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21 जुलाई को बैंक कर्मचारी संसद के समक्ष करेंगे विरोध प्रदर्शन, ट्रेड यूनियनों ने भी दिया समर्थन
सीटीयू ने 21 जुलाई को संसद के समक्ष बैंक कर्मियों के धरने को अपना समर्थन दिया। इस प्रदर्शन का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया है।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
19 Jul 2022
protest
फाइल फ़ोटो।

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र की शुरूआत हो गई है जिसमें संभव है कि सरकार सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की सुविधा वाला विधेयक पेश करे। इसके खिलाफ़ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (सीटीयू) ने कड़ा विरोध जताया है।

सीटीयू ने 21 जुलाई को संसद के समक्ष बैंक कर्मियों के धरने को अपना समर्थन दिया। इस प्रदर्शन का आह्वान यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) ने किया है।

सोमवार को जारी सीटीयू के संयुक्त मंच द्वारा एक बयान में कहा गया है कि "... हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का पूरी तरह से विरोध करते हैं जो हमारे आर्थिक विकास के मुख्य इंजन हैं। यह उल्लेखनीय है कि बैंकों के निजीकरण के लिए सरकार के ख़िलाफ़ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूएफबीयू) के बैनर तले बैंक यूनियनों ने इस कदम के खिलाफ लड़ाई लड़ी है।"

INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, और UTUC द्वारा हस्ताक्षरित साझा बयान में कहा गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को निजी क्षेत्र को सौंपने का "कोई मतलब नहीं है।"

केंद्र सरकार लगातार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण के प्रयास कर रही है। सरकार द्वारा नियुक्त विभिन्न समितियों ने भी सरकार के विचारों को आगे बढ़ाने का काम किया है और बार-बार बैंकों के निजीकरण की सिफारिश की है। हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च की पूनम गुप्ता और नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पनागरिया द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में पूरे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का भी सुझाव दिया गया है।

यूनियनों ने तर्क दिया "सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण का कोई मामला नहीं है क्योंकि वर्तमान में केवल बड़ी निजी कॉर्पोरेट कंपनियां हैं जो बड़े बैंक ऋण के प्रमुख डिफॉल्टर हैं, जिसके कारण बैंक प्रावधानों, राइट-ऑफ और हेयरकट के लिए बड़ी मात्रा में खर्च करना पड़ रहा हैं।" .

आगे सार्वजनिक बैंको के पक्ष में तर्क देते हुए, यूनियनों ने टिप्पणी की कि सार्वजनिक बचत सार्वजनिक बैंकों के पास रहनी चाहिए "क्योंकि अतीत में हमारे कड़वे अनुभव केहै जहां कई निजी बैंक ध्वस्त हो गए हैं, और लोगों ने अपनी कीमती बचत खो चुके है।"

उन्होंने आगे कहा , हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए, भी जरूरी है कि हम आम जनता के सेविंग को अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण और जरूरतमंद क्षेत्रों में प्रयोग करें। केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक कृषि, रोजगार सृजन, गरीबी में कमी, स्वास्थ्य और शिक्षा, महिला सशक्तिकरण छोटे, मध्यम और कुटीर उद्योगों, निर्यात आदि प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण देते हैं। निजी क्षेत्र के बैंक केवल वहीं ऋण देने में रुचि रखते हैं जहां लाभ सुनिश्चित हो, उन्हें देश की सामाजिक जरूरतों से कोई लेना देना नहीं होता है।

निजीकरण का विरोध करने के लिए इसी तर्ज पर तर्क देते हुए, यूएफबीयू के बैनर तले देश में बैंकों के कर्मचारियों और अधिकारियों की यूनियनों ने भी 21 जुलाई को संसद के समक्ष धरना देने का निर्णय किया।

अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) के महासचिव सी वेंकटचलम ने न्यूज़क्लिक को सोमवार को बताया कि, "अगर सरकार संसद में सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण के लिए विधेयक पेश करती है या चालू मानसून सत्र में ऐसा करने की घोषणा करती है तो बैंक यूनियन हड़ताल का आह्वान करेंगे।"

उन्होंने कहा कि बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों ने रविवार सुबह एक ट्विटर अभियान भी चलाया, जो "सफल" रहा और इसे आगे भी जारी रखा जाएगा।

वित्त वर्ष 2021-22 के केंद्रीय बजट में, मोदी सरकार ने इस साल अप्रैल में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक साथ दो सार्वजनिक बैंकों के निजीकरण की घोषणा की थी, सरकार उसी के लिए अपनी प्रतिबद्धता को पूरा कर रही है।

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रेड यूनियनों के विरोध के कारण ही घोषणा करने के बाद कई महीने बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार बैंक के निजीकरण पर उल्लेखनीय प्रगति नहीं कर पाई है।

पिछले साल दिसंबर में, देश भर में आठ लाख से अधिक बैंक अधिकारियों और कर्मचारियों ने संसद के तत्कालीन शीतकालीन सत्र के विधायी व्यवसाय में देश में बैंकिंग कानूनों में संशोधन करने वाले विधेयक को सूचीबद्ध करने के विरोध में दो दिनों के लिए हड़ताल किया था।

इसी तरह, इस साल मार्च में भी बैंक कर्मियों ने दो दिन का काम कर सीटीयू की दो दिवसीय आम हड़ताल के आह्वान में शामिल हुए थे।

Bank Privatisation
Bank Unions
United forum of bank unions
Central Trade Unions
All India Bank Employees Union
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TUCC
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