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एसी नगर, कृष्णा नगर बस्ती के मज़दूर परिवारों को राहत; सुप्रीम कोर्ट ने की रेलवे की याचिका ख़ारिज

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "...अभी मजदूर परिवारों का पुनर्वास भी नहीं हुआ है। पहले रेलवे पॉलिसी बनाए एवं पुनर्वास दिलाए फिर आगे की प्रक्रिया करे। इसलिए इस मामले को पुनः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा जाए। यह कहते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

हरियाणा के फरीदाबाद जिले में स्थित फरीदाबाद की सबसे बड़ी कच्ची बस्ती ऐसी नगर जिसमें 196 परिवारों और कृष्णा नगर कच्ची बस्ती के 185 मजदूर परिवारों को वर्ष 2021 के माह फरवरी में नॉर्दन रेलवे द्वारा नोटिस जारी करते हुए तत्काल ही घर खाली करने को कहा गया था तथा रेलवे इन बस्तियों की जमीन को अपनी जमीन बता रहा था।

दोनों ही बस्तियों के मजदूर परिवारों ने रेलवे कार्यालय में जाकर आवश्यक दस्तावेज जमा करवाएं जिनमें मजदूर परिवारों द्वारा एसी नगर एवं कृष्णा नगर में पिछले 30 वर्षों से रहने के प्रूफ दिए किंतु रेलवे ने मजदूरों से जमीन के पट्टे मांगे जो मजदूरों के पास नहीं थे। इसलिए रेलवे ने इस जमीन को अपनी जमीन बताते हुए एक-एक सप्ताह के भीतर मजदूरों को जमीन से बेदखल करने की ठानी थी।

सभी मजदूरों ने मिलकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका फाइल की। दोनों ही बस्तियों के मजदूरों को पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने स्टे देकर राहत प्रदान की। किंतु रेलवे को यह भी मंजूर नहीं हुआ। फिर रेलवे ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तक दी जहां यूनियन ऑफ़ इंडिया बनाम कृष्णा नगर ग्राम विकास समिति का मामला सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। इस मामले (सिविल मैटर12251/22) में माननीय न्यायाधीश सूर्यकांत एवं न्यायाधीश जेबी परदीवाल ने कहा कि बिना हाईकोर्ट के निर्णय दिए सुप्रीम कोर्ट इस मामले को सुनने नहीं की स्थिति में नहीं है और सुप्रीम कोर्ट इस इन्वेस्टिगेशन को करने के लिए सीधी प्रक्रिया नहीं अपना सकती। अभी मजदूर परिवारों का पुनर्वास भी नहीं हुआ है। पहले रेलवे पॉलिसी बनाए एवं पुनर्वास दिलाए फिर आगे की प्रक्रिया करे। इसलिए इस मामले को पुनः पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए भेजा जाए। यह कहते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे द्वारा लगाई गई याचिका को खारिज कर दिया।

सामाजिक न्याय एवं अधिकार समिति एसी नगर के विजय कुमार ने बताया कि जमीन अभी डिस्प्यूट लेंड की श्रेणी में है इसका फैसला होना चाहिए। कभी फरीदाबाद नगर निगम इसे अपनी तो कभी रेलवे अपनी जमीन बता देता है।

कृष्णा नगर के राहुल कुमार ने बताया कि हरियाणा सरकार ने बस्तियों को नियमित करने की घोषणा की थी फिर हमारी बस्ती को किस कारण बस्ती के नियमन से वंचित कर दिया गया, इसका सरकार हमें जवाब दे। 

भूमि एवं आवास के मुद्दे पर लंबे समय से कार्य कर रहे मजदूर आवास संघर्ष समिति के संयोजक निर्मल गोराना अग्नि ने बताया कि सरकारों का काम सृजन की दिशा में होना चाहिए न कि जबरन बेदखली करे। जबकि रेलवे के पास मजदूर परिवारों को बसाने के लिए पुनर्वास की ठोस कोई योजना नहीं है। फरीदाबाद में रेलवे के किनारे बसे हजारों मजदूर परिवार हैं जिन्हें बिना पुनर्वास के रेलवे विस्थापित नहीं कर सकती है। फरीदाबाद के गायकवाड नगर के मजदूर परिवारों को रेलवे ने बिना पुनर्वास दिए उजाड़ दिया था जिसे 7 वर्ष एवं संजय नगर बस्ती को उजाडे 2 वर्ष होने आए हैं। किंतु आज तक किसी एक भी परिवार का कोई पुनर्वास नहीं हो पाया है। जबकि विस्थापित हुए परिवारों में से 80 प्रतिशत से अधिक मजदूर कई वर्ष पूर्व प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत आवेदन कर चुके हैं और सरकार ने वर्ष 2022 तक देश में सभी बेघरों को घर देने का वादा किया था। आज भी लाखों परिवार हरियाणा में पुनर्वास के लिए दर-दर भटक रहे हैं। यह मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। इसलिए हरियाणा सरकार सर्वे कर कच्ची बस्तियों का डाटा तैयार करके उन्हें नियमित करे और पुनर्वास की पुरानी योजनाओं में संशोधन करके नई योजना बनाए एवं तत्काल जीरो इविक्शन पॉलिसी लागू करे।

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