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ग्राउंड रिपोर्ट: हिंदू देवताओं की तस्वीर वाले अख़बारों में खाना लपेटकर देने वाले रेस्टोरेंट मालिक की गिरफ़्तारी, कितनी सच्चाई?

रेस्टोरेंट मालिक पर आरोप है कि वह हिंदुओ के देवी देवताओं के फ़ोटो वाले अखबारों में नॉनवेज की पैकिंग कर बेच रहा था, भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया
Muslim
रेस्टोरेंट मालिक को ले जाती पुलिस

संभल पुलिस ने सोमवार को एक रेस्टोरेंट मालिक को धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में जेल भेज दिया, दरअसल रेस्टोरेंट मालिक पर आरोप है कि वह हिंदुओ के देवी देवताओं के फ़ोटो वाले अखबारों में नॉनवेज की पैकिंग कर बेच रहा था, भारतीय जनता युवा मोर्चा के पदाधिकारी की शिकायत पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है!

क्या है पूरा मामला?

संभल के शंकर स्कूल चौराहे के पास तालिब हुसैन (58) महक रेस्टोरेंट नाम से एक नॉनवेज सेंटर चलाते हैं, उनके यहां दूर दराज़ के लोग चिकन फ्राई लेने आते हैं, लेकिन रविवार को भाजयुमो के जिला उपाध्यक्ष हिमांशु कश्यप उनके यहां पुलिस लेकर पहुंच जाते हैं और पुलिस को दिखाते है कि तालिब हिन्दू देवी देवताओं के फ़ोटो वाले अख़बार में चिकन पैक कर बेच रहे हैं जिसकी वजह से हिंदुओ की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, पुलिस ने तालिब को गिरफ्तार कर सोमवार को धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में जेल भेज दिया।

तालिब हुसैन के बेटे ताबिश हुसैन ने न्यूज़क्लिक के लिए पूछने पर बताया कि "हम अखबार मार्किट से खरीदकर लाते हैं जिसमें रोटियां पैक करके दी जाती हैं, लेकिन कुछ लोग हमारे रेस्टोरेंट पर आये और देवी देवताओं के फ़ोटो वाले रखे अखबारों का फ़ोटो खींचकर ले गये, कुछ देर बाद हिन्दू संगठनों के लोग रेस्टोरेंट पर जमा हो गये और उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया, पुलिस मेरे पापा को अपने साथ ले गई और जेल भेज दिया, अगर हमसे ग़लती हुई है तो हमें माफ़ करके न्याय देना चाहिए, मेरे पापा को रिहा करना चाहिए, हम सभी से माफ़ी मांगते है!

तालिब हुसैन के एडवोकेट इक़तिदार हुसैन ने बताया कि "यह पूरा का मामला फ़र्ज़ी बनाया गया है, तालिब अखबारों में चिकन नही बल्कि रोटियां पैक कर देता था, आप खुद सोच सकते हैं कि अखबार में चिकन कैसे पैक हो सकता है, लेकिन पुलिस ने ना सिर्फ़ तालिब पर धार्मिक भावना आहत करने का आरोप लगाया बल्कि ख़ुद पर चाकू से जानलेवा हमला करने की धारा (307) भी जोड़ उसे जेल भेज दिया है और पुलिस ने दूसरी तरफ़ एफआईआर में लिखा है कि "हम पर हुए हमले के मामले में कोई भी गवाही देने के लिए तैयार नही हुआ है", जबकि रेस्टोरेंट पर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है जिसमे ऐसा कुछ भी नही है"!

संभल पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर ओमकार सिंह ने कहा कि "तालिब ने धार्मिक भावनाओं को आहत किया है और पुलिस वहां पहुंची तो उसने चाकू से हमला किया फ़िलहाल उसे जेल भेज दिया गया है"

सहारनपुर हिंसा के आरोप में हिरासत में पीटे गये युवकों को अदालत ने किया बरी

सहारनपुर कोतवाली में 11 जून को कुछ युवकों के साथ पुलिसकर्मियों द्वारा पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था, उस वीडियो को BJP विधायक शलभ मणि त्रिपाठी ने "बलवाइयों को रिटर्न्स गिफ्ट" कैप्शन के साथ ट्वीट किया था जिसमें देखा जा सकता है हिंसा के आरोपियों के साथ पुलिस हिरासत बेरहमी से पिटाई की जा रही है। 

नूपुर शर्मा के विरुद्ध 10 जून को उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों के साथ सहारनपुर में भी प्रदर्शन किया था, जिसके बाद सहारनपुर प्रशासन ने 83 लोगों को हिंसा के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेजा था, 8 युवकों समेत पुलिस ने अपनी जांच में उन 4 युवकों के मामले में भी अदालत में क्लीन चिट रिपोर्ट दाख़िल की जिनको हिरासत में पीटा गया था, पुलिस की क्लीन चिट रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने बरी कर दिया है जिसके बाद जेल प्रशासन ने 8 युवकों को रविवार की सुबह जेल से रिहा कर दिया है!

बरी होने के बाद जेल से रिहा हुए मोहम्मद अली ने बताया कि ,"मैंने जुमे की नमाज अपने घर के पास मस्जिद में पढ़ी, नमाज़ के बाद एक्टिवा लेने के लिए एजेंसी की तरफ चला गया तो रास्ते में पुलिस ने पकड़ थाने में ले गई, रात होते ही पिटाई शुरू कर दी, करीब 4 से 5 पुलिसकर्मी लाठियां बरसा रहे थे, मेरे बारे में मेरे चाचा साजिद थाने में पता करने गये तो पुलिस ने उन्हें पकड़ जेल भेज दिया, वे अभी भी जेल में है मैंने 22 दिन बिना किसी अपराध के जेल में बिताए है, मुझे न्याय मिलना चाहिए"!

22 दिन बाद बरी होकर जेल से रिहा हुए शुभान ने बताया कि "10 जून की शाम 2 पुलिसकर्मियों ने 10 से 15 मिनट तक लाठियों से पिटाई की, निर्दोष होने की गुहार लगाई लेकिन किसी ने भी हमारी नहीं सुनी, शरीर पर पिटाई से नील पड़ गए थे, पैरों से भी चला नहीं जा रहा था, लेकिन दोषी बनाकर जेल भेज दिया गया"

बरी किये गये युवकों के एडवोकेट मोहम्मद सलीम ने बताया कि "पुलिस ने चार्जशीट दाख़िल करते वक़्त अपनी जांच में पाया है कि उनके ख़िलाफ़ हिंसा या प्रदर्शन में शामिल होने के सबूत नही हैं इसलिए पुलिस ने अदालत में क्लीन चिट दाखिल की और बेगुनाहों को अदालत की तरफ से न्याय मिला जिसकी वजह से वह अब बाहर आ गये है"!

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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