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पंजाब विधानसभा चुनाव:  महिलाओं का वोट चाहिए, लेकिन पार्टी में भागीदारी नहीं!

पंजाब विधानसभा चुनावों में कड़ी टक्कर है, सभी राजनीतिक दल महिलाओं के लिए बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन महिलाओं की राजनीति में भागीदारी की बात करें तो वो न के बराबर है।
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Image courtesy : Swarajya

20 फरवरी यानी रविवार के दिन पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इन चुनावों में पंजाब के करीब 2,12,75,066 वोटर्स अपना वोट डालेंगे। जिसमें महिलाओं की भूमिका बेहद अहम होने वाली है, क्योंकि यहां करीब 50 फीसदी महिला वोटर्स हैं, इसके बावजूद राजनीतिक दल महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारने पर दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक

सूबे में रजिस्टर्ड कुल वोटरों की बात करें तो इस समय पंजाब में 2,12,75,066 मतदाता हैं। इनमें से 1,11,87,857 पुरुष, 1,00,86,514 महिला और 695 अन्य वोटर हैं। कुल मतदाताओं में 2,78,969 पहली बार वोट डालेंगे, जो कुल वोटर संख्या का मात्र 1.31% ही है।

कब कितनी महिला उम्मीदवार

2022 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही है, जबकि शिअद-बसपा, भाजपा-कैप्टन का गठजोड़ चुनावी मैदान में है। इन सभी दलों ने कुल मिलाकर महज़ 37 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है। जिसमें महिलाओं की सबसे बड़ी हिस्सेदारी आम आदमी पार्टी की है। आम आदमी पार्टी ने इस बार 12 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया है, जो पिछली बार 8 थी। जबकि कांग्रेस की ओर से 11 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। इसके अलावा भाजपा नेतृत्व वाले गठबंधन ने सिर्फ 8 महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है।


पंजाब में कहां है? ‘’लड़ी हूं लड़की सकती हूं’’

कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में महिलाओं के लिए जमकर बातें कर रही थी और चुनावों में उनकी भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दे रही थी, लेकिन पंजाब में इस पार्टी ने कुल सीटों में से केवल 10 फीसदी सीटों पर ही महिलाओं को टिकट दिया है। इस बार कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना में एक संख्या बढ़ाते हुए कुल 11 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है। हालांकि कांग्रेस की इन सभी 11 महिला उम्मीदवारों में 7 वो हैं, जो पहले भी विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं, जिसमें लहरा से राजिंदर कौर भट्टल, दीनानगर से अरुणा चौधरी, मालेरकोटला से रजिया सुल्ताना, महल कलां से हरचंद कौर, मुकेरियां से इंदु बाला, मुक्तसर से करण कौर बराड़ और मौड़ से डॉ मनोज बाला बंसल का पुराना राजनीतिक रसूख है। जबकि सिर्फ चार नए चेहरों को मौका दिया गया है। इसमें रुपिंदर कौर रूबी जो पिछले दिनों आम आदमी पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुई हैं, इन्हें मालोट से टिकट दिया गया है।

‘’आप’’ का मतलब भी सिर्फ पुरुष प्रत्याशी

वहीं, आम आदमी पार्टी ने कुल 117 विधानसभा सीटों में से 12 सीटों पर ही महिलाओं को टिकट दिया है। इसमें जीवनजोत कौर को अमृतसर ईस्ट, इंद्रजीत कौर मान को नकोर विधानसभा सीट, अनमोल गगन मान को खरड़ विधानसभा से, मंजू राणा को कपूरथला, संतोष कटारिया को बालाचोर, राजिंदर पाल कौर छिना को लुधियाना दक्षिण से, डॉ अमनदीप कौर अरोड़ा को मोगा विधानसभा सीट से, डॉ बलजीत कौर को मलोट विधानसभा सीट, बलविंदर कौर को तलवंडी साबो विधानसभा सीट से, नरिंदर कौर भारज संगरूर विधानसभा सीट से और नीना मित्तल को राजपुरा विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक AAP का दावा है कि प्रत्याशी बनाई गईं सात महिलाएं सामान्य परिवारों से आती हैं, यानी चुनाव प्रचार खत्म करने के बाद वे सिर्फ घर में काम करती हैं। हालांकि तह में जाएं तो सच्चाई कुछ और नज़र आती है।

नकोदर से उम्मीदवार इंद्रजीत कौर मान क्षेत्र के बीर गांव की तीन बार सरपंच रह चुकी है। पिछले साल आप में शामिल होने से पहले वो अकाली दल में थीं। वहीं कपूरथला से प्रत्याशी मंजू राणा सेवानिवृत्त अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं जबकि लोक अदालत की अध्यक्ष भी रह चुकी हैं। जबकि लुधियाना दक्षिण से आप प्रत्याशी रजिंदर पाल कौर छिना तब से अरविंद केजरीवाल के साथ हैं जब अन्ना के नेतृत्व में आंदोलन चल रहा था, इस बार उनके सामने नवजोत सिंह सिद्धू और बिक्रम मजीठिया हैं।

तीन पार्टियां मिल गईं... फिर भी सिर्फ 9 महिला उम्मीदवार  

किसान आंदोलन के बाद पंजाब में पूरी तरह से बैकफुट पर आ चुकी हैं, हालांकि कैप्टन अमरिंदर सिंह का साथ इन्हें राहत ज़रूर दे रहा है। भाजपा की अगुवाई वाले फ्रंट की लिस्ट में रेणु कश्यप जिन्हें दीना नगर विधानसभा सीट से टिकट मिला है, वे पार्टी के पूर्व विधायक सीमा राम कश्यप की बहू हैं। गढ़शंकर से उम्मीदवार नमिशा कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुई हैं और सीमा कुमारी जिन्हें भोआ विधानसभा सीट से टिकट दिया गया है वो पार्टी की पूर्व विधायक हैं। इस बीच, अटारी से उम्मीदवार बलविंदर कौर,  नवाशंकर से प्रत्याशी पूनम माणिक और बलूनान से उम्मीदवार वंदना सांगवान पहली बार चुनाव मैदान में हैं।

भाजपा ने पिछली बार केवल दो महिलाओं को ही टिकट दिया था, हालांकि, इस बार 6 महिलाओं को टिकट दिया है, वहीं, इसकी सहयोगी पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस ने 2 महिलाओं को और शिरोमणि अकाली दल(संयुक्त) ने केवल 1 महिला को ही टिकट दिया है। इस तरह से NDA ने 117 में से कुल 9 सीटों पर ही महिलाओं को टिकट दिया है।

 

2017 में भी केवल 7 फीसदी महिला उम्मीदवार

साल 2017 के विधानसभा चुनावों में कुल 1145 उम्मीदवारों में केवल 81 महिला उम्मीदवार थीं, जबकि इस बार 1276  में केवल 90 महिला उम्मीदवार हैं। दोनों बार ही महिला उम्मीदवारों की भागीदारी केवल 7 फीसदी रही है।

वादे ले लो... टिकट मत मांगना

तमाम राजनीतिक दल महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए तरह तरह के वादे ज़रूर कर रहे। जैसे कांग्रेस पार्टी ने महिलाओं को हर महीने 2000 रुपये, एक साल में 8 रसोई गैस सिलिन्डर मुफ़्त देने का वादा किया है। आम आदमी पार्टी ने भी सभी महिलाओं के खाते में 1 हजार रुपये डालने का वादा किया है। इसके अलावा नौकरी में 50 फीसदी तक का आरक्षण देने की बात भी कुछ पार्टियों ने कही है।

आज़ादी से अब तक सिर्फ 89 महिला विधायक

महिलाओं के लिए सिर्फ वादे करना और उन्हें दूर से राजनीतिक बतलाना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि 1951 बाद से आज तक सूबे की राजनीतिक में महिलाओं को बेहद कम तरजीह दी गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अब तक पंजाब विधानसभा में केवल 89 महिलाएं ही विधानसभा के लिए चुनी गई हैं।

राजनीति में कामयाब हैं महिलाएं

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता राजिंदर कौर भट्ठल 1996 में पंजाब की पहली मुख्यमंत्री बनी थीं। भट्‌ठल पंजाब की पहली महिला उपमुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं। डॉ. उपिंदरजीत कौर पहली वित्त मंत्री बनी थीं, उन्होंने शिरोमणि अकाली दल से 1997 से 2007 तीन बार चुनाव जीता था। और उन्हें आजाद भारत की पहली महिला वित्त मंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ है। इसके बाद रजिया सुल्तान को पहली मुस्लिम कैबिनेट मंत्री होने का खिताब प्राप्त है। रजिया सुल्तान 2002 से 2017 तक कांग्रेस से तीन बार विधायक बनी हैं।

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