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दिल्ली : मनदीप को 14 दिन कि न्यायिक हिरासत, रिहाई की मांग को लेकर दिल्ली में पत्रकारों का प्रदर्शन

स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पुनिया को तिहाड़ कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। मनदीप की रिहाई और उन पर लगे केस को वापस लेने की मांग को लेकर सैकड़ों पत्रकारों ने दिल्ली के पुलिस मुख्यालय पर एकत्रित होकर अपना विरोध प्रदर्शन किया।
दिल्ली : मनदीप को 14 दिन कि न्यायिक हिरासत, रिहाई की मांग को लेकर दिल्ली में पत्रकारों का प्रदर्शन

दिल्ली: शनिवार शाम को दिल्ली सिंघु बॉर्डर से गिरफ्तार किए जाने के बाद, स्वतंत्र पत्रकार मंदीप पुनिया को रविवार को तिहाड़ कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। हालाँकि इसको लेकर भी पुलिस पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि मनदीप को कोर्ट में अपना पक्ष रखने का  मौका  ही नहीं दिया गया। आरोप है कि पुलिस ने उनके वकील को पेशी का समय 2 बजे बताया था। लेकिन पुलिस ने उन्हें इससे पहले ही पेश कर दिया जिससे उनके वकील पेश ही नहीं हो पाए।  

उसी वक्त दूसरी ओर, मनदीप की रिहाई और उन पर लगे केस को वापस लेने की मांग को लेकर सैकड़ों पत्रकारों ने दिल्ली के पुलिस मुख्यालय पर एकत्रित होकर अपना विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन का आव्हान सोशल मिडिया पर कुछ पत्रकारों ने किया था। इसका आयोजन बहुत कम समय में किया गया था। पत्रकारों ने कहा कि “आप किसानों को बॉर्डर पर रोक सकते हैं पत्रकारों को नहीं। अन्याय के ख़िलाफ़ इस खुले युद्ध में चौतरफ़ा घेराव की ज़रूरत आन पड़ी है।” प्रदर्शन में शामिल पत्रकारों ने कहा यह सीधा निष्पक्ष पत्रकारिता पर हमला है। लोगों  ने हाथ में जर्नलिज्म इज नॉट क्राइम यानि पत्रकारिता कोई अपराध नहीं की तख्तियां पकड़े, नारेबाजी की। कई बड़े पत्रकार ,रवीश ,उर्मिलेश और विनोद कपाड़िया जैसे लोगों ने भी इसके समर्थन में सोशल मीडिया पर लिखा।  

पत्रकार की गिरफ़्तारी के साथ ही ट्विटर पर हैशटैग #ReleaseMandip #ReleaseMandipPunia लगातर ट्रेंड कर रहा है। पत्रकार समुदाय पुलिस की इस कार्रवाई की लगातार निंदा कर रहा है। इसे स्वतंत्र आवाज़ को दबाने के कोशिश कहा जा रहा है।

दिल्ली पुलिस ने पुनिया के खिलाफ चार धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। मनदीप पर IPC की धारा 186 (सरकारी काम में बाधा पहुंचाना), IPC की धारा 353 (सरकारी अधिकारी पर हमला करना), IPC की धारा 332 (लोकसेवक को चोट पहुंचना) और IPC की धारा 34 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

आपको बता दें  दिल्ली पुलिस ने किसान आंदोलन को कवर कर रहे स्वतंत्र पत्रकार मनदीप पुनिया को शनिवार को हिरासत में ले लिया था। कई घंटों तक यह किसी को ज्ञात नहीं था कि दिल्ली पुलिस उन्हें कहां ले गई है, लेकिन अभी मिल रही जानकारी के मुताबिक पुलिस उन्हें स्वरूप नगर थाने से अलीपुर थाने लेकर आई थी। पुलिस ने उन पर सिंघु बॉर्डर पर दिल्‍ली पुलिस के एसएचओ से अभद्रता करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने के आरोप लगाए हैं।

युवा पत्रकार मनदीप किसान आंदोलन के शुरुआती दौर से ग्राउंड से रिपोर्ट कर रहे थे। वो अधिकांशत ‘जनपथ’ और ‘कारवां’ वेबसाइट के लिए रिपोर्ट करते थे। क्योंकि वो स्वतंत्र पत्रकार थे तो उनके पास किसी संस्थान का आईडी कार्ड नहीं था।

जानकरी के मुताबिक ऑनलाइन इण्डिया के पत्रकार धर्मेंद्र को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था लेकिन उन्हें छोड़ दिया गया। पुलिस का कहना है कि धर्मेंद्र सिंह नाम के एक अन्‍य पत्रकार को भी कुछ समय के लिए प‍कड़ा गया था, लेकिन उन्‍होंने अपना प्रेस आईडी कार्ड दिखाया तो उन्‍हें जाने दिया गया।

घटना का एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि बड़ी संख्‍या में पुलिसकर्मी मनदीप पुनिया को लाठी के बल पर जबरन ले जा रहे हैं।

हिरासत में लिए जाने से कुछ घंटे पहले पत्रकार पुनिया ने शुक्रवार को सिंघु बॉर्डर पर हुई हिंसा के संबंध में फेसबुक कर एक लाइव वीडियो शेयर किया था। इसमें उन्‍होंने जानकारी दी थी कि कैसे खुद को स्‍थानीय लोग होने का दावा करने वाली भीड़ ने आंदोलनस्‍थल पर पुलिस की मौजूदगी में पथराव किया था।

हाल की कई घटनाएं दिल्ली पुलिस के रवैये पर सवाल उठाती हैं। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर परेड और हिंसा पर रिपोर्टिंग को लेकर छह वरिष्ठ पत्रकारों और संपादकों के खिलाफ देशद्रोह जैसे आरोप में मामले दर्ज किये जाने की मीडिया संगठनों ने घोर निंदा की और आरोप लगाया कि देश में ‘अघोषित आपातकाल’ जैसे हालात हैं।

कांग्रेस सहित पूरे विपक्ष ने शनिवार  को सिंघु बार्डर से एक स्वतंत्र पत्रकार की गिरफ्तारी को लेकर भाजपा शशित केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा कि जो लोग सच्चाई से डरते हैं, वे ईमानदार पत्रकारों को गिरफ्तार करते हैं।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि किसानों के आंदोलन को कवर करने वाले पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा रहा है, उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जा रहे हैं और कई जगहों पर इंटरनेट बंद किया जा रहा है।

उन्होंने हिंदी में किये गए एक ट्वीट में कहा, ‘‘भाजपा सरकार किसानों की आवाज को कुचलना चाहती है, लेकिन वे भूल गए हैं कि आप जितना अधिक दबाएंगे, आपके अत्याचारों के खिलाफ आवाजें उतनी ही उठेंगी।’’ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने भी ट्ववीट करके पत्रकार के गिरफ़्तारी की निंदा की है।  

जबकि समाजवादी पार्टी के मुखिया ने भी ट्वीट किया और लिखा "भाजपा राज में आज आम आदमी ही नहीं पत्रकारों तक की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटकर उन्हें गिरफ़्तार भी किया जा रहा है, जो अति निंदनीय है।"

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