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‘बंद हो पत्रकारों का दमन’ : न्यूज़क्लिक पर की गई कार्रवाई के ख़िलाफ़ बनारस में प्रतिरोध मार्च!

“यह उचित नहीं है कि सरकार और उसकी नीतियों की आलोचनात्मक अथवा जन-सरोकार से जुड़ी ख़बरें दिखाने की वजह से किसी पत्रकार अथवा मीडिया हाउस को देश विरोधी मान लिया जाए।”
Banaras Protest

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में वरिष्ठ पत्रकारों ने सोमवार, 16 अक्टूबर को समाचार पोर्टल ‘न्यूज़क्लिक’ और साथ ही देश में तमाम पत्रकारों के उत्पीड़न व दमन की घटनाओं के विरोध में अपनी एकजुटता ज़ाहिर की। काशी पत्रकार संघ और गामीण पत्रकार असोसिएशन ने संयुक्त रूप से 'मीडिया के दमन' के मुद्दे पर रोष व्यक्त किया और कहा कि ये बंद होना चाहिए। इसके बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित ज्ञापन जवाहर नगर कॉलोनी स्थित उनके संसदीय जनसंपर्क कार्यालय में सौंपा।

पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत बनारस के पत्रकार सोमवार, 16 अक्टूबर को 12 बजे गुरुधाम चौराहे पर एकत्र हुए और वहां से मौन प्रतिरोध मार्च निकाला। जवाहर नगर कॉलोनी स्थित पीएम के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय पर पहुंचने से पहले पुलिस ने पत्रकारों को रोकने की कोशिश की। कुछ देर बाद काशी पत्रकार संघ के महामंत्री अखिलेश मिश्र, प्रदीप कुमार, विकास पाठक, सुभाषचंद्र सिंह, राजनाथ तिवारी, ग्रामीण पत्रकार असोसिएशन के अध्यक्ष सीबी तिवारी (राजकुमार) व प्रदेश सचिव नागेश्वर सिंह प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय में पहुंचे। बनारस के महापौर अशोक तिवारी और कार्यालय प्रभारी शिवशरण पाठक ने पत्रकारों का ज्ञापन स्वीकार करने के साथ ही उसे प्रधानमंत्री तक भेजने का वादा किया।

प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन में न्यूज़क्लिक के पत्रकारों पर हुई कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि, "देश के अलग-अलग हिस्सों में पत्रकारों के दमन व उत्पीड़न की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। पिछले कुछ वर्षों से लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को लगातार कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है। पत्रकारों के उत्पीड़न की घटनाएं अभिव्यक्ति की आज़ादी पर प्रहार हैं। बनारस के पत्रकारों का साफतौर पर मानना है कि पत्रकारिता की आड़ में किसी व्यक्ति अथवा संस्था को देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। लेकिन यह उचित नहीं है कि सरकार और उसकी नीतियों की आलोचनात्मक अथवा जन-सरोकार से जुड़ी खबरें छापने की वजह से किसी पत्रकार अथवा मीडिया हाउस को देश विरोधी मान लिया जाए।"

ज्ञापन में प्रधानमंत्री से मांग की गई है कि, "न्यूज़क्लिक समेत पत्रकारों के ख़िलाफ़ दर्ज सभी मामलों की निष्पक्ष और पारदर्शी जांच कराई जाए। अगर कोई पत्रकार अथवा मीडिया हाउस दोषी पाया जाए तो उसके ख़िलाफ़ निश्चित तौर पर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। आर्थिक खुफिया संगठन प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और पुलिस एजेंसियों की छापेमारी के ज़रिए पत्रकारों और मीडिया हाउसों को डराने-धमकाने की कार्रवाई तत्काल बंद की जाए। यह नई रवायत न सिर्फ पत्रकारिता, बल्कि लोकतंत्र और देशहित के लिए भी सही नहीं है।

इस प्रतिरोध मार्च में वाराणसी प्रेस क्लब के मंत्री विनय शंकर सिंह और पूर्व अध्यक्ष चंदन रूपानी समेत बड़ी तादाद में पत्रकार उपस्थित थे।

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