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वाम नेताओं ने कहा: मणिपुर में शांति बहाली में बीरेन सिंह सरकार का बने रहना सबसे बड़ा अवरोध

‘‘मणिपुर में 60,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। उन्हें इसका सदमा लगा है कि उनके घर जला दिए गए और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई।’’
CPI
Photo : PTI

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(भाकपा) के नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करने के बाद दावा किया है कि प्रदेश में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का बने रहना सबसे बड़ी बाधा है।

दोनों वामपंथी दल ने एक बयान में कहा कि राज्य की स्थिति को पटरी पर लाने के लिए सभी समुदायों और सामाजिक समूहों को साथ लाकर सार्थक संवाद करना होगा।

प्रतिनिधमंडल में माकपा के राज्यसभा सदस्य विकास रंजन भट्टाचार्य और जॉन ब्रिटास और भाकपा सांसद विनय विश्वम, संदोष कुमार पी और के. सुब्बा रयान शामिल थे।

इस प्रतिनिधिमंडल ने छह जुलाई से तीन दिनों के लिए मणिपुर का दौरा किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मणिपुर में 60,000 से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। उन्हें इसका सदमा लगा है कि उनके घर जला दिए गए और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी गई।’’

वामपंथी नेताओं ने कहा कि मणिपुर में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार का बने रहना सबसे बड़ा अवरोध है।

मणिपुर में मेइती और कुकी समुदायों के बीच झड़पों में 120 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। पहली बार हिंसा तीन मई को तब भड़की, जब मेइती समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में जनजातीय एकजुटता मार्च का आयोजन किया गया था।
 

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