सऊदी महिला अधिकार से जुड़ी कार्यकर्ता लुजैन को टेरर कोर्ट में पेश किया गया
सऊदी अरब की महिला अधिकार कार्यकर्ता लुजैन अल-हथलौल को सऊदी अरब ने मई 2018 से क़ैद कर रखा है। उन पर अब आतंक की सुनवाई करने वाली अदालत में मुक़दमा चलेगा। उनके परिवार के हवाले से बुधवार 25 नवंबर को कई मीडिया संस्थानों ने इस खबर को प्रकाशित किया है। लुजैन ने 26 अक्टूबर को सऊदी जेल के अधिकारियों द्वारा परिवार से नियमित तौर पर मिलने जुलने की अनुमति नहीं देने के विरोध में भूख हड़ताल शुरू किया था।
लुजैन की छोटी बहन लीना अल-हथलौल ने मीडिया को बताया है कि परिवार को सूचित किया गया था कि लुजैन को बुधवार को अदालत में पेश किया गया। इससे पहले क्रिमिनल कोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र की सीमा व्यक्त करते हुए मामले को टेरर कोर्ट में स्थानांतरित कर दिया। अल-हथलौल के अनुसार बुधवार को सरकारी अधिकारियों की क्रूरता के चलते 900 दिनों से ज़्यादा दिनों तक जेल में रखे जाने के बाद सुनवाई अचानक शुरू की गई।
कार चलाने की सऊदी महिला के आधिकारों को बढ़ावा देने वाले उनके अभियानों और सऊदी पुरुष के गार्जियनशिप के खिलाफ उनकी आलोचना को लेकर मशहूर होने के बाद दो साल पहले लुजैन को संयुक्त अरब अमीरात में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें क़ैद कर लिया गया था।
सऊदी सरकार ने उन पर देशद्रोही होने और “देश के हितों को नुकसान पहुंचाने” का आरोप लगाया है। वह गंभीर आपराधिक आरोपों का सामना कर रही है जैसे कि "सऊदी अरब दुश्मन विदेशी निकायों के साथ संचार करना," सरकारी कर्मचारियों को गोपनीय जानकारी एकत्र करने के लिए भर्ती करना" और "विदेशी संस्थाओं के लिए वित्तीय सहायता पहुंचाना जो किंगडम के शत्रु हैं"।
जेल में क़ैद के दौरान लुजैन से जेल अधिकारियों द्वारा क्रूर और अमानवीय व्यवहार किया गया है जिसने उन्हें मार पीट के साथ बिजली के झटके देने जैसे काफी मनोवैज्ञानिक और शारीरिक यातनाएं दी हैं। जेल अधिकारियों द्वारा उन्हें डराने-धमकाने के प्रयास में जेल में कथित तौर पर उनका यौन उत्पीड़न भी किया गया था जिसके बाद लुजैन ने खुद अंतरराष्ट्रीय राजनयिक और मानवाधिकार प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान जेल अधिकारियों से मिली रेप की धमकी के बारे में बताया।
लुजैन उन सैकड़ों सऊदी नागरिकों में से एक है जिन्हें महीनों और सालों तक बिना किसी क़ानूनी प्रक्रिया के या बिना मुकदमे के जेल में रखा गया है। कई लोगों को तो उनके खिलाफ लगे आरोपों की जानकारी भी नहीं दी गई है। मानवाधिकार संगठन ग्रांट लिबर्टी के अनुसार साल 2017 में मोहम्मद बिन सलमान के सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बनने के बाद से 309 राजनीतिक कैदी सऊदी शासन के हाथों अपने मानवाधिकारों के उल्लंघन का शिकार हुए हैं।
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