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साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के चार अध्यापकों के निलंबन के ख़िलाफ़ ‘प्रतिरोध सभा’

यहां बीते लंबे वक़्त से छात्र, स्नाकोत्तर और पीएचडी में फ़ेलोशिप बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। छात्रों को भड़काने के आरोप में चार अध्यापकों को निलंबित कर दिया गया था।
South Asian University

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के चार प्राध्यापकों को निलंबित किए जाने के ख़िलाफ़ माध्यमिक शिक्षक संघ, अभियान सांस्कृतिक मंच और ऑल इंडिया स्टूडेंट फेडरेशन ने संयुक्त रूप से एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया। इस प्रतिरोध सभा को पटना में जमाल रोड स्थित शिक्षक संघ भवन में आयोजित किया गया।

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी, सार्क देशों द्वारा स्थापित एक विश्वविद्यालय है जो दिल्ली में स्थित है। आपको बता दें यहां बीते लंबे वक़्त से छात्र, स्नाकोत्तर और पीएचडी में फ़ेलोशिप बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। आरोप है कि इन चार प्राध्यापकों ने आंदोलन कर रहे छात्रों को भड़काने का काम किया। वहीं प्राध्यापकों के समर्थन में आए संगठनों ने उनके निलंबन को ग़लत बताया और अपना विरोध दर्ज कराया।

सभा की अध्यक्षता 'बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ' के महासचिव एवं पूर्व सांसद शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने की।

प्रतिरोध सभा का संचालन करते हुए संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने इस घटना को विस्तार से बताते हुए कहा, “वहां लंबे समय से छात्र, स्नाकोत्तर और पीएचडी में फ़ेलोशिप बढ़ाने की मांग कर रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से छात्रों की मांगों पर ध्यान देने के बजाय पुलिस के दम पर दमन किया गया तथा उनकी स्कॉलरशिप को कम कर दिया गया ताकि आंदोलन बंद हो जाए। इन चार प्राध्यापकों पर आंदोलन कर रहे छात्रों को भड़काने का आरोप है इसके अलावा 'मार्क्सवादी अध्ययन केंद्र' संचालित करने का आरोप लगा कर उन्हें निलंबित कर दिया गया। इनके लैपटॉप, पहचान पत्र ले लिया गया। फैक्ट फाइंडिंग कमिटी के सामने लगभग 132 से 246 सवालों का जबाब हाथ से लिखकर देने जैसी अपमानित शर्त रखी गई।"

विश्वविद्यालय व महाविद्यालय शिक्षक संघ के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. अरुण कुमार ने कहा, "साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के चार शिक्षकों के साथ हुई निलंबन की कार्रवाई बहुत निंदनीय है। यह सब नई शिक्षा नीति के कारणों से किया जा रहा है। विश्विद्यालय का बजट कम किया जा रहा है। नई शिक्षा नीति में शिक्षक छात्र संघ कायम करने को प्रोत्साहित नहीं किया जाता। हम लोग इस सवाल को लेकर 1अगस्त को बड़ा विरोध प्रदर्शन करेंगे, साथ ही 13 सितंबर को दिल्ली में भी बड़ा प्रदर्शन होगा।"

साउथ एशियन यूनिवर्सिटी की छात्रा मनु ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया, "विश्विद्यालय में लोकतांत्रिक माहौल नही है। इस विश्विद्यालय में कई सार्क देशों के गरीब छात्र पढ़ने आते है जिनकी आर्थिक हालत बहुत कमज़ोर होती है। ऐसे गरीब छात्रों के लिए स्कॉलरशिप ज़रूरी है। ये चारों शिक्षक छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। मार्क्सवादी स्टडी सर्किल चलाने आरोप ग़लत है क्योंकि विश्विद्यालय के पाठ्यक्रम में ही मार्क्स है। अगर समाजविज्ञान के शिक्षक इसे पढ़ा रहे हैं तो ग़लत क्या है ये सोचने की बात है।"

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज़, पटना सेंटर के चेयरपर्सन रहे पुष्पेंद्र ने कहा, "देश के लगभग सभी विश्विद्यालयों की यही हालत है। निलंबन वापसी की लड़ाई को मजबूती से लड़ना होगा।"

ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (AITUC) के महासचिव अजय कुमार ने प्रतिरोध सभा को संबोधित करते हुए कहा "सरकारों का चरित्र यही हो गया है। लोकतांत्रिक आंदोलनों का लगातार दमन हो रहा है। बिहार के शिक्षक आंदोलन कर रहे हैं और शिक्षा मंत्री उल-जुलूल बयान दे रहे हैं। संघर्ष से ही रास्ता निकलता है, शिक्षक और छात्र संगठनों को साथ आकर सड़को पर संघर्ष तेज़ करना होगा। निलंबित अध्यापकों में से एक रवि कुमार जी पटना के केदारदास श्रम व समाज अध्ययन संस्थान से भी जुड़े हैं। संस्थान के साथ इन्होंने कई कार्यक्रम किए थे।"

मज़दूर पत्रिका के पार्थ सरकार के अनुसार, "साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के छात्रों और अध्यापकों के साथ ऐसा सलूक जानबूझ कर किया गया है ताकि यहां भविष्य में विरोध की कोई आवाज़ ही न उठ सके।"

अखिल भारतीय मैत्री शांति संघ (ISCUF) के महासचिव रविंद्र राय ने कहा, "यह नीतिगत लड़ाई है जो शिक्षा नीति के साथ-साथ आर्थिक नीति के मोर्चे पर भी लड़ी जानी है। बीजेपी के ख़िलाफ़ हम लोग गोलबंदी कर सकते हैं लेकिन आर्थिक नीतियों के ख़िलाफ़ गोलबंदी नही कर सकते लेकिन संघर्ष तो करना होगा।"

पटना कॉलेज के प्राचार्य रहे प्रो. नवल किशोर चौधरी ने कहा, "निराश होने की ज़रूरत नहीं है। प्रख्यात इतिहासकार इरफान हबीब को भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से निलंबित किया गया था। ख़ुद मैं भी पटना यूनिवर्सिटी में निलंबित हो चुका हूं लेकिन संघर्ष के परिणामस्वरूप निलंबन वापस हुआ। हमें आशावान होना चाहिए। कोई संघर्ष बेकार नहीं होता, हम कमज़ोर होते हुए भी लड़ाई जीत सकते हैं।"

ज्ञानचंद भारद्वाज ने इस निलंबन के कानूनी पहलू पर सवाल उठाते हुए कहा, "विश्वविद्यालय प्रशासन ने शिक्षकों के बुनियादी अधिकारों पर हमला किया है। हमें सार्क देशों की बैठक बुलाकर इस समस्या के समाधान की दिशा में प्रयास करने के लिए दबाव बनाना चाहिए।"

शिक्षाविद अक्षय कुमार ने कहा, "साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने शिक्षा शास्त्रीय मान्यताओं को धता बताकर गैर शैक्षिक प्रशासकीय क़दम उठाया है जो बिलकुल ग़लत है। सरकार तमाम शैक्षिक मामलों को प्रबंधन के माध्यम से सुलझाना चाहती है।"

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव शत्रुधन प्रसाद सिंह ने कहा, "निलंबित शिक्षकों के सवाल पर पटना ने पहलक़दमी की है। बिहार मे शिक्षा नीति को लेकर सीपीआई के एमएलसी संजय सिंह का संकल्प स्वीकार कर लिया गया है। ठीक इसी प्रकार विनय विश्वम ने भी विदेश मंत्री को पत्र लिखा है।"

बता दें कि प्रतिरोध सभा के दौरान एक हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। साउथ एशियन यूनिवर्सिटी के चारों अध्यापकों के निलंबन रद्द करने तथा सार्क देशों की अविलंब बैठक बुलाने को लेकर विदेश मंत्री को पत्र भेजना तय किया गया।

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