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म्यांमार की सेना ने सोशल मीडिया ब्लॉक करने का आदेश जारी किया

सोशल मीडिया पर प्रतिबंध 1 फरवरी को सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के ख़िलाफ़ देश में बढ़ते असंतोष को रोकने का एक प्रयास है। किसी भी अन्य ज़रियों के अभाव में सोशल मीडिया लोगों के विरोध को व्यक्त करने के लिए एक प्लेटफॉर्म बन गया है।
म्यांमार

1 फरवरी को सेना द्वारा किए गए तख्तापलट के बाद सेना द्वारा सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। म्यांमार के परिवहन और संचार मंत्रालय ने गुरुवार 4 फरवरी को इंटरनेशनल गेटवे, मोबाइल ऑपरेटरों और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को फेसबुक और व्हाट्सएप को अस्थायी रूप से ब्लॉक करने का निर्देश जारी किया।

किए जा रहे अधिकारों के उल्लंघन पर चिंता व्यक्त करते हुए टेलीनॉर म्यांमार ने गुरुवार को म्यांमार की सेना द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने का फैसला किया। इस दूरसंचार कंपनी ने एक बयान में कहा कि "टेलीनॉर यह नहीं मानती है कि ये अनुरोध आवश्यकता और आनुरुपता पर आधारित है जो अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के अनुसार है।"

सैन्य तख्तापलट के कुछ घंटों बाद फेसबुक ने 2 फरवरी को म्यांमार के राष्ट्रीय टेलीविजन म्यावड्डी नेटवर्क पेज (ये टेलीविजन चैनल राष्ट्रीय सेना द्वारा समर्थित है) पर प्रतिबंध लगा दिया। इस तख्तापलट को लेकर दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों की ओर से गंभीर चिंता व्यक्त की गई और अंतरराष्ट्रीय स्तर निंदा गई।

देश में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने का ये फैसला सेना द्वारा उसके तख्तापलट और प्रमुख नेताओं की गिरफ्तारी के बाद देश में बढ़ते असंतोष की आवाज को कुचलने का प्रयास है। फेसबुक का इस्तेमाल देश की 53 मिलियन आबादी में से लगभग आधी आबादी द्वारा किया जाता है।

इस बीच तख्तापलट सरकार ने बुधवार को संचार उपकरण की खरीद में भ्रष्टाचार के लिए आंग सांग सू की सरकार पर आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ आरोप दायर किया है।

मंगलवार को फेसबुक द्वारा उन तस्वीरों को हटाए जाने से पहले म्यावड्डी के टीवी सोशल नेटवर्किंग पेज ने कथित तौर पर उन तस्वीरों को पोस्ट किया था जो सैन्य तख्तापलट का महिमा मंडित करता था।

रोहिंग्या नरसंहार के लिए न्याय के आह्वान के बाद साल 2018 में भी म्यावड्डी सोशल मीडिया अकाउंट को अस्थायी रूप से ब्लॉक कर दिया गया था क्योंकि यह पेश किया गया था कि इस चैनल का सरकारी सेना के साथ मजबूत संबंध था।

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