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प्रधानमंत्री का अगले डेढ़ साल में 10 लाख नौकरी का ऐलान; हर साल दो करोड़ नौकरी का था वादा, कांग्रेस ने ली चुटकी

कांग्रेस ने कहा कि हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा करने के बाद अब सरकार ने वर्ष 2024 तक सिर्फ 10 लाख नौकरी देने की बात की है।
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नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सभी विभागों और मंत्रालयों में अगले डेढ़ साल के दौरान 10 लाख लोगों की भर्ती करने के लिए दिए गए निर्देश को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर कटाक्ष किया है।

कांग्रेस ने कहा कि हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा करने के बाद अब सरकार ने वर्ष 2024 तक सिर्फ 10 लाख नौकरी देने की बात की है।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘‘वादा था दो करोड़ नौकरी हर साल देने का, आठ साल में देनी थीं 16 करोड़ नौकरियां। अब कह रहे हैं साल 2024 तक केवल 10 लाख नौकरी देंगे। 60 लाख पद तो केवल सरकारों में खाली पड़े हैं, 30 लाख पद केंद्र सरकार में खाली पड़े हैं। जुमलेबाजी कब तक?’’

प्रधानमंत्री मोदी ने विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों से कहा है कि वे ‘‘मिशन मोड’’ में काम करते हुये अगले डेढ़ साल में दस लाख लोगों की भर्ती करें। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी।

पीएमओ ने कहा कि सभी सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा के बाद प्रधानमंत्री का यह निर्देश आया है।

बेरोजगारी के मसले पर विपक्ष की ओर से सरकार की लगातार की जा रही आलोचना के बीच प्रधानमंत्री का यह फैसला आया है। विभिन्न सरकारी क्षेत्रों में खाली पड़े पदों का मुद्दा भी पिछले कुछ समय से सुर्खियों में रहा है।

अगले 18 महीनों में 10 लाख पदों को भरे जाने का मतलब है कि केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पास 2024 के आगामी लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी के मुद्दे पर विपक्ष की हर आलोचना की काट के लिए एक ठोस जवाब रहेगा।

लोकसभा का अगला चुनाव वर्ष 2024 के अप्रैल-मई महीने में होने की संभावना है।

पीएमओ ने ट्वीट करके कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने सभी सरकारी विभागों एवं मंत्रालयों में मानव संसाधन की स्थिति की समीक्षा की और मिशन मोड में अगले डेढ़ साल में दस लाख लोगों की भर्ती करने का निर्देश दिया।’’

वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले व्यय विभाग द्वारा वेतन व भत्तों पर जारी ताजा वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार के कुल नियमित सिविल कर्मचारियों (केंद्र शासित प्रदेशों सहित) की संख्या एक मार्च 2020 की अवधि तक 31.91 लाख थी जबकि स्वीकृत पदों की कुल संख्या 40.78 लाख थी। इस हिसाब से करीब 21.75 प्रतिशत पद रिक्त थे।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कुल श्रम शक्ति का करीब 92 प्रतिशत हिस्सा पांच प्रमुख मंत्रालयों या विभागों के अंतर्गत आता है, इनमें रेलवे, रक्षा (सिविल), गृह कार्य, डाक और राजस्व शामिल हैं।

कुल 31.33 लाख पदों की निधार्रित संख्या (संघ शासित प्रदेशों को छोड़कर) में रेलवे की हिस्सेदारी 40.55 प्रतिशत, गृह मामलों की 30.5 प्रतिशत, रक्षा (सिविल) की 12.31 प्रतिशत, डाक की 5.66 प्रतिशत, राजस्व की 3.26 प्रतिशत और अन्य मंत्रालयों व विभागों की 7.72 प्रतिशत है।

संघ शासित प्रदेशों और दूतावासों सहित केंद्र सरकार के नियमित सिविल कर्मचारियों के वेतन व भत्तों पर कुल खर्च (प्रोडक्टिविटी-लिंक्ड बोनस या तदर्थ बोनस, मानदेय, अर्जित छुट्टियों का नकदीकरण और यात्रा भत्ता को छोड़कर) वर्ष 2019-20 में 2,25,744.7 करोड़ रुपये था जबकि मार्च 2018-19 में यह आंकड़ा 2,08,960.17 करोड़ रुपये था।

इस रिपोर्ट के मुताबिक केंद्रीय सुरक्षा बलों में कुल स्वीकृत पदों 10.16 लाख के मुकाबले मार्च 2020 में 9.05 लाख कर्मचारी थे।

सरकारी सूत्रों के मुताबिक विभिन्न विभागों और मंत्रालयों से रिक्त पदों की विस्तृत जानकारी मांगी गयी थी, और इसकी पूरी समीक्षा करने के बाद प्रधानमंत्री ने 10 लाख लोगों की भर्ती के निर्देश दिए।

पिछले विधानसभा चुनावों में विपक्षी दलों ने बेरोजगारी के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था लेकिन भाजपा ने कल्याणकारी योजनाओं और विकास के साथ हिन्दुत्व के मुद्दों को आगे रखते हुए विपक्षी आक्रमण की धार कुंद कर दी थी और सफलता हासिल की थी।

बेरोजगारी के मुद्दे पर भाजपा विपक्ष के आरोपों को लगातार यह कहकर भी खारिज करती रही है कि सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों से देश में उद्यमिता और रोजगार निर्माण को बढ़ावा मिला है।

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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