एसएफआई-डीवाईएफआई ने कर्मचारी चयन आयोग को परीक्षाओं में अनियमिताओं पर सौंपा ज्ञापन!
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आज बृहस्पतवार यानि 25 फरवरी को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) व भारत की जनवादी नौजवान सभा (DYFI) के सदस्यों ने ज्ञापन पत्र के माध्यम से कर्मचारी चयन आयोग में आवेदनकर्ता उम्मीदवारों की व्यथा को प्रेषित करने का प्रयास किया।
कर्मचारी चयन आयोग की संयुक्त स्नातक स्तर परीक्षा व अन्य परीक्षाओं में कईं अनियमिताएं सामने आईं हैं। एसएफआई ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “छात्र विश्वविद्यालयों से डिग्री हासिल करते हैं और उसके बाद प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उच्च शुल्क दे कर प्रशिक्षण लेते हैं। परीक्षा देते हैं और उत्तीर्ण होते हैं लेकिन इसके बाद भी छात्रों को समय पर विभिन्न पदों पर नियुक्त नहीं किया जाता।”
एसएफआई के दिल्ली राज्य के अध्यक्ष सुमित कटारिया ने कर्मचारी चयन आयोग को ज्ञापन पत्र सौंपने के बाद अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, “लगभग तीन वर्ष पूर्व भी छात्रों ने बड़ी संख्या में कर्मचारी चयन आयोग को अनियमितताओं से अवगत कराया था और हाल ही में जारी किए गए परीक्षा परिणाम से उसी प्रकार की अनियमितताओं का शिकार छात्र एक बार फिर हो रहे हैं। कार्यकारी चयन आयोग ने अभी तक अपने कार्य करने के स्तर में कोई प्रगति नहीं दिखाई है और इस दिशा में कोई सुधार देखने को नहीं मिला है। यदि आप छात्रों की समस्याओं से अवगत नहीं है तो हम क्रमवार आपको सूचित करते हैं।”
वहीं दूसरी ओर डीवाईएफआई के दिल्ली राज्य समिति के सचिव संजीव कुमार ने ज्ञापन पत्र में लिखित कुछ जरूरी मांगों को दोहराते हुए कहा, “छात्रों की छोटी-छोटी मांगें जैसे समय पर परीक्षाओं का आयोजन किया जाए व परीक्षा परिणाम लंबित न रखे जाए, विभिन्न पदों पर तय समय पर नियुक्तियां की जाए, परीक्षा परिणामों को जारी करने में पारदर्शिता बरती जाए आदि को यह सरकार पिछले कईं सालों से अनसुना करती आई है।”
उन्होनें आगे बताया कि सामान्यकरण या मानकीकरण (Normalisation) की प्रक्रिया या युक्ति आवेदनकर्ता या उम्मीदवारों की समझ से परे है। किस प्रकार अंक कम या अधिक हो जाते हैं? सरकार को चाहिए कि इसको तुरंत निरस्त करे।”
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने गत वर्ष जानकारी दी थी कि करीब एक लाख से अधिक रिक्तियां सुरक्षा बलों की हैं जबकि 2018 में उत्तीर्ण हजारों उम्मीदवारों को अभी तक नियुक्त नहीं किया गया है।
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