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संसद कार्यवाही : विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष ने सरकार को घेरा, राज्यसभा दिन भर के लिए स्थगित, तो वहीं लोकसभा भी हुई कई बार स्थगित

संसद के इस मानूसन सत्र में विपक्ष ने संयुक्त रूप से सरकार की घेरा बंदी की योजना बना ली है।  विपक्ष लगातार कोरोना में सरकारी लापरवाही, किसान आंदोलन, पत्रकारों, नेताओं की जासूसी जैसे तामाम मुद्दों पर सरकार को घेर रही है।  सदन के भीतर विपक्ष आक्रमक है जिस कारण सरकार सदन नहीं चला पा रही  है।
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Image courtesy : DNA India

संसद के इस मानूसन सत्र में विपक्ष ने संयुक्त रूप से सरकार की घेरा बंदी की योजना बना ली है।  विपक्ष लगातार कोरोना में सरकारी लापरवाही,किसान आंदोलन, पत्रकारों ,नेताओं की जासूसी जैसे तामाम मुद्दों पर सरकार को घेर रही है।  सदन के भीतर विपक्ष आक्रमक है जिस कारण सरकार सदन नहीं चला पा रही  है।  आज भी दोनों सदनों में सरकार फंसी हुई दिखी।  राज्यसभा, जहां दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई है, वहीं लोकसभा में अभी तक तीन बार स्थागन हो चुका है।  लोकतंत्र में ये मान जाता है कि सदन चलना सत्ता पक्ष की ज़िम्मेदारी होती है, उसका काम है कि वो विपक्ष को संतुष्ट करे और सदन को  सुचारु रूप से चलाए, लेकिन सरकार ऐसा नहीं कर पा रही है।  एक बार दोनों सदनों में क्या हुआ, इस पर नज़र डालते हैं:

राज्यसभा : कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित

अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक बृहस्पतिवार को दो बार के स्थगन के बाद अंतत: दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

हंगामे के कारण सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ‘‘पेगासस विवाद’’ पर अपना बयान ढंग से नहीं दे सके। उन्हें इसे सदन के पटल पर रखना पड़ा। हंगामे की वजह से शून्यकाल और प्रश्नकाल भी नहीं चल सके।

दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई उपसभापति हरिवंश ने बयान देने के लिए वैष्णव का नाम पुकारा। इसी दौरान विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

वैष्णव ने बयान की शुरुआत की ही थी कि हंगामा और तेज हो गया। हंगामे के कारण उनकी बात नहीं सुनी जा सकी। उपसभापति ने विपक्षी दलों के रवैये को ‘‘असंसदीय’’ करार दिया और केंद्रीय मंत्री से बयान को सदन के पटल पर रखने का आग्रह किया।

इसके बाद वैष्णव ने बयान सदन के पटल पर रख दिया। इसके बाद उपसभापति ने कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।

पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिये भारतीयों की जासूसी करने संबंधी खबरों को सरकार ने पहले ही सिरे से खारिज कर दिया है। वैष्णव ने पिछले दिनों लोकसभा में कहा था कि संसद के मॉनसून सत्र से ठीक पहले लगाये गए ये आरोप भारतीय लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास हैं।

इससे पहले दोपहर 12 बजे जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई। उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल के लिए सदस्य का नाम पुकारा, लेकिन विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया।

उपसभापति ने कहा, ‘‘प्रश्नकाल सदस्यों के सवाल के लिए है। सवाल जवाब सदस्यों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है...आप सदन नहीं चलाना चाहते...आप अपने-अपने स्थान पर जाएं।’’

इसके बाद भी सदस्यों का हंगामा जारी रहा। सदन में हंगामा थमते न देख, उपसभापति ने सदन की कार्यवाही दो बजे तक स्थगित कर दी।

सुबह, सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए। इसी दौरान कांग्रेस सदस्य दिग्विजय सिंह ने मीडिया समूह दैनिक भास्कर के विभिन्न परिसरों पर आयकर विभाग के छापों का मुद्दा उठाने का प्रयास किया, वहीं तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने कथित जासूसी से जुड़ा मुद्दा उठाने का प्रयास किया। लेकिन सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी और कहा कि किसी भी मुद्दे को उठाने के लिए आसन की अनुमति की जरूरत होती है।

इस बीच, अन्य सदस्यों ने अलग-अलग मुद्दों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। कुछ सदस्य अपने स्थान से आगे भी आ गए।

नायडू ने सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने की अपील की। हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि कुछ सदस्य नहीं चाहते कि सदन में लोगों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाए।

सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने बैठक शुरू होने के महज दो मिनट के भीतर ही कार्यवाही दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

लोकसभा की कार्यवाही तीसरी बार स्थगित

तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे पर कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण बृहस्पतिवार को लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद अपराह्न चार बजे तक स्थगित कर दी गयी।

सदन में आज भी प्रश्नकाल बाधित हुआ और हंगामे के बीच ही सरकार ने दो विधेयक पेश किये। संसद के मॉनसून सत्र के शुरुआती दो दिन भी विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण निचले सदन में कामकाज नहीं हो सका।

सुबह सदन की कार्यवाही आरंभ होने के साथ ही विपक्षी सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए। कांग्रेस सदस्यों ने ‘काले कानून वापस लो’ के नारे लगाए। उन्होंने तख्तियां हाथ में ले रखी थीं। इनमें से एक तख्ती पर ‘अन्नदाता का अपमान बंद करो, तीनों कृषि कानून रद्द करो’ लिखा था।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में हंगामे के बीच प्रश्नकाल शुरू करवाया। इस दौरान जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने के पूरक प्रश्नों के उत्तर भी दिए।

सदन में नारेबाजी के बीच अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाने और सदन चलने देने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘‘यह सदन चर्चा और संवाद के लिए है। आपको जनता ने तख्तियां दिखाने और नारेबाजी करने के लिए नहीं भेजा है। आप मुद्दे उठाएं, चर्चा करें और जनता की समस्याओं के समाधान का प्रयास करें। आपको चर्चा करने का पूरा समय मिलेगा।’’

बिरला ने हंगामा कर रहे सदस्यों से नाराजगी दिखाते हुए कहा, ‘‘तख्तियां दिखाना और नारेबाजी करना है तो आप सदन से बाहर चले जाएं। यह उचित नहीं है।’’

सदन में हंगामा नहीं थमने पर बिरला ने सुबह करीब 11:10 बजे लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

सदन की बैठक दोबारा शुरू हुई तो कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्य आसन के समीप आकर नारेबाजी करने लगे। पीठासीन सभापति भर्तृहरि महताब ने नारेबाजी कर रहे सदस्यों से अपने स्थान पर जाकर कार्यवाही चलने देने की अपील की।

महताब ने कहा कि सरकार बार-बार कह रही है कि वह हर विषय पर चर्चा के लिए तैयार है।

संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि विपक्ष के सदस्य कार्यवाही को अवरुद्ध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार कोविड समेत हर विषय पर चर्चा को तैयार है।

हंगामे के बीच ही पोत परिवहन मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने अंतर्देशीय जलयान विधेयक, 2021 पेश किया। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 पेश किया।

आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक, 2021 को पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा कि इसमें कर्मचारियों की हड़ताल रोकने का प्रावधान है जो संविधान में मिला मौलिक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि यह विधेयक कामगार वर्ग के लोकतांत्रिक अधिकारों को समाप्त करने वाला है और सदन में व्यवस्था नहीं होने पर इस विधेयक को पेश नहीं कराया जाना चाहिए।

शोर-शराबे के बीच ही भट्ट ने विधेयक पेश किया।

पीठासीन सभापति महताब ने आसन के समीप आकर प्रदर्शन कर रहे सदस्यों से एक बार फिर सीटों पर जाने और कार्यवाही चलने देने का आग्रह किया। उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ, जिसके बाद उन्होंने सदन की बैठक को दोपहर दो बजे तक स्थगित कर दिया।

बैठक अपराह्न दो बजे शुरू हुई तो विपक्ष के सदस्य सुबह की तरह ही नारेबाजी करने लगे। पीठासीन सभापति महताब ने उनसे अपने स्थानों पर जाने और कार्यवाही चलने देने का अपना आग्रह दोहराया। हालांकि हंगामा नहीं थमा और पीठासीन सभापति ने कार्यवाही अपराह्न चार बजे तक स्थगित कर दी।

(समाचार एजेंसी भाष इनपुट के साथ )

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