ओडिशा में दमन और गणतंत्र दिवस बनाम गण
![Odisha](/sites/default/files/styles/responsive_885/public/2025-01/1000055545.jpg?itok=QCS07KWv)
भारत में कुछ दिनों में ही ‘गणतंत्र दिवस’ का आयोजन होगा। आदिवासी महिला राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस पर ध्वाजारोहण करेंगी। यह दिवस हमें यह एहसास दिलाता है कि हम गण के लिए ‘तंत्र’ है। उसके बाद कर्तव्य पथ (राजपथ) पर भारत की संस्कृति और उसकी विरासत की झांकी दिखाई जाती हैं। इस झांकी में लगभग हर साल आदिवासी संस्कृति और किसानों से संबधित झांकियां होती हैं, जिनमें प्रदर्शित आदिवासी पोशाक, वाद्ययंत्र और साथ में प्राकृतिक चित्र सबका मन मोह लेते हैं। इसी दिन देश की ताकत का भी अहसास कराया जाता है कि हम कितने ताकतवर हैं। हम सभी को यह सब बहुत खूबसूरत लगता है और हम खुद को ‘गौरवान्वित’ महसूस करते हैं। पर जब गण ‘गणतंत्र दिवस’ के एहसास को अपने जीवन में उतारने का प्रयास करता है तो गण और तंत्र में बहुत अंतर दिखता है।
जिन हथियारों को राजपथ पर देखकर हम रोमांचित होते हैं, उन्हीं हथियारों से हमें डर लगने लगता है। हम देखते हैं कि उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल लोगों को डरा-धमका कर उनकी जीविका के साधन को छीनने के लिए किया जा रहा है। हम बात करेंगे उन आदिवासियों की, जहां से देश की प्रथम आदिवासी महिला राष्ट्रपति हैं और जहां प्रदेश का मुख्यमंत्री भी आदिवासी है। आखिर किस तरह से वहां आदिवासियों के अधिकारों को तंत्र के द्वारा कुचला जा रहा है। देश के राष्ट्रपति को किसानों से मिलने के लिए समय नहीं है और राज्य में मुख्यमंत्री के पास शिकायत देने के लिए मिलने जाने पर जेलों में बंद कर दिया जा रहा है।
6 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री ने देश भर में रेलवे के कई परियोजनाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंस के द्वारा उद्घाटन किया। इस दौरान उन्होंने ओडिशा के रायगड़ा रेल मंडल भवन की आधारशिला रखी। इसी कार्यक्रम में भाग लेने ओडिशा के मुख्यमंत्री मांझी (जो स्वयं आदिवासी हैं) पहले से तय कार्यक्रम जनसुनवाई को स्थगित कर आदिवासी इलाके रायगड़ा पहुंचे। रायगड़ा जिले के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता ‘मां, माटी माली सुरक्षा मंच’ बनाकर ‘तीजीमाली’, ‘कुटरूमाली’ और ‘माजनमाली’ पहाड़ों जैसे प्रकृति की धरोहर को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इन पहाड़ियों को नवीन पटनायक सरकार पहले ही अदानी और वेदांता को माइनिंग के लिए लीज पर दे चुकी है। नई सरकार और आदिवासी मुख्यमंत्री बनने पर यहां के आदिवासियों को आशा थी कि उनकी बात को मान लिया जायेगा। भाजपा सरकार के आने और मुख्यमंत्री, राष्ट्रपति (जिनका गृह प्रदेश है) के आदिवासी होने के बावजूद उन पर दमन रुका तो नहीं, उल्टे और तीव्र हो गया।
12 अगस्त, 2023 को वहां के 22 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। उसके बाद से आदिवासियों पर दमन चक्र और भी तेज हो गया है। 11 दिसम्बर, 2024 को प्रदीप कुमार नाइक (पवित्र नाइक) को कटक से रायगड़ा वापस आते समय रास्ते में बस से उतार कर गिरफ्तार कर लिया गया। ‘मां, माटी माली सुरक्षा मंच’ के सक्रिय कार्यकर्ताओं के लिए बाजार, शहर जाना खतरनाक हो गया है। कम्पनी की मिलीभगत से पुलिसिया उत्पीड़न से तंग आकर अदिवासियों ने रायगड़ा आ रहे मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर अपनी समस्या रखनी चाही जिसमें पुलिस द्वारा प्रताड़ित व्यक्ति का फोटो भी संलग्न था। उनकी मांगे थीं-
1) मेसर्स वेदांता लिमिटेड को दिए गए ‘तीजीमाली’, ‘कुटरूमाली’ बॉक्साइट रिजर्व के खनन पट्टे को रद्द किया जाए।
2) रायगड़ा जिले के काशीपुर ब्लॉक के तीजीमाली-कुटरूमाली क्षेत्रों के निर्दोष आदिवासियों और दलितों के खिलाफ रायगड़ा पुलिस द्वारा दर्ज सैकड़ों झूठी एफआईआर को रद्द किया जाए।
3) तीजीमाली-कुटरूमाली क्षेत्रों के आदिवासियों और दलितों पर लगातार हो रहे पुलिस अत्याचारों की न्यायिक जांच की जाए।
4) श्री श्रीनिवास राव, एमडी, मैत्री इंफ्रास्ट्रक्चर एंड माइनिंग इंडिया लिमिटेड, श्री सुधीर दास, जिला अध्यक्ष, बीजू जनता दल (बीजेडी), रायगड़ा , श्री दुर्गा प्रसाद पांडा, जिला अध्यक्ष, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आईएनसी), रायगड़ा , श्री जगदीश पात्रा, महासचिव, बीजेडी, श्री विवेकानंद शर्मा, आईपीएस, पूर्व एसपी, रायगड़ा, एमएस स्वधा देव सिंह, आईएएस और रायगड़ा के पूर्व कलेक्टर के खिलाफ तत्काल कानूनी कार्रवाई की जाए, जिन्होंने खनन माफिया मेसर्स मैत्री इंफ्रा लिमिटेड की मदद करने के लिए रायगड़ा जिले के काशीपुर ब्लॉक के निर्दोष आदिवासियों और दलितों पर अत्याचार किया है और कर रहे हैं।
5) हजारों गरीब निर्दोष आदिवासियों और दलितों के जीवन को बचाने के लिए रायगड़ा जिले से मैसर्स मैत्री इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड को तत्काल हटाया जाए।
6) काशीपुर पुलिस स्टेशन के आईआईसी, काशीपुर ब्लॉक के बीडीओ, काशीपुर तहसील के तहसीलदार, एडीएम रायगड़ा, उपजिलाधिकारी रायगड़ा, पुलिस अधीक्षक और कलेक्टर रायगड़ा द्वारा तीजीमाली-कुटररूमाली इलाकों के निर्दोष आदिवासियों और दलितों पर किये जा रहे अत्याचार के मद्देनजर उनके खिलाफ तत्काल सीबीआई जांच कराई जाये।
इन मांगों के साथ जब तीजीमाली-कुटरूमाली के उत्पीड़ित दलित, आदिवासी मुख्यमंत्री को ज्ञापन देना चाह रहे थे तो हिरामल नाइक (45 वर्ष), कुमेश्वर नाइक (20 वर्ष), अनंत माझी (23 वर्ष) को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109 (1), 126 (1), 310 (2) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। उस वक्त उनके हाथ में कागज पर लिखा जो ज्ञापन था, वह इस लुटेरी व्यवस्था को हथियार दिखने लगा और इन आदिवासियों पर हत्या का प्रयास, रास्ता रोकने और डकैती जैसी धाराएं लगा कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
क्या भारत में मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति को ज्ञापन देना गुनाह हो चुका है! क्या भारत की जनता के पास अपने उत्पीड़न के खिलाफ बोलने, लिखने, धरना देने का अधिकार नहीं बचा है? अगर अपने उत्पीड़न के खिलाफ बोलना, लिखना अपराध है तो हमें अपने आप को गणतांत्रिक देश कहने का कोई अधिकार नहीं है। आज भारत की जनता को आदिवासियों की 6 सूत्री मांगों के साथ खड़ा होने की जरूरत है। इसके साथ ही हमें हिरामल नाइक, कुमेश्वर नाइक, अनंत माझी और पवित्र नाइक जैसे सैकड़ों-हजारों आदिवासियों की जेल से रिहाई की मांग और उनकी जीविका के साधन जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए आगे आने चाहिए। 700 से अधिक किसानों की शहादत और एक साल से अधिक चले किसान आंदोलन पर लिखित आश्वासन देने के बाद भी किसानों की मांगों का नहीं माना जाना और उन पर पुलिसिया उत्पीड़न करना हर तरह से इस गणतंत्र के खिलाफ है। स्पष्ट है कि भारत के लुटेरे वर्गों के लिए गणतंत्र की परिभाषा अलग है और गण के लिए इस गणतंत्र का परिभाषा अलग। हमें सही मायने में गण के लिए एक सही गणतंत्र की जरूरत है।
(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)
अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।