मध्य प्रदेशः पांच सालों में घरेलू हिंसा के मामलों में 90% बढ़ोतरी
इस साल मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ये मौका है जब सरकारों के पिछले कामों का लेखा-जोखा किया जाए और देखा जाए कि क्या सरकारें अपने वायदे पूरे करने में सफल रही है? क्या स्थिति में कोई सकारात्मक बदलाव आया है या स्थिति पहले से खराब हुई है?
मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार प्रदेश में असीम विकास की बात कर रही है। अगर किसी प्रदेश के विकास को जांचना है तो देखना चाहिए कि वहां महिलाओं की क्या स्थिति है।
तो आइये देखते हैं कि मध्य प्रदेश में महिलाओं की क्या स्थिति है? दिसंबर 2018 से मार्च 2020 के बीच कांग्रेस के कमलनाथ की सरकार का कार्यकाल छोड़ दें तो भाजपा मध्य प्रदेश में 2003 से यानी पिछले लगभग चार टर्म से सरकार में है। कुछ समय के लिए भाजपा की उमा भारती और बाबू लाल गौर मुख्यमंत्री बने, अन्यथा शिवराज सिंह चौहान ही लगातार सत्ता में हैं। तो क्या इन 15-18 सालों में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध में कमी आई है? कुल मिलाकर मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध की क्या स्थिति है? आइये, पड़ताल करते हैं-
भाजपा राज और महिलाएं
पहले हम कुल मिलाकर महिलाओं के खिलाफ अपराध की स्थिति देखते हैं उसके बाद पड़ताल करेंगे कि अलग-अलग श्रेणियों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की क्या स्थिति है और मध्य प्रदेश किस पायदान पर खड़ा है।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 24,231 मामले दर्ज़ किए थे। जबकि वर्ष 2021 में ये आंकड़ा बढ़कर 30,673 हो गया। यानी आंकड़े बता रहे हैं कि मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध को कम करने में शिवराज चौहान की भाजपा सरकार बुरी तरह विफल रही है। क्योंकि इन पांच-छह सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में कमी नहीं आई बल्कि 26.5% की बढ़ोतरी हुई है। ये काफी चिंताजनक स्थिति है।
मध्य प्रदेश वर्ष 2015 से लेकर 2021 तक लगातार उन सात राज्यों में शामिल है जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले सालों का लेखा-जोखा
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में मध्य प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 28,942 मामले दर्ज किए गए थे। जो वर्ष 2021 में बढ़कर 30,673 हो गए। अभी तक 2021 तक की ही रिपोर्ट उपलब्ध है। यानी इन तीन सालों में 5.9% की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि मध्य प्रदेश में रेप के मामलों में काफी कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में रेप के कुल 5,433 मामले दर्ज किए गए थे जबकि वर्ष 2021 में 2,947 मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि रेप के मामलों में कमी दर्ज की गई है लेकिन अभी भी मध्य प्रदेश रेप के मामलों में देश में दूसरे स्थान पर है।
पिछले सालों में दहेज हत्या के मामलों में नाम मात्र की कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में दहेज हत्या के कुल 547 मामले दर्ज किए गए थे जबकि वर्ष 2021 में 522 दर्ज किए गए। एसिड अटैक के मामलों में कोई सुधार नहीं है। वर्ष 2018 में भी एसिड अटैक के 5 मामले दर्ज किए गए थे और 2021 में भी एसिड अटैक के 5 मामले दर्ज किए गए हैं।
पिछले सालों में मध्य प्रदेश में घरेलू हिंसा के मामलो में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2018 में पति और उसके रिश्तेदारों के द्वारा क्रूरता के 4,159 मामले दर्ज किए गए थे जो आंकड़ा वर्ष 2021 में बढ़कर 7,929 हो गया। यानी लगभग 90% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसी प्रकार मानव तस्करी के मामलों में भी 57% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। वर्ष 2018 में मानव तस्करी के 33 मामले दर्ज किए गए थे जो आंकड़ा वर्ष 2021 में बढ़कर 52 हो गया। वर्ष 2018 की तुलना में वर्ष 2021 में छेड़खानी के मामलों में कमी दर्ज की गई है। वर्ष 2018 मेंछेड़खानी के कुल 8,790 मामले दर्ज किए गए थे और वर्ष 2021 में कुल 5,760 मामले दर्ज किए गए।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं।)
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