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फिलिस्तीनियों ने ट्रम्प के एकतरफा 'शांति' समझौते को नकारा

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रस्तावित तथाकथित "सदी का समझौता" फिलिस्तीनी लोगों के मशविरे के बिना तैयार किया गया है और माना जाता है कि वह पूरी तरह इज़रायल के कब्जे वाले क्षेत्र के पक्ष में है।
Palestinians in Gaza opposing the so called deal of the century

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की प्रस्तावित "शांति योजना" के ख़िलाफ़ 27 जनवरी को गाजा शहर में विरोध प्रदर्शन किया गया। ट्रंप के दामाद जरेद कुशनर की देखरेख में पिछले एक साल में ये तथाकथित "सदी का समझौता" तैयार किया गया है। आलोचकों का कहना है कि फिलिस्तीनियों द्वारा इस समझौते को पूरी तरह खारिज किया गया जो इजरायल के पक्ष में हैं।

इस समझौता के ख़िलाफ़ प्रदर्शनकारियों ने मध्य पूर्व शांति प्रक्रिया के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष समन्वयक (यूएनएससीओ) के कार्यालयों के सामने इकट्ठा हुए और ट्रम्प का पुतला जलाया। उन्होंने यह भी मांग की कि इस समझौते को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र हस्तक्षेप करे। डेमोक्रेटिक फ्रंट के नेता तलाल अबू ज़रीफा ने कहा, "हम संयुक्त राष्ट्र से तुरंत हस्तक्षेप करने की मांग करते हैं।"

पिछले हफ्ते एक ट्वीट में, ट्रम्प ने कहा कि मंगलवार यानी 28 जनवरी को शाम में शांति समझौते को जारी करने की उनकी योजना है। उन्होंने कल व्हाइट हाउस में इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनके प्रतिद्वंद्वी बेनी गैंट्ज़ के साथ मुलाकात की। किसी फिलिस्तीनी प्रतिनिधियों को इस बैठक में बुलाया नहीं गया था।

फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री मोहम्मद शतायेह ने चिंता व्यक्त की है कि ट्रम्प का एकतरफा समझौता "फिलिस्तीनी अभियान" को समाप्त करेगा जबकि इज़राइल को उसकी इच्छा के अनुसार सबकुछ मिलेगा। शतायेह के हवाले से अलजज़़ीरा ने लिखा, "हम इसे अस्वीकार करते हैं और हम मांग करते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसके भागीदार न बने क्योंकि यह अंतर्राष्ट्रीय क़ानून और बुनियादी फिलिस्तीनी अधिकारों के मौलिक तत्व की अवहेलना करता है।"

ट्रम्प की योजना के बारे में महीनों से कहा जा रहा है। हालांकि, अमेरिकी सीनेट में ट्रम्प के ख़िलाफ़ चल रहे महाभियोग के मामले से ध्यान हटाने के लिए अब इस समझौते को जारी करने के उनके फैसले को एक बड़ी रणनीति मानी जा रही है। यह समझौता नेतन्याहू की मदद भी कर सकता है जो भ्रष्टाचार के मामलों में अभियोजन पक्ष से प्रतिरक्षा की मांग कर रहे हैं जिसमें उन पर दोष लगाया गया है।

इस बीच, फिलीस्तीनी दिसंबर 2017 में इज़राइल की राजधानी के रूप में यरूशलेम की मान्यता के बाद से ट्रम्प प्रशासन का बहिष्कार कर रहे हैं। ट्रम्प ने तब से कब्जे वाले वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम में अवैध इजरायल की बस्तियों का भी समर्थन किया है और फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत और वर्क एजेसी को फंड देना रोक दिया है।

पिछले साल जून महीने में कुश्नर ने इस समझौते के आर्थिक पहलुओं का खुलासा करने के लिए मनामा में "पीस टू प्रोस्पेरिटी" कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया था। इस कॉन्फ्रेंस का फिलीस्तीनियों और कुछ अन्य अरब देशों ने भी बहिष्कार किया था।

साभार : पीपल्स डिस्पैच

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