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जेएनयू में छात्रा से छेड़छाड़ के मामले में एक व्यक्ति गिरफ़्तार, GSCASH बहाली की मांग

जेएनयू की पीएचडी छात्रा के साथ विश्वविद्यालय परिसर में छेड़छाड़ की घटना घटी थी जिसने जेएनयू प्रशासन और दिल्ली की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। घटना के 100 से अधिक घंटे के बाद रविवार को 27 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ़्तार किया गया।
JNU

दिल्ली: छात्रों और सामाजिक संगठनों के विरोध प्रदर्शनों के दबाव के बाद आखिरकार कल रविवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छेड़छाड़ मामले में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया है। जेएनयू की पीएचडी छात्रा के साथ विश्वविद्यालय परिसर में छेड़छाड़ की घटना घटी थी जिसने जेएनयू प्रशासन और दिल्ली की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए थे। घटना के 100 से अधिक घंटे के बाद रविवार को 27 वर्षीय एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। यह जानकारी पुलिस ने दी।

गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मीडिया को बताया कि घटना के समय आरोपी नशे में था और उसकी पहचान अक्षय दोलाई के रूप में की गई है। पश्चिम बंगाल का मूल निवासी दोलाई अपनी पत्नी और बच्चों के साथ दक्षिण दिल्ली के मुनिरका में रहता है और भीकाजी कामा प्लेस में मोबाइल रिपेयरिंग की एक दुकान पर काम करता है।

पुलिस ने कहा कि जेएनयू परिसर और उसके आसपास लगे एक हजार से अधिक सीसीटीवी कैमरों के फुटेज का विश्लेषण करने के बाद आरोपी की पहचान की गई और उसे पकड़ा गया. पुलिस ने कहा कि दोलाई को तब गिरफ्तार किया गया जब वह अपने किराये के घर में प्रवेश कर रहा था।

पुलिस के मुताबिक 17 जनवरी की सुबह आरोपी का उसकी पत्नी से झगड़ा हो गया था, जिसके बाद वह मायके चली गई। पुलिस ने बताया कि परेशान दोलाई ने शाम को शराब पी और अपने स्कूटर पर जेएनयू की ओर चल पड़ा।

पुलिस ने बताया कि विश्वविद्यालय पहुंचने पर, उसने तीन लड़कियों को विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश करते देखा और 'बुरे इरादों' के साथ उनका पीछा किया। पुलिस ने बताया कि हालांकि, तीनों अपने हॉस्टल के अंदर चली गईं। लेकिन कुछ देर बाद उसने परिसर के अंदर पीएचडी छात्रा को जॉगिंग करते देखा।  जब छात्रा सुनसान जगह पर पहुंची तो दोलाई रुका और उससे छेड़छाड़ की।

पुलिस ने बताया कि छात्रा ने विरोध किया जिसके बाद हाथापाई हुई, जिसमें दोलाई के एक पैर में चोट लग गई। पुलिस ने बताया कि इसके बाद छात्रा ने अपना फोन निकाला और पुलिस को सूचना देने की धमकी दी, हालांकि, दोलाई ने फोन छीन लिया और फरार हो गया।

पुलिस के अनुसार, 17 जनवरी रात करीब 12.45 बजे वसंत कुंज नार्थ पुलिस थाने में जेएनयू के अंदर एक छात्रा के साथ छेड़छाड़ की पीसीआर कॉल आई थी। पुलिस उपायुक्त (दक्षिण पश्चिम) गौरव शर्मा एसएचओ वसंत कुंज नॉर्थ और पुलिसकर्मियों के साथ मौके पर पहुंचे।

शर्मा ने कहा, ‘‘हमने प्रवेश द्वार पर रजिस्टरों की जांच की, लेकिन आरोपी या उसके वाहन से संबंधित कोई प्रविष्टि नहीं मिली। यह मुश्किल था और महिला भी सदमे में थी। हमने इलाके में एक हजार से अधिक सीसीटीवी स्कैन किए।''

पुलिस ने कहा कि जांच दल ने इलाके में सीसीटीवी की मदद से दोलाई द्वारा लिए गए मार्ग की मैपिंग की और पाया कि वह मुनिरका लौट गया है।

शर्मा ने कहा, ‘‘परिसर से निकलने के बाद, वह नेल्सन मंडेला मार्ग गया, लेकिन पुलिस पिकेट देखा और रिंग रोड की ओर मुड़ गया। हमारे पास उसकी गतिविधियों के फुटेज हैं। हमने उसकी पहचान की और फिर उसे उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। ''

पुलिस ने बताया कि एक महिला के शील भंग का मामला वसंत कुंज नार्थ पुलिस थाने में दर्ज किया गया है। पुलिस ने छात्रा के फोन के साथ दोलाई का स्कूटर भी जब्त कर लिया है।

आपको बता दे 17 जनवरी 2022 को जेएनयू की छात्रा के साथ रेप का प्रयास किया गया था। घटना कुलपति निवास के समीप हुई जब पीड़िता वीसी रोड पर जा रही थी, दोपहिया पर सवार एक व्यक्ति ने छात्रा को घसीटकर जंगल की ओर खींचने की कोशिश की और उसके साथ बलात्कार का प्रयास किया।

हालाँकि दिल्ली पुलिस द्वारा आरोपी की गिरफ़्तारी से छात्रों का तात्कालिक गुस्सा भले कम हुआ हो लेकिन इस घटना ने उनकी चिंताओं को और बड़ा दिया है। छात्र सुरक्षित कैंपस की मांग को लेकर सवाल उठा रहे हैं।

जेएनयू में छात्र संगठन इस घटना के बाद से ही महिला सुरक्षा और लिंग आधारित हमलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। कल रात जब पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया, उससे कुछ घंटे पहले सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में लोगों ने #JNUDemandsGSCASH #DelhiPoliceActNow के साथ दिल्ली पुलिस से कार्रवाई की मांग और कैंपस में फिर से जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अगेंस्ट सेक्सुअल हरैसमेंट(GSCASH) को बहाल करने की मांग उठा रहे थे।

छात्र संगठन स्टूडेंट फेडरशन ऑफ़ इण्डिया की दिल्ली इकाई ने अपने एक बयान में कहा कि यह घटना समाज में व्याप्त पितृसत्ता का शर्मनाक प्रतिबिंब है। लॉकडाउन के दौरान इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं जहां सतर्कता कम हो गई है। यह शर्मनाक है कि जो छात्र अल्पसंख्यक लिंग के रूप में पहचान रखते हैं, उन्हें विश्वविद्यालय के क्षेत्र में इस तरह के आघात से गुजरना पड़ता है। इस तरह की घटनाओं की सूचना मिलने और पुलिस द्वारा लापरवाही से निपटने की निंदा की जानी चाहिए।

एसएफआई दिल्ली के राज्य सचिव प्रीतीश मेनन ने जेएनयू में हमले को एक अलग घटना नहीं बल्कि समाज में बढ़ती बलात्कार संस्कृति का परिणाम बताया। उन्होंने पितृसत्ता के दुष्परिणामों और ऐसे मामलों में पुलिस प्रशासन द्वारा लगातार हो रही लापरवाही का भी जिक्र किया।

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)

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