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उत्तराखंड के पुरोला शहर में ‘महापंचायत’ से पहले निषेधाज्ञा

उप डिवीजनल मजिस्ट्रेट देवानंद शर्मा ने कहा कि 19 जून तक धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शांति भंग करने की कोशिश कर सकते हैं इसलिए धारा 144 लागू की गई है।

Purola
पुरोला सांंकेतिक तस्‍वीर

हिंदू संगठनों की ओर से बृहस्पतिवार को बुलाई गई महापंचायत के मद्देनजर उत्तराखंड के पुरोला शहर में बुधवार से निषेधाज्ञा लागू की गई है। हिंदू संगठनों ने कथित तौर पर ‘‘लव जिहाद’’ की घटनाओं के खिलाफ यह ‘महापंचायत’ बुलाई है।

26 मई को दो लोगों द्वारा एक हिंदू लड़की के कथित अपहरण की कोशिश के बाद से उत्तरकाशी जिले के पुरोला और कुछ अन्य शहरों में सांप्रदायिक तनाव है। अपहरण करने वालों में एक मुस्लिम व्यक्ति था।

हालांकि लड़की को छुड़ा लिया गया और आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था लेकिन इसके बाद से स्थानीय व्यापार निकायों और दक्षिण पंथी हिंदू संगठनों ने पुरोला, बरकोट, चिन्यालीसौड़ और भटवाड़ी सहित आस पास के शहरों में ‘‘लव जिहाद’’ के खिलाफ अभियान चलाया है।

उप डिवीजनल मजिस्ट्रेट देवानंद शर्मा ने कहा कि 19 जून तक धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि कुछ लोग शांति भंग करने की कोशिश कर सकते हैं इसलिए धारा 144 लागू की गई है।

विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और देवभूमि रक्षा अभियान जैसे संगठनों ने ‘‘लव जिहाद’’ के खिलाफ बृहस्पतिवार को महापंचायत बुलाई है।

पुरोला में 26 मई को अपहरण की कोशिश के अलावा, उत्तरकाशी जिले के आराकोट क्षेत्र में आठ जून को नवाब नामक व्यक्ति द्वारा नेपाली मूल की दो नाबालिग बहनों के अपहरण की कोशिश करने का मामला सामने आया था।

दोनों मामलों में आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 363 (अपहरण) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अपहरण की कोशिश की इन घटनाओं के बाद पुरतला में मुसलमानों द्वारा संचालित 40 से अधिक दुकानें एक पखवाड़े के बाद भी नहीं खुली हैं।

मुसलमानों की दुकानों पर पिछले सप्ताह पोस्टर लगाकर उनसे कहा गया है कि वे महापंचायत से पहले शहर छोड़ दें या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

उत्तरकाशी के जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक रोहिल्ला और पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने सोमवार को पुरोला में अधिकारियों व लोगों से मुलाकात कर शांति बनाए रखने की अपील की।

मुसलमानों के अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन ‘मुस्लिम सेवा संगठन’ ने भी 18 जून को देहरादून में महापंचायत करने का आह्वान किया है।

वहीं उत्तराखंड वक्फ बोर्ड और हज कमेटी के सदस्यों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात की और सांप्रदायिक तनाव से जूझ रहे पुरोला कस्बे में मुसलमानों का ''उत्पीड़न' करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने को कहा है।

ज्ञात हो कि उत्तराखंड के उक्त स्थानों की घटना के संबंध में वायरल हो रहे वीडियो में ख़ास बात है कि पुलिस की मौजूदगी में धार्मिक नारे लगाते हुए भीड़ मुसलमानों की दुकानों पर धावा बोल रही है, लेकिन पुलिस बेबस नज़र आती है, रैली निकाली जा रही है, नफ़रत से भरे नारे लगाए जा रहे हैं, लेकिन दिल्ली से लेकर उत्तराखंड तक ख़ामोशी पसरी है। 

सोशल मीडिया पर वे तस्वीरें भी वायरल हुई जिसमें मुसलमानों की दुकानों पर काले रंग के पेंट से क्रॉस की निशान कर दी गई। ये तस्वीरें नाज़ी जर्मनी की याद दिलाती हैं, 1944 में हंगरी के बुडापेस्ट में दो हज़ार यहूदी परिवारों को जहां रखा गया था उनकी निशानदेही के लिए घरों के बाहर पीले क्रॉस लगा दिए गए थे। 

न्यूज़ एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ

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