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पंजाब: स्वर्ण मंदिर के पास धमाके; गिरफ़्तारियों के बावजूद सवाल शेष हैं

अमृतसर में हुए धमाकों की जांच पंजाब पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं। बावजूद इसके कई सवाल शेष हैं।
punjab police
फ़ोटो साभार: PTI

श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) के पास पांच दिनों के भीतर तीन बम धमाके हुए और पुलिस ने इन मामलों में फिलहाल पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पंजाब सरहदी सूबा है और इस लिहाज से भी अति संवेदनशील। इसलिए भी कि अलगाववादी संगठन और कतिपय राजनीतिक दल यहां के ईथोस (मानसिक मौसम) को अपने स्वार्थों के लिए बिगाड़ने की कवायद में रहते हैं।

अमृतसर घटनाक्रम ने बेशुमार सरगोशियां पैदा की हैं। राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार और पुलिस का इकबाल भी सवालिया घेरे में है। पुलिस सूत्रों का दावा है कि अमृतसर में हुए क्रमवार धमाकों के लिए अमृतपाल सिंह खालसा के समर्थक जिम्मेवार हैं। वे गहरे तक उससे प्रभावित थे। गौरतलब है कि 'ऑपरेशन अमृतपाल सिंह' की प्रतिक्रिया में धमाके किए गए। गिरफ्तार लोगों से जरनैल सिंह भिंडरांवाला और अमृतपाल सिंह खालसा के पोस्टर भी मिले हैं। तमाम आरोपी सात दिन के पुलिस रिमांड पर हैं। आजादवीर सिंह नाम के शख्स को सरगना बताया गया है। पुलिस के मुताबिक उसने हर धमाके के बाद आईईडी हाथ में लेकर फोटो खींचकर इंटरनेट मीडिया पर डाली थी। वह पाकिस्तान और दुबई की यात्रा भी कर चुका है। आजादवीर से दो बैगों में रखी एक किलो सौ ग्राम विस्फोटक सामग्री व भड़काऊ साहित्य भी बरामद हुआ है। साफ है कि अलगाववादी अथवा खालिस्तानी तत्व ही गोल्डन टेंपल के पास हुए तीन धमाकों के लिए जिम्मेवार हैं और उन्हें विदेशी शह हासिल थी। मुतवातर धमाके दरअसल बड़ी साजिश का हिस्सा थे।

श्री हरमंदिर साहिब को विश्वस्तरीय ख्याति हासिल है। देश ही नहीं बल्कि सुदूर विदेशों से भी लाखों की संख्या में लोग यहां आते हैं। बीते पांच दिनों में हुए तीन धमाकों का असर यह भी सामने आया है कि बाहरी यात्रियों की ओर से होटलों में करवाई गई पचास फ़ीसदी से ज्यादा बुकिंग स्थगित हो गई है।

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी कहते हैं कि, "श्रद्धालुओं को घबराने की जरूरत नहीं है। वे निर्भय होकर नतमस्तक होने के लिए आ सकते हैं। एसजीपीसी अपने स्तर पर श्री हरमंदिर साहिब की सुरक्षा पुख्ता करेगी और भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए अतिरिक्त कैमरे व स्केनर लगाए जाएंगे। एसजीपीसी की टास्क फोर्स को और मजबूत किया जाएगा।"  हरजिंदर सिंह धामी का कहना है कि श्री हरमंदिर साहिब के बाहर गलियारा में हुए धमाके पंजाब सरकार की नाकामी है। सर्वोच्च सिख संस्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने श्री हरमंदिर साहिब के पास हुए धमाकों पर गहरी चिंता जाहिर की है। जत्थेदार ने कहा कि इन घटनाओं की गहराई से जांच होनी चाहिए ताकि सच सामने आए कि इस साजिश के पीछे कौन है? जत्थेदार ने इशारा किया कि कुछ लोग अपने राजनीतिक व अन्य हित पूरे करने के लिए इस तरह की कारगुजारियों को अंजाम दे रहे हैं।

वहीं पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह रंधावा ने कहा कि ऐसी घटनाएं चिंता का विषय है। लोगों को डराने की साजिश की जा रही है।

अलगाववादी लाइन और खालिस्तान के नारे के साथ पिछले साल दुबई से पंजाब आया अमृतपाल सिंह खालसा बेशक सलाखों के पीछे जा चुका है लेकिन उसने पंजाब की सरजमीं में जहर बो दिया। उसकी गिरफ्तारी के बाद सूबे में आधा दर्जन के करीब बेअदबी की घटनाएं हुईं और अमृतसर में सिलसिलेवार धमाके। बेशक अमृतपाल सिंह खालसा और उसकी विचारधारा को सिख समुदाय का ही एक बड़ा हिस्सा नापसंद करता है। लेकिन जहरवाद छोटे-से तबके के जरिए भी फैलता है। अतीत में पंजाब इस सबसे गुजर चुका है। श्री स्वर्ण मंदिर कई बार संवेदनशील स्थितियों का शिकार हुआ। दोष वक्त की हूकुमतों पर लगते गए। अवाम अब केंद्र और राज्य सरकार पर इस बाबत सवाल खड़े कर रही है। गौरतलब है कि अमृतसर में हुए धमाकों की जांच पंजाब पुलिस के साथ-साथ केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं। बावजूद इसके कई सवाल शेष हैं।

सबसे बड़ा सवाल तो यह कि अमृतसर खासतौर पर अमृतपाल सिंंह प्रकरण के बाद 'हाई अलर्ट' पर है। बीते दिनों पाकिस्तान के लाहौर मेंं खालिस्तानी और अलगाववादी परमजीत सिंह पंजवड़ की हत्या हो गई थी। पंजवड़ के कत्ल के बाद स्थानीय और विदेशों में विचर रहे खालिस्तानी नए सिरे से सक्रिय हुए। इस बीच पंजाब सरकार का पूरा फोकस जालंधर उपचुनाव तक सीमित रहा। पुलिस का भी। मौंजू सवाल है कि अमृतसर निगाहबानी में क्यों नहीं रहा? श्री दरबार साहिब? इसलिए भी कि इस धार्मिक स्थल को बेहद संवेदनशील माना जाता है। यहांं की किसी भी घटना अथवा दुर्घटना को अंतरराष्ट्रीय मीडिया कवर करता है। 'ऑपरेशन अमृतपाल सिंंह खालसा' के दौरान पंजाब के डीजीपी गौरव यादव खुद गोल्डन टेंपल गए थे। सादी वर्दी मेंं। सिलसिलेवार धमाकों के बाद भी उन्होंने अमृतसर का दौरा किया। उनके दौरे के बाद गिरफ्तातारयांं हुईं। एसजीपीसी प्रधान एडवोकेट धामी कहते हैंं कि पहले ब्लास्ट के बाद पुलिस एक्शन में क्यों नहीं आई? यही सवाल वरिष्ठ वामपंथी नेता मंगतराम पासला का है। कमोबेश आम लोगोंं का भी।

सवाल यह भी है कि पंजाब अब किस राह पर चल पड़ा है। एक पूर्ण बहुमत की राज्य सरकार और एक मज़बूत कही जाने वाली केंद्र सरकार, जिसके मुखिया नरेंद्र मोदी के बारे में प्रचार है कि उनकी तूती पूरे विश्व में बोल रही है तो फिर पंजाब क्यों एक नई अराजकता की तरफ़ बढ़ रहा है। इसमें कितनी ज़मीनी समस्याएं और सच्चाई है और कितना सियासी खेल। ये सवाल भी सभी के मन में है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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