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"द बीटल्स" से नए साल की सीख

जे के रोलिंग, ओप्रा विन्फ़्रे, स्टीवन स्पीलबर्ग और द बीटल्स में क्या चीज़ एक जैसी है? संकेत: यह न तो प्रसिद्धि है और न ही उनका पैसा।
The Beatles

1962 में नए साल के दिन लंदन में डेक्का रिकॉर्ड्स के लिए दो बैंड (संगीत मंडली) ने आवेदन किया था। दरअसल कंपनी एक नए नाटक के लिए भर्तियां कर रही थी, जो युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर लिखा गया था। दोनों बैंड को सुनने के बाद ब्रॉयन पूल और द ट्रेमेलोएस का चयन किया। ट्रेमेलोएस बैंड का बाद में "ट्विस्ट और शॉउट" नाम का गाना बहुत मशहूर हुआ था।

दूसरे बैंड के मैनेजर ब्रॉयन एपस्टीन को अपने फ़ैसले को समझाते हुए कंपनी के अधिकारियों ने कहा कि अब "गिटार बैंड प्रचलन से बाहर हो रहे हैं।" एपस्टीन ने अपने बैंड के गाने के लिए रिकॉर्ड कंपनी की खोज करना जारी रखा, लेकिन उनके बैंड के सदस्य जॉन, पॉल, जार्ज और रिंगो मायूस हो गए। यहां तक कि उन्होंने यह काम छोड़ने की तक इच्छा जताई। 

यह बैंड बाद में बहुत मशहूर हुआ द बीटल्स था। तब नए साल के मौके पर बैंड को जो अस्वीकृति मिली थी, वह आज, इस महामारी में भी हमारे लिए एक सीख है। 

सीख-1: वापस लौटने के लिए ज़रूरी संघर्ष का माद्दा

द बीटल्स वापसी करने वाला एकमात्र समूह नहीं है। हैरी पॉटर सीरीज़ की मशहूर लेखिका जे के रोलिंग को 12 प्रकाशन घरानों से खारिज होने के बाद ब्लूम्सबरी ने छापा था। माइकल जैकसन, प्रिंस हैरी और मेघन मॉर्कल जैसी कई प्रसिद्ध हस्तियों का इंटरव्यू करने वाली ओप्रा विन्फ्री कभी शाम की खबरों की संवाददाता थीं, उन्हें इस नौकरी से निकाल दिया गया था। उन्हें टेलीविजन खबरों के लिए अयोग्य करार दिया गया, क्योंकि वे कहानियों से खुद को भावनात्मक तौर पर दूर नहीं कर पाती थीं। फिर ऑस्कर जीतने वाले निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग को यूनिवर्सिटी ऑफ़ सदर्न कैलीफोर्निया के थिएटर, फिल्म और टेलिविजन स्कूल से 3 बार खारिज किया गया था।  

इन सभी में एक गुण मौजूद था- वापसी करने के लिए जरूरी संघर्ष का माद्दा।

टॉक शो के लिए मशहूर ओप्रा विन्फ़्रे (जिन्हें यहां मेगन मॉर्कल और प्रिंस हैरी का इंटरव्यू करते हुए दिखाया गया है) को एक बार "टीवी ख़बरों के लिए अयोग्य" क़रार दिया गया था।

कार्नेज मेलन यूनिवर्सिटी की सिलिकॉन वैली कैंपस में मेंटर और प्रोजेक्ट गाइड शांथा मोहन ने डीडब्ल्यू से चर्चा में कहा, "मुझे लगता है कि जो लोग लिखते हैं, या अपनी कला का प्रदर्शन कर हम सभी का मनोरंजन करते हैं, वे दुनिया में सबसे ज्यादा संघर्षवान व्यक्ति होते हैं। लेखकों के बारे में सोचिए- अपने काम के प्रकाशित होने से पहले उन्हें कई बार अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है। उन अभिनेताओं के बारे में सोचिए, जो एक भूमिका हासिल करने के पहले कई के लिए साक्षात्कार देकर खारिज हो चुके होते हैं। कोई भी कलाकार जो 10, 20, 30 साल से काम कर रहा हो, वो बेहद संघर्षवान होगा। हो सकता हो अपना करियर शुरू करने वाले कलाकार ऐसे ना हों। लेकिन यह लोग यू ट्यूब, इंटरनेट, इंस्टाग्राम आदि को लेकर बहुत अभयस्त होते हैं। वे अपना काम बना लेते हैं।"

कोविड से पहले, खारिज होने पर कलाकार अपने घावों पर मलहम लगाकर काम चला लेते थे, लेकिन लगातार लगाए जाने वाले लॉकडाउन और महामारी में अब और भी ज़्यादा संघर्षशील होने की जरूरत है। 

मोहन आगे कहती हैं, "एकांत में रहने के दौरान लगभग सभी कलाकारों ने अपने कौशल का इंटरनेट पर उपयोग किया। कई कलाकारों ने एक-दूसरे के साथ आकर प्रदर्शन किया। जैसे- एरियाना ग्रांडे औऱ जस्टिन बीबर ने एक साथमिलकर 'स्टक विद यू' नाम का म्यूजिक वीडियो बनाया। यह वीडियो इस महामारी में पहली पंक्ति में काम कर रहे लोगों के बच्चों को मदद देगा।" बता दें मोहन, रिटेल सॉल्यूशन्स (RSi) की सहसंस्थापक रही हैं, जो रिटेल डेटा एनालिटिक्स में एक अग्रणी कंपनी है। 

 "उम्मीद वापस हासिल करने के लिए मदद करिए।"- शांथा मोहन 

सीख-2: कुछ नया करना/नवोन्मेष

डेविड प्रिचार्ड, एलन लायसाट और पॉल मैकार्टनी, "द बीटल्स: एन ओरल हिस्ट्री" में एक जगह लिखते हैं, "रिकॉर्डिंग टेप को सुनने के बाद मैं समझ सकता हूं कि डेक्का ऑडिशन में हम क्यों असफल हुए। हमने उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। हालांकि उसमें कुछ दिलचस्प और मौलिक चीजें भी थीं।" शांथा मोहन आगे कहती हैं, "खैर, द बीटल्स ने उस हार को एक सीख के तौर पर लिया और हार नहीं मानी। असफलता ने उन्हें कुछ नया रचने को प्रेरित किया।"

मोहन बताती हैं कि बैंड ने डेक्का से पहले भी कई बार असफलता झेली थी। लेकिन उन्होंने अपनी क्षमताओं को मांझना जारी रखा। कई बार वे एक के बाद एक अलग-अलग जगहों पर शो करते। ऐसा ही एक शो हैमबर्ग, जर्मनी में 1960 में भी किया था।

मोहन ने "लीडरशिप लेशन्स विद द बीटल्स" नाम से एक किताब लिखी है, जिसका प्रकाशन मई, 2022 में होना है। वे कहती हैं, "द बीटल्स की शुरुआती असफलताओं ने उन्हें विनम्रता, दृढ़ मेहनत और अपने श्रोताओं का स्वाभाव और उनकी समझ सिखाई। हम सभी को याद है कि कैसे द बीटल्स के जोर-जोर से सिर हिलाने से उनके श्रोता उन्मादित होते थे।"

ABBA और उसके सदस्य: नवोन्मेष के बिल्कुल सही उदाहरण

अब हम आज पर लौटते हैं। स्वीडन का पॉप आइकॉन बैंड "ABBA" इसे एक कदम आगे ले गया है। यह बैंड इस साल अपनी 50वीं सालगिरह मनाएगा। मई 2022 में यह बैंड दुनिया का दौरा करने वाला है। 

गायक अपने डिजिटल अवतार "एब्बा-टार्स" को सामने पेश करेंगे। इसके तहत, यह कलाकार लोगों के सामने सीधे प्रदर्शन ना कर, तकनीक के ज़रिए खुद को स्टेज पर दिखाएंगे। इसके लिए इंडस्ट्रियल लाइट एंड मैजिक का सहारा लिया जा रहा है, जिसे स्टार वार्स के निर्माता जॉर्ज लुकास ने बनाया था। 

मतलब सामाजिक दूरी बनाए रखने के साथ-साथ मनोरंजन का भी उपाय। 

मोहन आगे कहती हैं, "एब्बा इस बात का अच्छा उदाहरण है कि आज के कलाकार कितने नवोन्मेषी हैं। उन्होंने आज के तकनीक समर्थक लोगों तक पहुंचने के लिए तकनीक का अच्छा इस्तेमाल किया है। एब्बा वोयेज, नाम के डिजिटल मंच पर यह कलाकार लोगों के सामने पेश होंगे, जैसे 1977 से यह कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते रहे हैं। एब्बा वोयेज नाम का यह मंच 2016 से ही काम कर रहा है।"

फ़िल्म स्कूल से तीन बार ख़ारिज होने के बाद स्पीलबर्ग ने तीन ऑस्कर जीते, जिसमें से दो सर्वश्रेष्ठ निर्देशक के लिए थे।

सीख-3: उम्मीद

मोहन कहती हैं कि आज यह वायरस लगातार खुद को बदल रहा है, कई जगह बार-बार लॉकडाउन लगाए जा रहे हैं, ऐसी स्थिति में एक व्यक्ति के तौर पर हमें उम्मीद रखनी होगी। इस उम्मीद को बनाए रखने का एक तरीका यह है कि जहां भी हो सके, वहां हम लोगों की मदद करें।

डेक्का एपिसोड की तरफ इशारा करते हुए मोहन कहती हैं कि "द बीटल्स के साथ उनके मैनेजर एप्सटीन थे, जिन्होंने उन्हें लगातार आगे बढ़ने की उम्मीद जगाए रखी। आप एक-दूसरे को उम्मीद दे सकते हैं।"

मोहन जोश एंड्रोस के काम से खास तौर पर प्रेरित हैं। जोश एंड्रोस, स्पेनिश मूल के अमेरिकी शेफ, रेस्त्रां संचालक और वर्ल्ड सेंट्रल किचन के संस्थापक हैं, जो बिना मुनाफ़े के प्राकृतिक आपदाओं के दौर में लोगों को भोजन उपलब्ध करवाता है। फिलहाल यह संगठन महामारी में प्रभावित लोगों को भी खाना उपलब्ध करवा रहा है। 

आखिरी में मोहन कहती हैं, "हमें यह विश्वास रखना होगा कि यह तात्कालिक है। हमें आगे बढ़ते रहना होगा और हम चाहे जिस तरीके से मदद कर सकें, अगर हम सक्षम हैं, तो हमें मदद करनी होगी। दूसरों की मदद करने से हम खुद को उम्मीद दे रहे होते हैं कि यह दौर भी निकल जाएगा।" 

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन

Courtesy : DW

अंग्रेज़ी में प्रकाशित इस मूल लेख को पढ़ने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें: 

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