा में एक, पश्चिम बंगाल में आठ, गुजरात में एक, दिल्ली में दो और कर्नाटक में एक धर्म संसद आयोजित की गई।

साभार : सबरंग 

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