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आजमगढ़ में SKM ने मनाया विश्वासघात दिवस, लखीमपुर कांड के साजिशकर्ता अजय मिश्र टेनी की गिरफ्तारी की मांग

किसानों की ओर से जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टेनी (केंद्रीय गृहराज्य मंत्री) को बर्खास्त करते हुए उन्हें केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त करने और गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग उठाई गई है।
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उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने विश्वासघात दिवस मनाया और लखीमपुर खीरी कांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टेनी की बर्खास्तगी और निर्दोष किसानों की जेल से रिहाई की मांग उठाई। इस मौके पर किसानों ने मार्च भी निकाला। साथ यह भी कहा कि डबल इंजन की सरकार झूठ की नींव पर टिकी है। यह सरकार किसानों को न्याय देने का वादा तो करती है, पर पूरा करने की बारी आती है तो खामोशी की चादर ओढ़ लेती है।

"संयुक्त किसान मोर्चा" के बैनर तले आजमगढ़ के किसानों ने विश्वासघात दिवस मनाया और किसान विरोधी कानून को रद्द करने, न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने का विधेयक पारित करने के साथ ही लखीमपुर खीरी हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टेनी को केंद्रीय गृह राज्यमंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग उठाई। साथ ही निर्दोष किसानों को रिहा करने और उनके ऊपर लगाए गए झूठे केस वापस लेने का मुद्दा उठाया। साख ही दो मिनट का मौन रखकर शहीद किसानों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

संयुक्त किसान मोर्चा के आजमगढ़ के संयोजक राजेश आज़ाद ने कहा, "लखीमपुर खीरी के तिकोनिया में किसानों के सामूहिक नरसंहार के एक साल बीतने पर भी भाजपा सरकार दोषी मंत्री अजय सिंह टेनी को बचाने में जुटी है। टेनी के बेटे आशीष ने दबंगई दिखाते हुए किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन से लौट रहे किसानों पर अपनी थार गाड़ी चढ़ा दी थी। इस घटना में चार किसान और एक पत्रकार शहीद हो गए थे और अन्य 13 से अधिक किसान बुरी तरह घायल हुए। यह घटना सुनियोजित थी। आशीष मिश्र टेनी ने जानबूझकर घटना को अंजाम दिया। इस कुकृत्य के खिलाफ देश-विदेश में विरोध प्रदर्शन हुए। शहीद किसानों के अंतिम संस्कार के दौरान किसान नेताओं के साथ सरकार का कुछ मांगों पर समझौता हुआ, लेकिन उन मांगों पर न तो केंद्र सरकार ने और न ही राज्य सरकार ने कोई ध्यान दिया।"

विश्वासघात दिवस मनाने पहुंचे किसान नेता दुखहरन राम, रविन्द्र नाथ राय, नंदलाल,राजीव यादव, रामराज, दान बहादुर मौर्या, राहुल विद्यार्थी, विनोद यादव, मुकेश, अवधेश यादव, राजेश यादव ने कहा, "आजादी के 75 साल पूरे होने पर लखीमपुर महापड़ाव में भी इन मांगों को दोहराया गया। उस समय जिला प्रशासन ने अगस्त के अंत तक राज्य सरकार के साथ बैठक कराने का वादा किया, लेकिन यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज तक समझौता बैठक नहीं कराई। लगता है कि यह सरकार किसानों को अपना दुश्मन मान बैठी है। उसे किसान नेताओं के साथ बैठक करने की फुर्सत नहीं है। लखीमपुर कांड हुए एक साल गुजर गए, लेकिन पीड़ित किसानों को अभी तक न्याय नहीं मिला।"

किसानों की ओर से जिलाधिकारी के माध्यम से प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें लखीमपुर हत्याकांड के मुख्य साजिशकर्ता अजय मिश्र टेनी (केंद्रीय गृहराज्य मंत्री) को बर्खास्त करते हुए उन्हें को केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री के पद से बर्खास्त करने और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग उठाई गई है। यह भी कहा गया है कि इस सिलसिले में हमने एफआईआर संख्या 219/21 दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस ने उस पर कोई एक्शन नहीं लिया। लखीमपुर कांड के लिए सीधे तौर पर अजय मिश्र टेनी ही दोषी हैं। टेनी के आपत्तिजनक बयान की वजह से किसानों ने तीन अक्टूबर को तिकोनिया में विरोध प्रदर्शन किया था। 25 सितंबर 2021 को सभा में खुले मंच से एक धर्म विशेष के किसानों को लखीमपुर खीरी से खदेड़कर कर बाहर करने की धमकी दी थी, जो पूरी तरह असंवैधानिक जुर्म था। एसआईटी की जांच के निष्कर्षों में भी टेनी को 120 बी  का मुल्जिम माना गया था।  इसके बावजूद डबल इंजन की सरकार अजय मिश्र टेनी को बचाने में जुटी है। सबसे ज्यादा शर्मनाक है आज तक उनका केंद्रीय मंत्री बने रहना है। अजय मिश्र टेनी की किसानों के प्रति अपमानजनक और शत्रुतापूर्ण बयानवाजी आज भी जारी है। ऐसे अपराधी को मंत्री पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। उसकी सजग जेल में होनी चाहिए।

ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि जेल में बंद किसानों की तत्काल रिहाई होनी चाहिए। साथ ही फर्जी मामलों की वापसी, 4 अक्टूबर, 2022 को शहीद पांच साथियों के अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस कमिश्नर लखनऊ निरंजन कुमार, वरिष्ठ आई जी पुलिस लक्ष्मी सिंह, तत्कालीन डीएम,  एसएसपी से हमारे नेताओं की जो बातचीत हुई थी कि हमलावरों की ओर से किसानों के खिलाफ लगाए जा रहे हत्या के आरोपों के संदर्भ में पुलिस प्रशासन इसे घटना को गंभीर और एकाएक उकसावे से पैदा हुई कार्रवाई समझकर किसानों को गिरफ्तार नहीं करेगी। साथ ही जिन किसानों का नाम हमलावरों ने हत्या करने में लिखवाया है, उन्हें धारा 304 ए के तहत आरोपी बनाकर उन्हें तुरंत जमानत दे देगी। आश्वासनों के विपरीत हमारे चार साथियों को धारा 302 आईपीसी के तहत आज तक जेल में डाल रखा है, ताकि इन्हें जमानत न मिल सके। शर्मनाक बात यह है कि किसानों को जेल में सड़ाने के लिए कोर्ट में सरकारी वकील पैरवी कर रहे हैं।

अपनी जान की रक्षा करना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। किसी कारण से आपकी सरकार इसको मान्यता देने को तैयार नहीं है और किसानों को डराने की मंशा से उनका दमन कर रही है। चार किसानों के ऊपर लगाए गए आरोपों की सही विवेचना कर उन्हें शीघ्र जमानत दिलाई जाए और उन्हें दोषमुक्त किया जाए।

ज्ञापन में मांग की गई है कि लखीमपुर के शहीद किसानों और घायलों के परिवारों को आर्थिक मदद और सरकारी नौकरी देने का वादा सरकार शीघ्र पूरा करे। यूपी सरकार के अफसरों ने घटना के समय पीड़ित परिवारों को भरोसा दिलाया था कि राज्य सरकार हर शहीद हुए के परिजनों को 45 लाख रूपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देगी। घायलों को 10 लाख रूपये मुआवजा देने का एलान किया गया था, लेकिन वो वादा भी पूरा नहीं किया गया। खेद का विषय है कि सरकार ने सिर्फ पांच शहीद किसानों के परिवारों को 45 लाख रूपये मुआवजा दिया है। बाकी को मुआवजा देने से भाजपा सरकार मुकर रही है। इस घटना में घायल 13 साथियों को अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया और न ही शहीद किसानों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी गई।

लखीमपुर कांड के गवाहों पर जानलेवा हमले कराए जा रहे हैं। पैरवी कर रहे किसान नेताओं पर फर्जी मुकदमों में फंसाने और डराने-धमकाने की साजिशें हो रही हैं। पैरवी करने वालों को सरकार सुरक्षा मुहैया कराए, ताकि शहीद किसानों को न्याय मिल सके।

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