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सीट-बंटवारे पर बातचीत : कांग्रेस को इंडिया गठबंधन का नेतृत्व कैसे करना चाहिए?

ग्रैंड ओल्ड पार्टी पर अब एक बड़ी ज़िम्मेदारी आ गई है, जिसने संकेत दिया है कि वह समझौता करने की इच्छा रखती है।
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विपक्ष के इंडियन नेशनल डेवलोपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के नेता शुक्रवार, 1 सितंबर, 2023 को मुंबई में अपनी बैठक से पहले एक समूह तस्वीर के लिए पोज़ देते हुए। छवि सौजन्य: पीटीआई

आम चुनाव बस कुछ ही महीने दूर हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनाव जीतने की आरामदायक स्थिति में है, तब तक, जब तक कि गैर-भाजपा दलों के बीच मजबूत गठबंधन न हो या विपक्षी दलों के बीच आमने-सामने की लड़ाई में भाजपा को हराने कोई मौन सहमति न हो। सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी होने के नाते भाजपा की हार सुनिश्चित करने में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (कांग्रेस) की प्रमुख भूमिका होने वाली है।

तो कांग्रेस पार्टी को क्या करना चाहिए?

विश्वसनीय विश्लेषकों के अनुसार, उसे लगभग 300 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना चाहिए जहां उसका सीधा मुकाबला भाजपा से होगा, जैसे कि कर्नाटक (28 सीटें), गुजरात (26), राजस्थान (25), मध्य प्रदेश (29), छत्तीसगढ़ (11), आंध्र प्रदेश (25), तेलंगाना (17), असम (14), ओडिशा (21), हरियाणा (10), उत्तराखंड (5), हिमाचल (4), पूर्वोत्तर (11), केंद्र शासित प्रदेश (12) – जो कुल मिलाकर 238 सीटें बैठती हैं।

कांग्रेस पार्टी को महाराष्ट्र में एनसीपी और शिवसेना के साथ गठबंधन करना चाहिए और 48 में से कम से कम 22 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। बिहार में उसे जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और वाम दलों के साथ गठबंधन करना चाहिए यहां इसे पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए और झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) सात सीटों पर चुनाव लड़ेगी। तमिलनाडु में, कांग्रेस पार्टी को द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) और अन्य सहयोगियों के साथ दस सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन करना चाहिए, और केरल में (यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के साथ 16) – यानि कुल 44 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।

उत्तर प्रदेश में, उसे समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) के साथ गठबंधन या सीट साझा करना चाहिए और केवल पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए, जबकि समाजवादी पार्टी को क्रमशः 65 और आरएलडी को पांच और अन्य दलों को पांच सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। यानी कांग्रेस पार्टी को कुल पांच सीटें मिलनी चाहिए। 

पश्चिम बंगाल में, उसे पाँच से अधिक सीटों पर चुनाव नहीं लड़ना चाहिए और शेष 37 सीटें ममता की टीएमसी के लिए छोड़ देनी चाहिए – यानि पाँच सीटें कांग्रेस पार्टी के लिए होनी चाहिए।

पंजाब (13 सीटें) और दिल्ली (सात) में उसे आप के साथ गठबंधन करना चाहिए और क्रमशः पंजाब में छह और दिल्ली में दो सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।

जम्मू और कश्मीर (छह सीटों) में, कांग्रेस पार्टी को नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ गठबंधन करना चाहिए, क्रमशः सभी को दो-दो सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।

कुल मिलाकर, कांग्रेस को 305-310 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए और अन्य राज्यों में समान विचारधारा वाली मित्र पार्टियों के लिए 240 सीटें छोड़नी चाहिए।

विपक्षी वोटों का विभाजन न हो इसे सुनिश्चित करने की इस रणनीति के साथ, कांग्रेस पार्टी कम से कम 140-150 लोकसभा सीटें जीत सकती है, और अन्य 120-130 सीटें समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों के पास जा सकती हैं, जिससे वे केंद्र में  एक गठबंधन सरकार बनाने की स्थिति में आ सकते हैं।  

द इंडियन एक्सप्रेस में 7 जनवरी को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, कांग्रेस नेतृत्व ने अपनी राज्य इकाइयों से कहा है कि पार्टी आगामी लोकसभा चुनावों में 255 सीटों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो 2019 के चुनावों की तुलना में [इंडिया] गुट की खींचतान और दबाव” के साथ कम सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी का संकेत है। 

6 जनवरी को प्रकाशित पिछली रिपोर्ट में, द इंडियन एक्सप्रेस ने बताया था कि पार्टी ने यह भी घोषणा की है कि "इंडिया ग्रुपिंग में भागीदारों के साथ सीट-बंटवारे की बातचीत तुरंत शुरू होगी"।

इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति के सदस्यों से मुलाकात की, जिन्होंने पिछले कुछ दिनों में राज्य इकाइयों के साथ व्यापक चर्चा की थी। समिति ने अपनी रिपोर्ट नेतृत्व को सौंप दी है और समिति ने इंडिया ब्लॉक के घटकों के साथ बातचीत शुरू करने की अनुमति दे दी है। 

राज्य के नेताओं ने इसे एक संकेत के रूप में पढ़ा कि पार्टी इस बार इंडिया गठबंधन की पार्टियों को समायोजित करने के लिए कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है। 

यह समझ में आने वाली बात है 

2019 के लोकसभा चुनाव में, कांग्रेस ने 421 सीटों पर चुनाव लड़ा था और केवल 52 सीटें जीतीं थी। यह कुछ राज्यों में गठबंधन का हिस्सा थी – जैसे बिहार में राजद, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर), झारखंड में झामुमो और तमिलनाडु में द्रमुक के साथ थी। इस हिसाब से, उसने बिहार की 40 सीटों में से केवल नौ, झारखंड की 14 सीटों में से सात, कर्नाटक की 28 सीटों में से 21 सीटों, महाराष्ट्र की 48 सीटों में से 25 सीटों और तमिलनाडु की 39 सीटों में से नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था। उत्तर प्रदेश में उसने 80 में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था।

कांग्रेस जानती है कि कुछ राज्यों, खासकर दिल्ली, पंजाब, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में सीटों का बंटवारा मुश्किलों भरा होगा।

जहां आम आदमी पार्टी ने संकेत दिया है कि वह पंजाब और दिल्ली में कांग्रेस के साथ सीट-बंटवारे पर समझौता करने को तैयार है, वहीं उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी ने संकेत दिया है कि वह 65 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि 15 सीटें कांग्रेस, आरएलडी और अन्य के लिए छोड़ेंगी। 

पार्टी ने इंडिया गठबंधन के दलों के साथ राज्य-दर-राज्य आधार पर बातचीत करने का निर्णय लिया है। दूसरे शब्दों में, उदाहरण के लिए, कांग्रेस दिल्ली और पंजाब में अलग-अलग सीट बंटवारे के साथ-साथ गुजरात और हरियाणा जैसे राज्यों में आप पार्टी के साथ बातचीत करेगी, जहां दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी कुछ प्रभाव होने का दावा करती है।

यही बात वामपंथी और अन्य दलों पर भी लागू होगी, जो इंडिया गठबंधन के बैनर तले एक से अधिक राज्यों में चुनाव लड़ना चाहेंगे।

गठबंधन समिति के संयोजक और वरिष्ठ कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने खड़गे के आवास पर बैठक के बाद कहा, ''हमारा पूरा इरादा यह सुनिश्चित करना है कि इंडिया गठबंधन को बहुमत मिले और सरकार बने। हम उस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए गठबंधन के विभिन्न दलों से बात करेंगे। हमारा उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केंद्र में इंडिया गठबंधन की सरकार बने।''

पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नेताओं से कहा कि वे अपने मतभेदों को दूर करें, एक-दूसरे के बारे में टिप्पणी करने से बचें और पार्टी के आंतरिक मामलों को मीडिया में न ले जाएं। सूत्रों ने कहा है कि पार्टी ने राज्य इकाइयों से उम्मीदवार चयन प्रक्रिया शुरू करने और जल्द से जल्द पहली सूची उपलब्ध कराने को कहा है।

लेखक एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। व्यक्त विचार निजी हैं। 

मूल अंग्रेजी लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Seat-Sharing Talks? How Congress Should Lead INDIA Alliance

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