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अमेठी: ‘संजय गांधी अस्पताल’ पर ताला, इलाज के लिए भटक रहे मरीज़

उत्तर प्रदेश की अमेठी ज़िले में संजय गांधी अस्पताल के लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया। ओपीडी और इमरजेंसी सेवाएं बंद कर दी गई हैं। कांग्रेस ने इस बाबत ज़िलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा है।
Sanjay Gandhi Hospital

बीते मंगलवार यानी 19 सितंबर की सुबह से लेकर रात तक लोग संजय गांधी अस्पताल के चक्कर काटते रहे। कोई रिक्शे से आ रहा था, तो कोई अपने मरीज़ को लेकर साइकिल से, किसी के पास कोई साधन नहीं तो गोद में उठाए ही लिए आ रहा था। दुर्भाग्यवश ये सभी अपने साथियों का या अपने परिजनों का इलाज नहीं करा सके क्योंकि अस्पताल की इमरजेंसी और ओपीडी सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई थी।

मामला उत्तर प्रदेश में अमेठी ज़िले का है। जहां मौजूदा वक्त में भाजपा की स्मृति ईरानी सांसद हैं, जो अक्सर कहती रहती हैं, कि उन्होंने इस लोकसभा से गांधी परिवार का वजूद ख़त्म कर दिया है।

हालांकि अभी तो अमेठी में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ख़त्म होती दिखाई पड़ रही है, क्योंकि मुंशीगंज में स्थित ज़िले के सबसे बड़े अस्पताल पर ताला लगा दिया गया है।

अब ताला लगाए जाने का कारण क्या है, ये भी जान लीजिए...दरअसल 14 सितंबर को पथरी का ऑपरेशन कराने के लिए अनुज शुक्ला नाम के शख्स ने अपनी पत्नी दिव्या शुक्ला को भर्ती कराया था। अब आरोप ये है कि 15 सितंबर को ऑपरेशन के लिए एनेस्थीसिया का ओवर डोज़ देने की वजह से वो कोमा में चली गई। 16 सितंबर को परिजन उन्हें लेकर लखनऊ के मेदांता अस्पताल पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। मामले में अस्पताल के सीईओ समेत तीन डॉक्टरों पर मुंशीगंज थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ। मामला हाई प्रोफाइल होने के बाद स्वास्थ्य मंत्री ने भी संज्ञान लेते हुए अमेठी प्रशासन को अस्पताल के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया। सीएमओ की जांच में अस्पताल प्रशासन दोषी पाया गया। उसके लाइसेंस को निलंबित कर दिया गया।

हालांकि इस पूरे मामले पर अस्पताल के सीईओ अवधेश शर्मा का कहना है कि "आरोप ग़लत हैं, महिला के इलाज में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं की गई। हमने अपने सीनियर मैनेजमेंट को पूरी जानकारी दे दी है। फाइनल डिसीज़न क्या लेना है, इस पर विचार किया जा रहा है। अगर हमें ज़रूरत पड़ी, तो हम कोर्ट भी जाएंगे।

उधर अस्पताल में मौजूद बाक़ी तीमारदारों ने नाराज़गी जताई है, उनका कहना है कि शनिवार तक यहां इलाज हो रहा था, लेकिन किसी हादसे की वजह से अस्पताल को बंद कर दिया गया है। रोज़ाना हज़ारों लोग यहां इलाज कराने आते थे। अब वो कही और जाएंगे। तीमारदारों का कहना है कि "हादसा हुआ तो डॉक्टरों पर कार्रवाई हो, अस्पताल बंद करने की क्या ज़रूरत है, हम हमारे मरीज़ को सीरियस कंडीशन में लेकर कहां जाएं?”

आपको बता दें कि संजय गांधी अस्पताल ज़िले का इकलौता स्वास्थ्य केंद्र है, जहां वेंटीलेटर, ब्लड बैंक सुविधा, डायलिसिस, सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, ब्लड जांच सहित अन्य सुविधाएं हैं। अस्पताल परिसर में हर दिन करीब 550 से 600 मरीज़ों की ओपीडी होती थी। हर दिन 200 से ज़्यादा मरीज़ों की इमरजेंसी भी होती थी। अस्पताल परिसर में 1000 से अधिक मरीज़ों की अलग-अलग जांचें होती थी। ऐसे में अस्पताल में ताला लग जाना वो भी अचानक, रोज़ाना आने वाले तमाम मरीज़ों के लिए परेशानी का कारण बन गया है।

क्योंकि मामला अमेठी का है, तो राजनीति होनी भी निश्चित है.. इसी कड़ी में रायबरेली से कांग्रेस सांसद सोनिया गांधी के प्रतिनिधि किशोरी लाल शर्मा अमेठी जिले के गौरीगंज स्थित कांग्रेस पार्टी के कार्यालय पहुंच गए, जहां उन्होंने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक की। बाद में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि संजय गांधी अस्पताल सालों से जनहित की सेवा में अमेठी में लगा हुआ है, उसको बंद करने का तरीका गलत है। उन्होंने कहा, "किसी की गलती का दंड उस व्यक्ति को मिलना चाहिए न की संस्था को।"

इसके अलावा कांग्रेस नेताओं ने संजय गांधी अस्पताल की सेवाएं फिर से बहाल करने के लिए ज़िलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा।

उधर कांग्रेस नेताओं ने पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ ज़िले में मोर्चा खोल दिया है और स्मृति ईरानी के कामों को विकास नहीं विनाश करार दे दिया।

आपको बता दें, संजय गांधी अस्पताल का संचालन संजय गांधी मेमोरियल ट्रस्ट, दिल्ली से किया जाता है। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी इस ट्रस्ट की अध्यक्ष हैं, जबकि पार्टी नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा इसके सदस्य हैं।

फिर इस बात से कौन वाक़िफ नहीं है कि स्मृति ईरानी के राजनीतिक रिश्ते राहुल गांधी से कैसे रहे हैं, वो अक्सर राहुल गांधी, सोनिया गांधी या प्रियंका वाड्रा पर हमलावर रही हैं।

ऐसे में कांग्रेस नेता आरोप लगा रहे हैं कि राजनीतिक द्वेष में अस्पताल बंद किया गया है। ऐसे में मरीज़ों का क्या होगा इसकी चिंता की जानी चाहिए।

आपको बता दें संजय गांधी अस्पताल में ताला लगने से न सिर्फ मरीज़ों को दिक्कत हो रही है, बल्कि उन एक हज़ार से ज़्यादा छात्र-छात्राओं का भविष्य भी अधर में लटक गया है, जो यहां नर्सिंग और पैरामैडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके अलावा करीब 400 से ज़्यादा कर्मचारियों के जीवन यापन पर भी संकट खड़ा हो सकता है।

दरअसल अस्पताल परिसर में ही नर्सिंग और पैरामेडिकल का कॉलेज भी है जिसमें करीब एक हज़ार छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। संजय गांधी अस्पताल में ही उनकी ट्रेनिंग होती है। इस अस्पताल में डॉक्टरों, स्टाफ और सिक्योरिटी गार्ड समेत 400 से अधिक कर्मचारी तैनात हैं। अगर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन पूरी तरह से ख़त्म हो जाता है, तो इन लोगों की नौकरी चली जायेगी। साथ ही अस्पताल में पढ़ने वाले पैरामेडिकल और नर्सिंग के छात्र-छात्राओं को दूसरी जगह जाकर ट्रेनिंग लेनी पड़ेगी।

अब नज़र इस बात रखनी होगी कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के वीवीआईपी संसदीय क्षेत्र में संजय गांधी अस्पताल फिलहाल जब तक बंद है, लोगों को उसका विकल्प क्या मिलता है।

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