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राजस्थान: पेपर लीक के ख़िलाफ़ ‘उम्र क़ैद का क़ानून’ ला रही है गहलोत सरकार?

अशोक गहलोत की सरकार ने पिछले 4 साल में क़रीब 10 पेपर लीक के मामले झेले हैं। ऐसे में अब चुनाव नज़दीक है तो क़ानून बनाने का दावा किया जा रहा है।
Ashok Gehlot
फ़ोटो : PTI

राजस्थान में कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में जहां सत्ताधारी कांग्रेस अपनी जड़ों को मज़बूत कर फिर से वापसी की तैयारियों में जुटी है, तो भाजपा अपनी बिखरी हुई सेना को अलग-अलग मुद्दों के ज़रिए एक करने में लगी है। इन मुद्दों में बहुत प्रभावशाली है - पेपर लीक मामला।

क्योंकि पिछले चार सालों में पेपर लीक के आरोप के 10 से ज़्यादा मामले सिर्फ राजस्थान से ही निकलकर बाहर आए हैं, जिसकी वजह से राज्य के करीब 20 लाख युवा प्रभावित हुए हैं। यही कारण है कि युवा वर्ग इन मामलों को लेकर खासा नाराज़ है, तो इसी को मुद्दा बनाकर भाजपा, कांग्रेस को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। हालांकि अपने मौजूदा कार्यकाल के आख़िरी दौर तक आते-आते मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेपर लीक मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए कानून बनाने का फैसला कर लिया है।

ऐसा दावा किया जा रहा है कि 20 जुलाई से शुरु हुए राजस्थान के विधानसभा सत्र में 21 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस कानून को पटल पर रख सकते हैं, और इसी दिन इसे पास कराकर कानूनी रूप देने की भी ख़बरें हैं।

इस मामले में राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव कहते हैं कि “12 मार्च को ही पेपर लीक मामले में उम्र कैद की सज़ा के कानून को लेकर मुख्यमंत्री जी से सहमति बन गई थी, मेरा अनशन व्यर्थ नहीं गया बल्कि पेपर लीक मामलों के लिए उम्र कैद की सज़ा का कानून लेकर आया है।"

कई मौकों पर राज्य सरकार ने पेपर लीक मामलों को रोकने के लिए पूरी तरह से इंटरनेट बंद कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद ये एक ऐसा मामला रहा है, जिस पर गहलोत सरकार को ना सिर्फ प्रमुख विपक्ष भाजपा, बल्कि कांग्रेस के भीतर भी सबसे ज़्यादा आलोचना झेलनी पड़ी है। पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कई मौकों पर मांग की है कि बड़ी मछलियों को पकड़ा जाए।

सचिन पायलट ने इसी साल जनवरी के महीने में हुई एक सभा में कहा था कि "अगर बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं तो इसकी जवाबदेही तय करनी होगी, कहा जा रहा है कि पेपर लीक में कोई नेता, कोई अधिकारी शामिल नहीं है, फिर तिजोरी में बंद कागज छात्रों तक कैसे पहुंच गए हैं? ये जादूगरी है?” पायलट का तंज सीधे तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर था, क्योंकि गहलोत को 'सियासी जादूगर' भी कहा जाता है।

कब-कब हुई पेपर लीक की घटनाएं?

कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2018 : 11 मार्च को पेपर लीक हुआ और 17 मार्च को परीक्षा रद्द कर दी गई।

लाइब्रेरियन भर्ती परीक्षा 2018 : 29 दिसंबर 2019 को परीक्षा होनी थी लेकिन पर्चा लीक हो गया। बाद में पेपर रद्द कर दिया गया।

JEN सिविल डिग्रीधारी भर्ती परीक्षा 2018 : 6 दिसंबर 2020 को परीक्षा होनी थी, एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड ने परीक्षा रद्द कर दी।

रीट लेवल 2 परीक्षा 2021 : माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से 26 सितंबर को परीक्षा आयोजित की गई थी, ये पर्चा भी लीक हो गया और करीब 4 महीने बाद सरकार ने पेपर लीक मानते हुए रद्द कर दिया।

बिजली विभाग टेक्निकल हेल्पर भर्ती परीक्षा 2022 : इस परीक्षा को ऑनलाइन करवा लिया गया था, लेकिन बाद में पर्चा लीक होने की ख़बर आई तो बवाल मच गया, इसमें 6 केंद्रों की परीक्षा रद्द करवा दी गई थी।

राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर से कांस्टेबल भर्ती परीक्षा 2022 : 14 मई 2022 को इसका पेपर हुआ था, दूसरी पारी का पेपर वायरल होने पर इसे रद्द कर फिर से परीक्षा आयोजित की गई थी।

वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 : इस परीक्षा का आयोजन राजस्थान चयन बोर्ड ने 12 नवंबर 2022 को किया था, लेकिन पेपर के विकल्प सोशल मीडिया पर वायरल होने की वजह से इस पारी की परीक्षा को बोर्ड ने रद्द किया। 

हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा 2022 : पेपर लीक होने के बाद ये परीक्षा भी रद्द कर दी गई।

सेकंड ग्रेड 2022 : ये पेपर भी लीक होने की वजह से रद्द हो गया था।

मेडिकल ऑफिसर भर्ती परीक्षा-2021 : इसे ऑनलाइन आयोजित किया गया था, लेकिन परीक्षा का पेपर लीक होने के बाद सरकार ने परीक्षा को रद्द करते हुए ऑफलाइन परीक्षा का आयोजन करवाया।

पिछले चार सालों में हुए इन पेपर लीक को देखकर ये कहा जा सकता है कि 2019 के बाद प्रदेश में हर साल औसतन 3 पेपर लीक हुए। ख़बरों के मुताबिक़ इनकी जांच कर अधिकारियों ने पाया कि लीक हुए पेपर 5 से 15 लाख रुपये में बिके।

इसके अलावा आरोप लगाए जाते हैं कि इन परीक्षाओं में बैठने के लिए अभ्यर्थियों ने जो फॉर्म भरे हैं, उसके लिए उनसे मोटी रकम ली गई है, और बाद में उस परीक्षा को लीक कर दिया जाता है। सरकार पर आरोप लगाए जाते हैं कि अभ्यर्थियों का इतना पैसा कहा जा रहा है।

इन्ही चीज़ों को लेकर भाजपा मुद्दा बना रही है और अब जब चुनाव नज़दीक आए हैं, तब भाजपा इसके लिए सीबीआई जांच की मांग भी करने लगी है। इसे लेकर 10 दिन से ज़्यादा समय तक बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा धरने पर बैठे, उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि "हम धरने पर बैठे हैं। मैं यहां राजस्थान में पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रहा हूं। मुझे दुख है कि मेरी अपनी पार्टी, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने पेपर लीक का मुद्दा उस तरह से नहीं उठाया, जिस तरह से उठाया जाना चाहिए था।"

फिलहाल अगर 21 जुलाई को विधानसभा सभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेपर लीक के मामले में कानून ले आते हैं, तो आने वाले चुनावों में उनके लिए फायदे का सौदा हो सकता है, हालांकि इस बात से इनकार भी नहीं किया जा सकता है कि ठीक चुनाव से पहले इस कानून को लाना सीधे तौर पर युवाओं को साधने जैसा है।

आपको बता दें कि पेपर लीक मामले में वैसे तो उम्र कैद की सज़ा के प्रावधान की बात की जा रही है, लेकिन पेपर लीक के विरोध में संघर्ष करने वाले और प्रदर्शन करने वाले संगठनों और युवाओं की मांग है कि जो लोग पहले इस मामले में लिप्त हो चुके हैं उन्हें भी करीब 10 साल की सज़ा तो दी ही जाए।

इसके अलावा राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ की ओर से पेपर लीक के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन तय किया गया है।

ऐसे में अशोक गहलोत के फैसले पर भी निर्भर करता है कि प्रदेश के युवा और उनके संगठन इस पर अपनी क्या प्रतिक्रिया देते हैं।

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