काशी में पीएम मोदी ने 'राजनीतिक गिरावट' की कही बात, लेकिन भूल गए ख़ुद के विवादित बोल
बीते लंबे समय से देश की राजनीति में चुनावी समर के दौरान राजनेताओं की ज़ुबान फिसलने का इतिहास रहा है। लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनावों में न सिर्फ़ कई नेताओं की ज़ुबान फिसली है, बल्कि उन्होंने राजनीति से इतर नेताओं की निजी ज़िंदगियों में तांक-झांक वाले ऐसे बोल बोले हैं, जो न सिर्फ़ आपत्तिजनक हैं, बल्कि जिसकी उनसे उम्मीद नहीं की जाती है। सवाल जब देश के सबसे बड़े सूबे के सत्ता की चाबी वाले पूर्वांचल की हो तो कोई भला कैसे ये नेता अपने प्रतिद्वंद्वी को बख्स दें। इस जमात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर विभिन्न पार्टियों के दिग्गज राजनेता शामिल हैं।
यूपी में रविवार, 27 फरवरी को पांचवे चरण की वोटिंग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी पहुंचे। यहां उन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के मैदान में 20 हजार बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया साथ ही अपने विपक्षियों पर जमकर हमला भी बोला। इस भाषण में उन्होंने अपने विरोधियों की भाषा की मर्यादा को लेेकर कई ऐसी बातें भी कहीं, जो पीएम मोदी खुद भी कई बार भूल जाते हैं।
पूर्वांचल का खेल
बता दें कि उत्तर प्रदेश विधानसभा की करीब 30 फीसदी सीटें पूर्वांचल से आती हैं। इन सीटों पर अभी दो चरण के मतदान बाकी हैं, जिसके लिए तीन और सात मार्च को वोट डाले जाएंगे। पूर्वांचल के महत्व को ऐसे भी समझ सकते हैं कि सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल से ही आते हैं। साथ ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूर्वांचल की वाराणसी सीट से ही सांसद हैं। यहां पिछले चुनाव में बीजेपी ने 117 में से 80 सीटें जीती थी।
पीएम मोदी ने रविवार को अपने संबोधन में राजनीति में नेताओं के गिरते स्तर पर बात की। उन्होंने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर उन पर और उनके बयानों पर निशाना साधा।
पीएम मोदी ने कहा, “हम सभी ने देखा कि भारत की राजनीति में कुछ लोग किस हद तक नीचे गिर गए हैं। मैं किसी की व्यक्तिगत आलोचना करना पसंद नहीं करता और ना ही किसी की आलोचना करना चाहता हूं। लेकिन जब सार्वजनिक रूप से काशी में मेरी मृत्यु की कामना की गई, तो वाकई मुझे बहुत आनंद आया, मेरे मन को बहुत सुकून मिला।"
विपक्षी साइकिल पर निशाना
उन्होंने आगे कहा, "हमें लगा कि मेरे घोर विरोधी भी देख रहे हैं कि काशी के लोगों का मुझ पर कितना स्नेह है। मैं यह जान गया कि मेरी मृत्यु तक न काशी के लोग मुझे छोड़ेंगे और न मैं उनकी सेवा करना छोड़ूंगा। बाबा विश्वनाथ के भक्तों की सेवा करते-करते अगर मैं चला जाऊं, तो इससे बड़ा सुख और क्या होगा? उन घोर परिवारवादियों को क्या पता कि यह जिंदा शहर बनारस है। यह शहर मुक्ति के रास्ते खोलता है। बनारस अब देश के लिए गरीबी और अपराध से मुक्ति के द्वार खोलेगा।"
यहां पीएम मोदी अखिलेश यादव के उस बयान पर पलटवार कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि प्रधानमंत्री वहां दो-तीन महीने रहें, अच्छी बात है। वह जगह रहने वाली है। आखिरी समय पर वहीं रहा जाता है, बनारस में...। मालूम हो कि प्रधानमंत्री मोदी दिसंबर महीने में श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण के लिए वाराणसी आए थे। वे 2 दिन वहां रुके थे। तभी अखिलेश यादव की ये प्रतिक्रिया सामने आई थी।
पीएम मोदी ने ये भी कहा कि काशी पहले भूमाफियाओं के हवाले थी। काशी में घाटों पर, मंदिरों पर बम विस्फोट होते थे। आतंकवादी बेखौफ थे, क्योंकि तब की समाजवादी सरकार उनके साथ थी। सरकार आतंकियों से खुलेआम मुकदमे वापस ले रही थी। इसके अलावा भी पीएम मोदी ने समाजवादी सरकारी और अखिलेश यादव पर हमला बोलते हुए कई बातें कहीं।
ध्यान रहे कि इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उत्तर प्रदेश में आतंकियों को कथित शह को लेकर प्रतिद्वंद्वी समाजवादी पार्टी को घेरते हुए बेवजह उसके चुनाव चिह्न साइकिल पर सवाल उठाए थे।
राजनीति करने का आरोप और सवाल
गौरतलब है कि कई बार पीएम मोदी अपने विरोधी दलों पर वोट की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए बार-बार दावा करते हैं कि उनकी पार्टी वोट की राजनीति नहीं किया करती। लेकिन पीएम कई बार सत्ता हासिल करने की होड में अपने पद की गरिमा तक भूल जाते हैं।
बहरहाल, पीएम ने अपने भाषण में राजनीति के जिस गिरावट की बात की, शायद वो भी कहीं न कहीं उसी लाइन में खड़े नज़र आते हैं। चुनावी रैलियों में छुटभैये नेताओं और प्रधानमंत्री का स्तर समान ही दिखाई पड़ता है। बीते कई चुनावों में पीएम साहब की भाषा मर्यादा और नैतिकता की रेखाएं पार करती रही हैं। 2019 लोकसभा चुनावों में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को "भ्रष्टाचारी नंबर एक" बताना हो या पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को अपमानजनक तरीके से ‘दीदी ओ दीदी’ कहना हो। झारखंड में उपद्रवियों को कपड़ों से पहचानने की बात हो या कब्रिस्तान बनाम श्मशान का बयान। हर रैली में उन्होंने एक स्टार प्रचारक के तौर पर भले ही अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और अपने समर्थकों को खुश किया होगा, लेकिन एक पीएम के तौर पर वो आम लोगों को निराश ही करते रहे हैं।
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