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सिंह बंधु, तीन अन्य चार दिन की पुलिस हिरासत में, उच्च न्यायालय ने आदेश सुरक्षित रखा

इस मामले में मलविंदर को शुक्रवार की सुबह, जबकि शिविंदर, गोधवानी, अरोड़ा और सक्सेना को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया।
singh brothers
Image courtesy: times of india

दिल्ली की एक अदालत ने आरएफएल गबन मामले में फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटरों मलविंदर सिंह, उनके भाई शिविंदर सिंह और तीन अन्य को शुक्रवार को चार दिन की पुलिस हिरासत में दे दिया। वहीं, मामले में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर नोटिस जारी करने के सवाल पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि इस पर आदेश बाद में दिया जायेगा।

इन लोगों को रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (आरएफएल) के कोष का गबन करने और उसे 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

धन का अन्य मद में इस्तेमाल करने तथा दूसरी कंपनियों में निवेश करने के आरोपों में गिरफ्तार लोगों में मलविंदर (44) के अलावा उसका भाई शिविंदर (48), रेलिगेयर एंटरप्राइजेज लिमिटेड (आरईएल) के पूर्व अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक सुनील गोधवानी (58) तथा आरईएल और आरएफएल में महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके कवि अरोड़ा और अनिल सक्सेना शामिल हैं।

इस बीच, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने सभी आरोपियों को मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत की अदालत में पेश किया। अपराध शाखा ने आरोपियों को छह दिन की पुलिस हिरासत में देने का अनुरोध किया।

मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने आरोपियों को चार दिन की पुलिस हिरासत में दे दिया।

इस मामले में मलविंदर को शुक्रवार की सुबह, जबकि शिविंदर, गोधवानी, अरोड़ा और सक्सेना को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार किया गया।

वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरएफल कोष गबन मामले में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने के लिए मलविंदर सिह की याचिका पर नोटिस जारी करने के सवाल पर सुनवाई पूरी करने के बाद कहा कि इस पर आदेश बाद में दिया जायेगा।

न्यायमूर्ति बृजेश सेठी ने इस याचिका पर सिंह, दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और आरएफएल की दलीलें सुनने के बाद कहा कि इस मामले में आदेश बाद में सुनाया जायेगा।

सिंह ने शुक्रवार को अपनी गिरफ्तारी से पहले उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।

उन्होंने उच्च न्यायालय में अपनी याचिका में कहा कि कॉरपोरेट मंत्रालय के अधीन आने वाला गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ) ही उनके खिलाफ फर्जीवाड़े और धोखाधड़ी के आरोपों की जांच कर सकता है।

सिंह ने कहा कि मामले में आरईएल की शिकायत पर एसएफआईओ पहले ही जांच कर रहा है और इसलिए ईओडब्ल्यू द्वारा जांच नहीं की जा सकती।

ईओडब्ल्यू और आरएफएल ने याचिका के गुण-दोष पर सवाल उठाए, जबकि सिंह ने अदालत से मामले में नोटिस जारी करने और पुलिस द्वारा शुरू की गई कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया।

पुलिस ने मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट से यह कहते हुए इन लोगों का रिमांड मांगा कि यह इसलिए जरूरी है क्योंकि वे कथित तौर पर कोष का अन्य मद में इस्तेमाल करने में शामिल थे और इसका पता लगाया जाना है।

इसने आगे कहा कि कथित धोखाधड़ी और कोष गबन मामले में काफी लोग शामिल हैं।

पुलिस ने आग्रह किया कि आरोपियों को उसकी हिरासत में भेजा जाए क्योंकि सह-षड्यंत्रकारियों का पता लगाने के लिए आरोपियों का अन्य अधिकारियों से आमना-सामना कराया जाना है।

अपराध शाखा ने कहा कि यह पता लगाना है कि धन किस तरह इधर-उधर किया गया और जांच अभी शुरुआती चरण में है।

आरोपियों की ओर से पेश वकील ने दिल्ली पुलिस के आवेदन का विरोध किया और कहा कि उनके पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है क्योंकि साक्ष्य दस्तावेजी है।

मलविंदर सिंह के वकील ने अदालत में कहा कि उनका मुवक्किल जांच में शामिल हुआ है और सभी प्रश्नों का उत्तर दिया है जिसके लिए उसकी पुलिस हिरासत की जरूरत नहीं है।

सिंह ने अदालत को बताया कि उसने यह कहते हुए उच्च न्यायालय में हलफनामा दिया है कि धन उसके पास नहीं है।

उसने पुलिस के अनुरोध का विरोध किया और कहा कि उसे आसान निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अपनी पैरवी खुद कर रहे उसके भाई शिविंदर ने अनुरोध का विरोध नहीं किया।

शिविंदर ने अदालत से कहा कि वह स्वयं में एक पीड़ित है और जांच में सहयोग करने को तैयार है।

आरएफएल आरईएल की अनुषंगी इकाई है। मलविंदर और शिविंदर पूर्व में आरईएल के प्रवर्तक थे।

पुलिस ने कहा था कि मलिवंदर के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर जारी किया गया था क्योंकि वह फरार था।

आर्थिक अपराध शाखा के अतिरिक्त आयुक्त ओपी मिश्रा ने इससे पहले संवाददाताओं को बताया कि मलविंदर को गुरुवार और शुक्रवार की दरम्यानी रात लुधियाना में हिरासत में लिया गया था और ईओडब्ल्यू टीम द्वारा यहां लाए जाने के बाद उसे सुबह औपचारिक रूप से गिरफ्तार किया गया।

ईओडब्ल्यू ने आरएफएल के मनप्रीत सिंह सूरी से शिविंदर, गोधवानी और अन्य के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद मार्च में प्राथमिकी दर्ज की थी।

शिकायत में कहा गया था कि आरोपियों ने कंपनी का प्रबंधन कार्य करते हुए रिण लिया, लेकिन संबंधित धन का निवेश अन्य कंपनियों में कर दिया।

मिश्रा ने कहा, ‘‘इन लोगों ने वित्तीय मजबूती नहीं रखने वाली कंपनियों को ऋण देकर आरएफएल की वित्तीय स्थिति कथित रूप से खराब कर दी। जिन कंपनियों को ऋण दिया गया, उन्होंने जानबूझकर धन वापस नहीं किया और इससे आरएफएल को 2,397 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा।’’

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