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GST का अनूठा विरोध, कावड़ में दूध-रोटी-छाछ लेकर विश्वनाथ मंदिर पहुंचा कावड़िया

सावन के महीने में देश भर से बड़ी संख्या में आस्थावान लोग बनारस आ रहे हैं। शिव भक्तों में कावड़ियों की तादाद काफी ज्यादा है। लेकिन एक भक्त ऐसा भी है जो केंद्र सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के अनूठे विरोध के चलते चर्चा में है। 
Kanwar Yatra
फ़ोटो साभार: दैनिक भास्कर

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में एक कावड़िये ने जीएसटी के विरोध का अनूठा तरीका अपनाया और अपने कांवड़ में खाने-पीने की कई चीजें लेकर विश्वनाथ मंदिर में पहुंच गया। अपनी प्रार्थना में इस  शिवभक्त ने बाबा से गुहार लगाई कि गरीबों के खाने-पीने की चीजों पर टैक्स थोपने वाले नेताओं को सदबुद्धि दें।  

सावन के महीने में देश भर से बड़ी संख्या में आस्थावान लोग बनारस आ रहे हैं। शिव भक्तों में कावड़ियों की तादाद काफी ज्यादा है। लेकिन एक भक्त ऐसा भी है जो केंद्र सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के अनूठे विरोध के चलते चर्चा में है। इसके कांवड़ में रोटी है, दूध है और छाछ भी है, जिसपर केंद्र सरकार ने पांच फीसदी जीएसटी थोपा है। जो काम विपक्ष के नेता नहीं कर सके, उसे अकेले कावड़िये ने अनूठे विरोध प्रदर्शन से कर डाला। इस शिवभक्त की रोटी-छाछ वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है।

सावन के दूसरे सोमवार के मौके पर बनारस में शिव उपासकों की भारी भीड़ है। केंद्र सरकार की नीतियों का अपने तरीके से कुछ अनूठे अंदाज में विरोध प्रदर्शन की वजह से हमेशा चर्चा में रहने वाले बनारस के मिश्राजी उर्फ हरीश मिश्र अपने कांवड़ पर रोटी, छाछ का पैकेट, दही लेकर बाबा विश्वनाथ के द्वार पहुंचे। इसका कहना था कि केंद्र की तरफ से खाद्य सामग्री पर लगाए गए जीएसटी का विरोध वह अपने तरीके से कर रहा हैं। वह विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करके केंद्र में बैठे नेताओं को सद्बुद्धि देने की प्रार्थना करेंगे। दरअसल, सावन के महीने में उन्होंने जीएसटी के विरोध का एक नया तरीका चुना है। वह केसरिया कपड़ों में कंधे पर कांवड़ उठाकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने पहुंचे।

हरीश मिश्र ने न्यूजक्लिक से कहा, ''गंगा में स्नान करने के बाद वहां से कांवड़ में जल लिया है। वही जल लेकर बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने जा रहे हैं। हमने जो अपनी कांवड़ बनाई है उसमें रोटी, छाछ का पैकेट, दही और दूध आदि सामग्री को शामिल किया है। इन्हीं चीजों से गरीब तबके के लोग जिंदा हैं। हीरा जैसी कीमती वस्तु पर सिर्फ 1.50 फीसदी टैक्स है और रोटी-चावल, दूध-दही से लगायात कफन पर पांच फीसदी। गरीबों के भोजन पर टैक्स लगाकर सरकार जनता को परेशान कर रही है। यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने रोटी और दूध पर टैक्स लगाया है। केंद्र सरकार ने जो यह टैक्स थोपा है वह गरीबों को दर्द दे रहा है। हम चाहते हैं कि जो लोग विश्वनाथ धाम बनाकर जनता की वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहे हैं उन्हें बाबा सद्बुद्धि दें। बाबा ताओं को अपना चमत्कार दिखाएं और बताएं कि गरीबों के उपयोग वाली वस्तुओं पर टैक्स थोपे जाने से गरीबों का जीना दूभर हो गया है।''

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