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दो टूक: मोदी जी! जो आप बोलते हैं, उसे ख़ुद सुनिए भी

प्रधानमंत्री फ़ेक न्यूज़ के ख़तरे और ख़बरों को वेरीफाई करने की सीख दूसरों को दे रहे हैं, लेकिन क्या वो खुद इस सीख को फॉलो करते हैं? क्या भाजपा के मंत्री, नेता और आइटी सेल इसे फॉलो करते हैं?
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अक्टूबर को देश के विभिन्न राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर को संबोधित किया। ये चिंतन शिविर हरियाणा में आयोजित किया गया था। शिविर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन हिस्सा लिया। शिविर में बोलते हुए उन्होंने गृह मंत्रियों का ध्यान फ़ेक न्यूज़ की समस्या की तरफ आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि फ़ेक न्यूज़ पूरे देश में बवाल खड़ा कर सकती है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा कि किसी भी संदेश को फारवर्ड करने से पहले उसे वेरफाई करें।

प्रधानमंत्री फ़ेक न्यूज़ के ख़तरे और ख़बरों को वेरीफाई करने की सीख दूसरों को दे रहे हैं, लेकिन क्या वो खुद इस सीख को फॉलो करते हैं? क्या भाजपा के मंत्री, नेता और आइटी सेल इसे फॉलो करते हैं? भाजपा और प्रधानमंत्री के आचरण से बिल्कुल नहीं लगता कि वो ख़बरों या जानकारियों को साझा करने से पहले वेरिफाई करते हैं। ऐसे कितने ही मौके हैं जब खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झूठे तथ्यों को प्रचारित किया है और भ्रामक दावे किये हैं। तो विचार और व्यवहार में अंतर क्यों? ऐसा दोहरा चरित्र क्यों? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी! आप जो बोलते हो, उसे सुनिए भी।

मोदी के झूठे दावों की फेहरिस्त

प्रधानमंत्री खुद विभिन्न मौकों पर भ्रामक दावे और ग़लत तथ्यों का प्रचार करते रहे हैं। फ़ैक्ट चेक वेबसाइट factchecker.in पर प्रधानमंत्री के 43 दावों का फ़ैक्ट चेक किया और पड़ताल में पाया कि सभी दावे झूठे हैं। पूरी पड़ताल आप इस लिंक पर पढ़ सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी-7 के 48वें सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए जर्मनी गये हुए थे। 26 जून 2022 को नरेंद्र मोदी ने जर्मनी में भारत में विकास के संबंध में कई दावे किए। scroll.in ने इन दावों की पड़ताल की और पाया कि ज्यादातर दावे भ्रामक है। पूरी पड़ताल आप इस लिंक पर पढ़ सकते है।

18 जून 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दावा किया कि गुजरात में पोषण की स्थिति में सुधार हुआ है। जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि असल में स्थिति और भी खराब हुई है। ये मात्र कुछ उदाहरण है। नरेंद्र मोदी के भ्रामक और झूठे दावों की फेहरिस्त बहुत लंबी है। आप स्पष्ट तौर पर देख सकते हैं कि दूसरों को वेरिफिकेशन की सलाह देने वाले प्रधानमंत्री खुद बिना किसी वेरिफिकेशन के धड़ल्ले से झूठे दावों का प्रचार कर रहे हैं।

भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे झूठे प्रोपगेंडा पर प्रधानमंत्री मौन क्यों?

सवाल उठता है कि क्या प्रधानमंत्री सचमुच फ़ेक न्यूज़ को लेकर गंभीर हैं? गौरतलब है कि फिलहाल ना सिर्फ भाजपा आइटी सेल, नेताओं और मंत्रियों बल्कि गोदी मीडिया के द्वारा भी लगातार झूठी और भ्रामक ख़बरें प्रचारित की जा रही हैं। भाजपा नेता, मंत्री और मुख्यमंत्री लगातार फ़ेक और भ्रामक दावे कर रहे हैं। तस्वीरों को संदर्भों से काटकर ग़लत संदर्भों में इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन प्रधानमंत्री ने आज तक इस मुद्दे पर एक शब्द तक नहीं बोला है। प्रधानमंत्री बताएं कि झूठे प्रोपेगेंडा के तहत पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के खिलाफ दुष्प्रचार किसने किया है? झूठी तस्वीरों के जरिये सोनिया गांधी के चरित्र पर लांछन लगाने और उनकी छवि को खराब करने का प्रोपेगेंडा किसने चलाया? इतिहास को तरोड़-मरोड़कर झूठे तथ्यों को कौन प्राचरित कर रहा है? लगातार एक समुदाय के खिलाफ नफरती प्रचार कौन रहा है? कोविड के दौरान तब्लीगी जमात के खिलाफ दुष्प्रचार किसने किया? प्रधानमंत्री इन सब सवालों पर मौन रहेंगे। कभी खुलकर नहीं कहेंगे कि भाजपा सरकार, भाजपा नेता, मंत्रीगण और भाजपा आइटी सेल फ़ेक न्यूज़ फैलाने के मामले में लीड कर रही है। क्या मोदी जी ने कभी इन नेताओं की आलोचना की?

चुनाव के दौरान भाजपा जब स्थानीय दावों के संदर्भ में विदेशी तस्वीरें दिखाती है और वोटरों को गुमराह करती है, तब मोदी जी ख़मोश क्यों रहते हैं? पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में दुष्प्रचार किया गया कि वो “मौन” प्रधानमंत्री हैं। लेकिन भारतीय इतिहास में सवालों के प्रति मौन रहने की मिसाल कायम करने वाले प्रधानमंत्री स्वयं मोदी जी हैं, जिन्होंने आज तक एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की है।

फ़ेक न्यूज़ के मामले में बहुत सारे कीर्तिमान भाजपा के हिस्से में ही आये हैं। गौरतलब है कि सोशल मीडिया मंचों पर लगातार फ़ेक न्यूज़ को लेकर दबाव बनाया गया है और उन्हें बाध्य करने की कोशिशें होती रही हैं कि वो झूठे प्रचार और फ़ेक न्यूज़ को रोकने का कोई मैकेनिज़म निकाले। इसी सिलसिले में ट्विटर ने भारत में ट्विटर पर की गई पोस्ट को फ्लैग करना और लेबल करना शुरू किया। ट्विटर ने भारत में जिस पहली ट्वीट को “मैनिपुलेटिड मीडिया” का लेबल दिया वो भाजपा आइटी सेल के हेड अमित मालवीय का ट्वीट था। फ़ेक न्यूज़ व झूठे और ऩफरती प्रोपेगेंडा में भाजपा का रिकॉर्ड बहुत खराब है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी उस तरफ से अपनी नज़रें फेर लेते हैं। हवा में कह देते हैं कि फ़ेक न्यूज़ बवाल खड़ा कर सकती है और बिना वेरिफाई किये संदेश को फारवर्ड नहीं करना चाहिये। मोदी जी! जो बोलते हो उसे सुनो भी।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते रहते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।

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