BF.7 के भारत में फैलने का कोई सबूत नहीं: प्रो. सत्यजीत रथ

BF.7 नया ओमिक्रॉन सबवैरिएंट है जो चीन में काफ़ी तेज़ी से फैल रहा है। यह भारत में भी पाया गया है। इस लेख को लिखे जाने तक भारत में केवल चार BF.7 मामले दर्ज किए गए थे। सरकार द्वारा उठाए गए एहतियाती क़दम के तौर पर सार्वजनिक स्थानों पर मास्क पहनने और भीड़ भार वाली जगहों से बचने की सलाह की दी गई है। हवाई अड्डों पर स्क्रीनिंग और प्रतिबंध बढ़ा दिए गए हैं।
अत्यधिक संक्रामक BF.7 ने भारी चिंता पैदा कर दी है। हालांकि, ख़ौफ़ से परे सुरक्षित रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देने की ज़रूरत है। न्यूज़क्लिक के साथ पुणे स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान के प्रोफ़ेसर प्रख्यात इम्यूनोलॉजिस्ट और संकाय सहायक सत्यजीत रथ ने एक साक्षात्कार में ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब दिया है।
न्यूज़क्लिक (एनसी): भारत ओमिक्रॉन और डेल्टा समेत अन्य वैरिएंट का सामना किया है। क्या आपको लगता है कि पहले के जोखिम के कारण यहां की आबादी भी BF.7 का सामना कर पाएगी?
प्रोफ़ेसर रथ: मुझे नहीं लगता कि इस बात का कोई सबूत है कि SARS-CoV-2 का BF.7 वैरिएंट भारत में कोई लहर पैदा कर सकता है। इसका कोई सबूत नहीं है कि यह विशेष रूप से अधिक संक्रामक है, पिछली प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं से बचने में अधिक सक्षम है और ओमिक्रॉन मूल के अन्य रूपों (डेल्टा वैरिएंट के विपरीत) की तुलना में गंभीर बीमारी का कारण बनने की अधिक संभावना है। इस बात का कोई व्यवस्थित या वास्तविक सबूत नहीं है कि भारत में COVID-19 जैसी बीमारियों के लिए अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या बढ़ रही है।
उपरोक्त तर्कों की सीमा उक्त कथन पर उनका भरोसा है कि 'इसका कोई सबूत नहीं है...।' COVID-19 संक्रमणों, बीमारियों और वैरिएंट (और यहां तक कि टीकाकरण) पर नज़र रखने के लिए भारत के डेटा संग्रह, विश्लेषण और रिपोर्ट ने विशेष रूप से बड़े पैमाने पर या अच्छी तरह से काम नहीं किया है, जिससे इनमें से कुछ दावे कमज़ोर हो गए हैं।
एनसी: आपको क्या लगता है कि तेज़ी से फैलने के मामले में भारत में टीकाकरण से कितनी मदद मिलेगी?
प्रोफ़ेसर रथ: किसी भी प्रकोप के मद्देनज़र टीकाकरण के बहुत उपयोगी होने की संभावना नहीं है क्योंकि वायरस समुदाय में व्यापक रूप से घूम रहा होता है और टीका-प्रेरित प्रतिरक्षा विकसित होने में समय लगता है। इन सबके बावजूद, टीकाकरण को स्पष्ट रूप से गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और मौत की संख्या को कम करने में मदद करने के लिए दिखाया गया है।
हालांकि, वे वायरस संचरण को बहुत कम प्रभावी ढंग से प्रभावित करते हैं। इस तरह, जबकि हमारी आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा (बच्चे) को कवर नहीं किया गया है, कम से कम, 'एहतियाती' ख़ुराक जैसा क़दम निस्संदेह किसी भी प्रकोप में बीमारी की गंभीरता को कम करने में मदद करेगा।
एनसी: ऐसे दावे किए गए हैं कि चीनी टीके असरदार नहीं हैं और इसीलिए वे हाल के प्रकोप को रोकने में विफल रहे। आप इसके बारे में क्या कहना चाहते हैं?
प्रोफेसर रथ: हालांकि यह सही है कि निष्क्रिय संपूर्ण-वायरस टीके (जैसे कि चीन में व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले कुछ टीके और भारत में कोवैक्सिन) उपयोग में आने वाले कुछ अन्य टीकों की तुलना में कम शक्तिशाली सुरक्षा देते हैं, फिर भी वे पर्याप्त सुरक्षा देते हैं। इसके अलावा, इनमें से अधिकांश पहली पीढ़ी के टीके, चीनी या कोई, प्रभावी रूप से वायरस के संचरण को कम नहीं करते हैं। हालांकि, वे गंभीर बीमारी की संभावना को काफ़ी कम कर देते हैं।
चीन की उभरती हुई समस्या समुदाय में अब तक फैले किसी भी वायरस को लेकर अपूर्ण या अपर्याप्त वैक्सीन कवरेज के साथ- साथ इसकी पूर्ण कमी का संयोजन प्रतीत होता है। इसका मतलब है कि एक बार जब वायरस फैलना शुरू हो जाता है तो लोग अपर्याप्त रूप से सुरक्षित किए जाते हैं, जिससे प्रकोप बढ़ जाता है। भारत में ऐसी स्थितियां नहीं हैं।
मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित साक्षात्कार को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करेंः
No Evidence BF.7 Will Trigger Wave in India: Prof. Satyajit Rath
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