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मेघालय चुनाव: एक नए गठबंधन की बनती संभावना 

राष्ट्रीय और क्षेत्रीय ताकतें कैसे 2023 के चुनावों में अपना रास्ता खोज रही हैं, उससे इस बात की संभावना बन रही है कि मेघालय में एक अलग ही गठबंधन आकार ले सकता है।
Conrad Sangma
मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा। फोटो साभार: PTI

कोलकाता: 27 फरवरी को मेघालय की 60-सदस्य की विधानसभा के चुनाव के लिए हुए नामांकन के बाद कई पहलू उभर कर सामने आए हैं। कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) के नेतृत्व में मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस सरकार, जिसके वे मुख्यमंत्री हैं, वे संवैधानिक रूप से मुख्यमंत्री रहेंगे जब तक कि चुनावी प्रक्रिया एक नई कैबिनेट का रास्ता नहीं बनाती है। लेकिन, जो बात मुख्य है वह यह कि राजनीतिक रूप से यह गठबंधन पहले ही विघटित हो चुका है।

गठबंधन के घटकों के बीच, न केवल एनपीपी, बल्कि अन्य एमडीए पार्टियों में से प्रत्येक - यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी), पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (पीडीएफ), हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (एचएसपीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने फैसला किया कि वे अकेले चुनाव लड़ेंगे। 1978 के बाद से किसी एक पार्टी को मेघालय में बहुमत नहीं मिला है। यह 2018 के चुनावों के बाद भी समान था। कॉनराड की एनपीपी, जिसे 19 सीटें मिलीं थी, ने मुकुल संगमा के नेतृत्व वाली कांग्रेस को बाहर किया और 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। कॉनराड ने बीजेपी के दो विधायकों, यूडीपी के छह, पीडीएफ के चार, एचएसपीडीपी के दो और कुछ स्वतंत्र विधायकों के साथ गठबंधन बनया; उन्होंने बहुसंख्यक पैंतरेबाज़ी की और एमडीए सरकार का गठन किया।

हालत ऐसे बने कि भाजपा के दो विधायक भी कॉनराड के लिए महत्वपूर्ण साबित हुए, जिनकी पार्टी स्वचालित रूप से केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाले नेशनल डेमोक्रेटिक गठबंधन (एनडीए) की भागीदार बन गई है। भाजपा ने बड़े खराब चुनावी प्रदर्शन के साथ - 47 सीटों पर चुनाव लड़ा था – उनके लिए एक और पूर्वोत्तर राज्य में मंत्रिमंडल में शामिल होने का मौका था। कांग्रेस विधानमंडल पार्टी का विघटन नवंबर 2021 में शुरू हुआ था जब मुकुल संगमा, उच्च कमान के कुछ फैसलों से नाखुश दिखे, और पार्टी के 11 विधायकों के साथ अलग हो गए और ममता बनर्जी की त्रिनमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए। रातों-रात टीएमसी विधानसभा में मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई थी।

राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और यहां तक कि छोटे स्थानीय दलों ने 2023 विधानसभा चुनावों में जो रास्ता अपनाया, उससे यह संभावना बनी है कि मेघालय में सत्ता को हड़पने के लिए एक अलग गठबंधन बन सकता है।

ऐसा टीएमसी के सभी 60 सीटों से लड़ने के कारण हुआ है क्योंकि अन्य खिलाड़ियों ने भी कई उम्मीदवारों को चुनाव में उतारा है। अन्य पार्टियों में एनपीपी, कांग्रेस और बीजेपी शामिल हैं। मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में स्पष्ट रूप से एनपीपी के कॉनराड और टीएमसी के मुकुल हैं। दो संगमा परिवार, गारो हिल्स में लंबे समय से एक-दूसरे के विरोधी रहे हैं। चुनाव के बाद की इंजीनियरिंग के आधार पर, मेघालय के मतदाताओं को मुख्यमंत्री के पद पर संगमा बनाम संगमा की लड़ाई देखने को मिल सकती है और दोनों ने बार-बार अभियानों के दौरान दावा किया है कि वे खासी और जेंटिया हिल्स में मजबूत कारक होंगे।

कांग्रेस चुनाव को, खुद को फिर से पुनर्जीवित करने के अवसर के रूप में देख रही है। इसका नेतृत्व शिलॉन्ग लोकसभा सदस्य विंसेंट एच पाला के नेतृत्व में चल रहा है, जो राज्य पार्टी के प्रमुख भी हैं और वे खुद एक उम्मीदवार हैं। पाला ने न्यूज़क्लिक को बताया पार्टी ने 43 सीटों पर अच्छी शैक्षणिक पृष्ठभूमि वाले नए उम्मीदवारों को उतारा है। बाकी पुराने चेहरे हैं।

सभी सीटों पर लड़ने के बीजेपी के फैसले के बारे में बोलते हुए बीजेपी के राज्य प्रमुख अर्नेस्ट मावरी ने न्यूज़क्लिक को बताया कि, "पार्टी मजबूत स्थिति में है और इससे हमारी हिम्मत बढ़ी है"।

अन्य दलों के उम्मीदवारों की संख्या इस प्रकार है; यूडीपी से 45, एचएसपीडीपी से 11 और पीडीएफ से 6 उम्मीदवार हैं। दो नए संगठन भी दौड़ में शामिल हुए हैं- वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी और केएएम हैं (जो खुद को एक डेमोक्रेटिक प्लेटफॉर्म कहते हैं) - ने क्रमशः 16 और तीन उम्मीदवारों को उतारा है।

टीएमसी के घोषणापत्र में, नकद हस्तांरण की बात कही गई है जो ममता बनर्जी ने बंगाल में किया है। ग्रामीण और शहरी ढांचे में सुधार तथा 12वीं तक मुफ्त शिक्षा और स्वस्थ्य सेवाओं में सुधार लाने की बात की गई है। 

एनपीपी ने दावा किया है कि पार्टी परिवारों क वित्तीय सशक्तीकरण करेगी और "फोकस और फोकस प्लस" कल्याणकारी योजनाओं को सुदृढ़ करेगा। और स्व-सहायता समूहों के प्रसार पर जोर देगी।

मनरेगा और पीएमजीएसवाय को लागू करने के मामले में, नई दिल्ली ने मेघालय के प्रदर्शन को सराहा है और राज्य इस में और अधिक सुधार का लक्ष्य रखेगा। एनपीपी के महासचिव निहिम दलबोट शिरा ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा कि एनपीपी के नेतृत्व वाले गठबंधन ने एक बेहतरीन शासन प्रणाली के तहत राज्य में राजनीतिक स्थिरता प्रदान की है।

कांग्रेस के डॉक्यूमेंट की मुख्य विशेषताएं ये हैं कि: प्रत्येक बालिका को किंडरगार्टन से 12 वीं तक मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य देखभाल योजना, हर बीपीएल घर पर छत तथा अदरक, हल्दी, ब्रूमस्टिक, काली मिर्च और अन्य फसल एमएसपी की गारंटी। हेल्थकेयर स्कीम और एमएसपी के विवरण की जल्द ही घोषणा की जाएगी।  

अब टीएमसी और एनपीपी नेता एक दूसरे पर आरोप जड़ रहे हैं, पूर्व का कहना है कि लड़ाई केवल एनपीपी के साथ है और लड़ाई में अन्य दलों की अधिक भूमिका नहीं है। टीएमसी के स्टार प्रचारक ममता और उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी हैं। पश्चिम बंगाल के मंत्री और अनुभवी राजनेता मानस भुयान चुनाव का समन्वय कर रहे हैं। पार्टी ने अपने पुराने सलाहकार की I-PAC टीम को भी काम में लगाया हुआ है। टीएमसी सुप्रीमो और महासचिव अभिषेक इस बात पर जोर दे रहे हैं कि मतदाता अब एक अक्षम और भ्रष्ट सरकार को हटा सकते हैं और  टीएमसी सरकार के ज़रिए यह बदलाव ला सकते हैं।

भुयां ने न्यूजक्लिक को बताया कि इन पांच वर्षों में, मेघालय ने बहुत झेला है और निकम्मी सरकार के कारण विकास नहीं हुआ है। काम का रिकॉर्ड खराब रहा है। धारणा यह बनाई जा रही है कि उनकी पार्टी केवल गारो हिल्स में उपस्थिति है, जहां से 24 सीट आती हैं और यह खासी और जयंतिया हिल्स में कोई शक्ति नहीं है जहां से 36 सीटें आती हैं। मंत्री ने इसे एक गलत धारणा बताया और कहा कि टीएमसी निश्चित रूप से गारो हिल्स में अच्छा प्रदर्शन करेगी और दो अन्य हिल सेगमेंट में एक सम्मानजनक सीट लाएगी।

ममता और अभिषेक की उस चुप्पी पर कि टीएमसी एक बंगाली पार्टी है और इसके नेता बाहरी हैं, मुकुल ने जवाब दिया कि: “यह एक दुर्भावनापूर्ण प्रचार है; वे नस्लीय टिप्पणी कर रहे हैं। राज्य के सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं ने ममता को भाजपा नेताओं पर की गई उस टिप्पणी के बारे में बताया जिसमें 2021 विधानसभा चुनावों में उन्हे "बोहिरागता" कहा था कि वे पश्चिम बंगाल के बाहर से आए हैं – जो बाहरी लोगों के लिए बंगाली शब्द है।

टीएमसी ने कॉनराड को किनारे लगाते हुए कहा कि यदि पार्टी सत्ता में आती है तो वह 29 मार्च, 2022 को नई दिल्ली में हस्ताक्षरित एमओयू पर फिर से विचार करेगी, जिसमें असम के साथ 12 विवादित क्षेत्रों में से छह में पांच दशक पुराने सीमा विवाद को हल करने के लिए असम के साथ समझौता हुआ है। इस अवसर पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह उपस्थित थे। कॉनराड और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वासरमा ने भी शेष छह क्षेत्रों में विवाद को जल्दी निपटाने का संकल्प लिया है।

मुकुल ने एमओयू पर निशाना साधते हुए कहा कि इसका कोई देना और लेना नहीं है। पिछले साल 18 मार्च को ‘द हिंदू’ में प्रकाशित एक साक्षात्कार में, उन्होंने इसे संपत्ति के हस्तांतरण का एक उदाहरण दिया जो मेघालय के लोगों से संबंधित है। राज्य को यूनाइटेड खासी और जयंतिया हिल्स और गारो हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल के तहत एक साथ लाकर बनाया गया था।

“भूमि इन कुलों की थी और स्वतंत्रता से पहले से नोटिफाइड थी। जब भूमि लोगों की थी, तो आप समझौते पर कैसे हस्ताक्षर कर सकते हैं? ” टीएमसी के राज्य अध्यक्ष चार्ल्स पाइनग्रोप से पूछा गया, कि सौदे में जल्दी क्यों करनी थी। उन्होंने कहा कि इस मामले को सावधानीपूर्वक अध्ययन किया जाना चाहिए था कि मेघालय की रुचि को बरकरार रखा जाता।

न्यूज़क्लिक ने जिन जानकार लोगों से चर्चा की, उनका मानना है कि विपक्षी शिविर में संदेह है कि मुख्यमंत्री ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र और असम सरकार के दबाव में काम किया था। उत्तर-पूर्व डेमोक्रेटिक गठबंधन के संयोजक बनने के बाद असम सीएम प्रभावशाली हो गए हैं।

कॉनराड ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा कि लंबे समय से लंबित विवादों को सुलझाने का जोखिम उठाना उचित है। राजनीतिक जोखिमों के बारे में सोचने और विवादों को भड़काने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने 15 फरवरी को एक साक्षात्कार में कहा था कि विपक्ष को यह याद रखन चाहिए कि "कभी भी एक पूर्ण समाधान नहीं है, लेकिन हमने सबसे अच्छे समाधान की ओर बढ़ने की कोशिश की है।" लोगों के बीच व्यापक शिकायत है कि संगमा मंत्रालय कोयला खनन की वैज्ञानिक शुरुवात करने में सक्षम नहीं है, जिस पर खासी और जयंतिया हिल्स के बड़े हिस्सों पर हजारों श्रमिक अपनी आजीविका के लिए निर्भर करते हैं। गतिरोध कई वर्षों से जारी है।

हालांकि, एक मुद्दे पर, कॉनराड मुकुल को किनारे लगाने में सफल हो गए। टीएमसी के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार दो सीटों से लड़ रहे हैं-सोंग्सक और टिकरीकिला; वे अपने आम सीट अमापति ए भी सांग्सक में स्थानांतरित हो गए हैं। न तो टीएमसी और न ही मुकुल अवलंबी मुख्यमंत्री के उस आरोप से मुकर पाए कि यह मुकुल संगमा के आत्मविश्वास की कमी को दर्शाता है और टीएमसी के प्रमुख राजनीतिक ताक़त की पोल खोलता है।

यह देखा जाना बाकी है कि संगमा मेघालय में इन बदलते बादलों के खिलाफ कितना चल पाते हैं। बीजेपी का प्रदर्शन तय करेगा कि आगे चलकर चीजें कैसे आकार लेती हैं। प्रदेश की लगभग 75 प्रतिशत आबादी ईसाई है और चर्च एक कारक बना हुआ है। इस कारक की वजह से कांग्रेस के उभरने की संभावना भी देखी जा रही है क्योंकि इसने अच्छी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और स्वच्छ छवि वाले 40 से अधिक उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है। पार्टी ने पिछली बार काफी अच्छा प्रदर्शन किया था, लेकिन बड़े पैमाने पर दोष के शिकार हो गए थे। अब जो हालात बन रहे हैं उससे लगता है कि एक नए गठबंधन की संभावना बन रही है।

मूल लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें :

Meghalaya Polls: A new Coalition Likely Based on Which Sangma Carries the day

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