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मकान खरीदारों की शिकायतों का निपटारा तीन माह में करें अधिकारी: अदालत

गाजियाबाद की क्षिप्रा सृष्टि अपार्टमेंट ने एक रिहाइशी परियोजना के प्रवर्तक की ओर से समझौते के उल्लंघन में की गई कई अनियमितताओं को उजागर करते हुए यह याचिका दायर की थी। अदालत ने यह निर्णय 5 जनवरी, 2021 को दिया।
अदालत
Image courtesy: The Financial Express

प्रयागराज, फ्लैट खरीदारों और प्रवर्तकों के बीच विवाद के बढ़ रहे मामलों पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए ‘यूपी अपार्टमेंट एक्ट, 2010’ और ‘यूपी औद्योगिक क्षेत्र विकास कानून, 1976’ या किसी अन्य कानून के तहत सक्षम अधिकारियों को मकान के खरीदारों या उनके संघों की शिकायत का तीन महीने के भीतर निपटारा करने का निर्देश दिया है।

आपको बता दे बड़े बड़े बिल्डर मकान खरीदारों से पैसे लेकर सालों साल तक माकन नहीं देते।  इसको लेकर कईबार सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकारों को आदेश दिया है इस पर कार्रवाई करे लेकिन अभीतक इस मामले में कुछ होता नहीं दिख रहा है।  ऐसे ही एक याचिका की सुनवाई करते हुए।

अदालत ने कहा कि इसके अलावा, सक्षम अधिकारी यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी निर्णय करने से पूर्व संबद्ध पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाये।

गाजियाबाद के क्षिप्रा सृष्टि अपार्टमेंट द्वारा दायर रिट याचिका निस्तारित करते हुए न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने आगे निर्देश दिया कि एक राजपत्रित अधिकारी छह महीने में कम से कम एक बार उस (विवाद वाले) अपार्टमेंट का दौरा करेगा और इस संबंध में वहां पंजीकृत संघ को पहले से सूचना दी जाएगी ताकि सदस्य अपनी शिकायतें बता सकें।

अदालत ने कहा, “किसी भी तरह के उल्लंघन को तत्काल संबद्ध अधिकारी के संज्ञान में लाया जाएगा जो तत्काल उपचारात्मक कदम उठाएगा।”

ये निर्देश पारित करते हुए अदालत ने कहा, "हमें देखने को मिलता है कि मकान के खरीदारों की ओर से बड़ी संख्या में मामले इस अदालत में आ रहे हैं। ये खरीदार अपनी गाढ़ी मेहनत की कमाई से फ्लैट खरीदते हैं और उन्हें प्रवर्तकों, बिल्डरों, विकास प्राधिकरणों की ओर से मनमानी का सामना करना पड़ता है तथा इस तरह के विवादों को हल करने के बजाय वे मूक दर्शक बन जाते हैं। "

अदालत ने कहा कि यह निर्देश इसलिए जारी किया गया है ताकि एक मकान क्रेता या पंजीकृत संघ को बार बार इस अदालत का रुख न करना पड़े।

गाजियाबाद की क्षिप्रा सृष्टि अपार्टमेंट ने एक रिहाइशी परियोजना के प्रवर्तक की ओर से समझौते के उल्लंघन में की गई कई अनियमितताओं को उजागर करते हुए यह याचिका दायर की थी। अदालत ने यह निर्णय 5 जनवरी, 2021 को दिया।

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