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परीक्षाओं को रद्द करने की मांग को लेकर छात्रों का देशव्यापी प्रदर्शन

सोशल मीडिया पर भी छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराया। इसके लिए ट्विटर पर #PromoteStudentsWithoutExams हैशटैग के साथ छात्रों ने अपनी बात कही।
PromoteStudentsWithoutExams

दिल्ली: सभी परीक्षाओं को रद्द करने तथा छात्रों को प्रमोट करने की मांग को लेकर सोमवार को पूरे देश में छात्रों ने प्रदर्शन किया। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी छात्रों ने अपना विरोध दर्ज कराया। इसके लिए ट्विटर पर #PromoteStudentsWithoutExams हैशटैग के साथ छात्रों ने अपनी बात कही।

इस प्रदर्शन में आइसा, एसएफआई, केवाईएस, पछास, डीएसयू, बीएससीइएम सहित तमाम छात्र संगठनों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश में भी छात्रों को पुलिस ने हिरासत में लिया।  

दिल्ली यूनिवर्सिटी के उप कुलपति ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे छात्रों और उनके समर्थन में आए शिक्षकों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। प्रदर्शनकारियों ने अपने प्रदर्शन के दौरान शारीरिक दूरी का ध्यान रखा था। सभी दूर दूर खड़े होकर अपने हाथों में पोस्टर और नारे लगाकर अपना विरोध जता रहे थे। इसी दौरान पुलिस ने इन्हें हिरासत में ले लिया।

इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बदसलूकी का भी आरोप लगाया। हालांकि कुछ देर बाद सभी प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया गया।

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इसी तरह उत्तर प्रदेश की राजधानी में प्रदर्शन कर रहे छात्रों को भी पुलिस ने हिरासत में लिया और उन्हें बस में बैठाकर ले गई। इस घटना के बाद सभी छात्र संगठनों ने इसकी निंदा की और कहा सरकार छात्रों के विरोध के अधिकार को भी छीन रही हैं।  सभी छात्रों ने साफतौर पर कहा कि इस वैश्विक महामारी में ऑनलाइन या ऑफलाइन एग्जाम लेना गलत है और वो इसका विरोध करते है।

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सोमवार को हुए इस देशव्यापी प्रदर्शन में छात्र संगठनों की प्रमुख तीन मांगे हैं-

1.  इस महामारी के बीच हो रही ऑनलाइन परीक्षाएं रद्द करो। सभी विद्यार्थियों और अध्यापकों की जान खतरे में डाल कैंपस में होने वाली परीक्षाओं पर रोक लगाओ।

2. सभी विद्यार्थियों को प्रमोट किया जाए।
 
3. अन्तिम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए उनसे परामर्श लेकर उचित उपाय निकाले जाए।

आपको बता दें कि इस कोरोना महामारी के कारण देश के कई शिक्षण संस्थानों के एग्जाम नहीं हो पाए या पूरे नहीं हो पाए हैं। इसलिए कई राज्यों में और केंद्रीय विश्विद्यालयों में ऑनलाइन एग्जाम की बात कही जा रही है। इसको भेदभाव पूर्ण बताते हुए शिक्षक और छात्र दोनों ही इसका विरोध कर रहे है।
 
दिल्ली एएसएफआई के प्रदेश अध्यक्ष सुमित कटारिया ने कहा कि विश्वविद्यालयों का यह फैसला  भेदभाव पूर्ण ही नहीं बल्कि अव्यवहारिक भी है। आज भी जहाँ हमारे देश के कई जगह नेटवर्क इतना ख़राब है कि आप फ़ोन पर बात नहीं कर सकते वहां आप ऑनलाइन एग्जाम कैसे करा सकते हैं। इसके साथ छात्रों का एक बहुत बड़ा हिस्सा ऐसा है जिनके पास ऑनलाइन शिक्षा प्राप्त करने या एग्जाम देने के लिए जो साधन चहिए जैसे स्मार्ट मोबाईल या लैपटॉप वो नहीं है,तो वो छात्र कैसे एग्जाम देंगे।

उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि इस महामारी और लॉकडाउन से लोगों के दिमाग पर गहरा असर पड़ा है। इस दौरान छात्र अपनी पढ़ाई पर फोकस नहीं कर सके। इसके साथ ही कई विषयों का सेलब्स भी पूरा नहीं हुआ हैं। छात्र अभी एग्जाम देने के मानसिक हालत में नहीं है। इसलिए सभी छात्रों को प्रमोट किया जाना चाहिए।

सुमित ने बताया कि इसको लेकर देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं। दिल्ली में भी इसको लेकर कई विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। इसके साथ ही सोशल मीडिया पर भी हैशटैग के माध्यम से छात्रों ने विरोध जताया लेकिन सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की मांग पर ध्यान नहीं दे रहा है। वो लगातार छात्र विरोधी अधिसूचनाएँ जारी कर रहा।
 
उन्होंने कहा कि हम सरकार को साफतौर पर कहना चाहते हैं कि वो अपने छात्र विरोधी रवैये को रोके, नहीं तो छात्र अपना आंदोलन और तेज़ करेंगे। इसके लिए केवल सरकार जिम्मेदार होगी।

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) द्वारा ऑनलाइन ओपन बुक एग्ज़ाम पर एक ऑनलाइन जनमत संग्रह किया गया। इस जनमत में भाग लेने वाले 90% छात्रों का कहना है कि वो किसी भी तरह की परीक्षा के लिए अभी तैयार नहीं है। इस सर्वेक्षण में 51,452 छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया था।  

इस सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि 74% छात्र स्मार्टफोन पर निर्भर हैं और स्मार्टफोन पर परीक्षा आयोजित करना कोई अच्छा विकल्प नहीं है। इसी तरह, 46.6% छात्र 4 जी इंटरनेट सेवाओं का लाभ उठाते हैं, जबकि 10.9 % छात्र पुराने 2 जी सेवाओं पर निर्भर हैं।

जम्मू और कश्मीर के छात्रों ने कहा कि परीक्षा देने के लिए अशांत क्षेत्र में अस्थिर परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। जबकि लगभग 7% छात्र इंटरनेट का इस्तेमाल ही नहीं करते है। 80.5% छात्रों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान वो घर पर अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं।

हालंकि अधिकतर विश्वविद्यालयों ने फाइनल ईयर को छोड़कर बाकि सभी एग्जाम कैंसिल कर दिए हैं। कई राज्यों ने अपने विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर के भी एग्जाम रद्द कर दिए हैं। पुडुचेरी, महाराष्ट्र के सोमवार को तमिलनाडु केंद्रीय विश्वविद्यालय ने भी सभी छात्रों के लिए एग्जाम कैंसिल कर दिए हैं।

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छात्र संगठनों का कहना है कि जब ये कैंसल कर सकते है तो बाकि संस्थान ऐसा क्यों नहीं करते। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय इसको लेकर एक अधिसूचना निकाले, जिसके बाद जिसके बाद सभी राज्यों में इसे लागू किया जाए।

आइसा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एन साईं बालाजी ने कहा एग्जाम का आधार यह होता है कि आपने अपनी क्लास में कितना सीखा लेकिन जब छात्र क्लास ले ही नहीं पाए खासतौर पर ऑनलाइन क्लास तो इस एग्जाम का क्या औचित्य है? आगे उन्होंने कहा कि सरकार को यह छात्र विरोधी कदम को वापस लेना चाहिए।

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