किसानों के साथ छात्र -युवा भी परेशान, लाखों की संख्या में ट्वीट कर ज़ाहिर की अपनी पीड़ा
वर्तमान दौर में चाहे किसान हो या नौजवान सभी बदहाल व्यवस्था, सरकारी लापरवाही व अनदेखी से त्रस्त हैं। जहां एक ओर कल यानी 27 सितंबर को किसानों का भारत बंद था वहीं दूसरी तरफ़ उसी समय देशभर के लाखों नौजवान छात्रों ने एक मेगा ट्विटर कैम्पेन किया जहाँ 40 लाख से अधिक ट्वीट्स के साथ रेलवे के छात्रों ने अपनी पीड़ा को ज़ाहिर किया। यह कोई पहला मौका नहीं है जब युवाओं ने अपने हक़ के लिए इस तरह का अभियान चलाया हो। पिछले कुछ सालों से देश में नौकरी के अवसर बढ़ने के बजाए घट रहे हैं। जिससे युवाओं में घोर निराशा के साथ ही भारी गुस्सा भी है। वो अलग-अलग समय पर सड़को से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दिखता भी रहा है।
सोमवार को ऐसे ही एक सवाल को लेकर युवाओं ने सोशल मीडिया पर सरकार से गंभीर सवाल पूछे। दरअसल रेलवे की एक परीक्षा जिसकी अधिसूचना साल 2019 में लोकसभा चुनावों से ठीक पहले जारी हुई थी आज तक उस भर्ती के लिए पहले चरण की भी परीक्षा नही कराई जा सकी है जिसके परिणामस्वरूप लाखों आक्रोशित छात्रों ने ट्विटर के माध्यम से अपनी आवाज़ और तकलीफ को सरकार को सुनाने की कोशिश की है।
आख़िर छात्रों को ट्विटर कैम्पेन की ज़रूरत क्यों पड़ी?
पिछले कुछ सालों से हमारे देश में सरकारी भर्ती परीक्षाओं को लेकर एक अजीबोगरीब पैटर्न सा बन गया है जिसमें छात्रों को अधिसूचना से लेकर परीक्षा तारीखों और उसके बाद परिणाम से लेकर जॉइनिंग तक के लिए मजबूरन आंदोलन करना पड़ता है कभी सड़कों पर उतरकर तो कभी ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के सहारे। आज का ट्विटर आंदोलन भी रेलवे ग्रुप-डी की परीक्षा तारीखों की मांग को लेकर किया गया।
दरअसल रेलवे की तरफ से फरवरी 2019 में ग्रुप-डी भर्ती की अधिसूचना जारी की गई थी जिसके बाद 2.5 साल से अधिक का वक्त बीत चुका है, साल 2021 जाने को है लेकिन आजतक पहले चरण की भी परीक्षा आयोजित नही हुई है। इसकी परिणति आज के इस मेगा कैम्पेन के रूप में हुई। 3.32 मिलियन यानी 30 लाख से अधिक ट्वीट्स के साथ #railway_groupd_examdate हैशटैग भारत में टॉप ट्रेंडिंग में रहा। #railway_groupd_examdate इस हैशटैग के साथ अभ्यर्थियों ने परीक्षा तारीखों के ऐलान की मांग की।
क्या है पूरा मामला?
करोड़ों नौकरियों और रोज़गार के वायदे के साथ देश की सत्ता पर काबिज़ होने वाली मोदी सरकार के दौर में आसमान छूती बेरोज़गारी एक ऐसा जगजाहिर तथ्य है जिसे खुलेतौर पर खुद मोदी समर्थक भी झुठला नही पाते हैं। ऐसे में साल 2019 में लोकसभा चुनावों से ठीक पहले रेलवे रिक्रूटमेंट बोर्ड(RRB) की तरफ से एक लाख से अधिक पदों पर बंपर भर्ती का ऐलान किया गया। इस ऐलान के बाद बेरोज़गारी का दंश झेल रहे लाखों युवाओं को एक बेहतर और सुरक्षित भविष्य की उम्मीद जगी।
रेलवे ने एनटीपीसी और ग्रुप-डी की भर्ती के लिए 1 मार्च 2019 और 12 मार्च 2019 को रजिस्ट्रेशन चालू किए, जिसके बाद करीब 1.4 लाख पदों के लिए 2.4 करोड़ से भी अधिक आवेदन प्राप्त किए गए, जो हिंदुस्तान में रोज़गार और नौकरी के सूरत-ऐ-हाल को बखूबी बयां करता है। रजिस्ट्रेशन से लेकर अबतक 2.5 साल से अधिक का वक़्त पूरा हो चुका है लेकिन आजतक इसकी परीक्षा का कोई अता-पता नहीं है।
लोकसभा 2019 का चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों मे पूरा हुआ था और चुनाव से ठीक पहले रेलवे ग्रुप-डी की भर्ती के लिए 12 मार्च 2019 को रजिस्ट्रेशन चालू किए गए थे। मतदान भी हो गए, चुनाव भी हो गए, सत्ता की अभिलाषा रखने वालों को सत्ता भी मिल गयी, नई सरकार का आधा कार्यकाल भी पूरा होने को है लेकिन 2019 का वो बेरोज़गार युवा आज तक बेरोज़गार है क्योंकि उसे पिछले ढाई साल से परीक्षा का इंतजार है।
छात्रों के इस डिजिटल आक्रोश को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले अध्यापकों का भी समर्थन प्राप्त हुआ और अध्यापकों ने भी छात्रों के साथ मिलकर इस कैम्पेन को सफल बनाने की भरपूर कोशिश की। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने वाले गणित के एक अध्यापक अभिनय शर्मा ने तंज कसते हुए अपने ट्वीट के माध्यम से कहा,"@AshwiniVaishnaw जी अब तो कार्यभार संभाले भी काफी दिन हो गए । कुछ paper work ऑफिस में ही कर लीजिए या हवाई सफर में ही #railway_groupd_examdate paper work पर sign करोगे आप भी? #railway_groupd_examdate मांगों को ट्रेंड में देखकर जल्द से जल्द परीक्षा करवाने की जिम्मेदारी लीजिये।"
. @AshwiniVaishnaw जी अब तो कार्यभार संभाले भी काफी दिन हो गए । कुछ paper work ऑफिस में ही कर लीजिए या हवाई सफर में ही #railway_groupd_examdate paper work पर sign करोगे आप भी ? #railway_groupd_examdate मांगों को ट्रेंड में देखकर जल्द से जल्द परीक्षा करवाने की जिम्मेदारी लीजिये
— Abhinay Maths (@abhinaymaths) September 27, 2021
ऐसे ही एक अध्यापक डॉ गौरव गर्ग लिखते हैं, "अगर हम सरकार से परीक्षा तारीखों की घोषणा करने के लिए कह रहे हैं तो क्या हम बहुत ज़्यादा की मांग कर रहे हैं? वास्तव में यह तो बहुत न्यूनतम चीज है जो हमें पूछनी चाहिए। वे मात्र फॉर्म और आवेदन की लागत के रूप में करोड़ों कमाते हैं। क्या वे जवाबदेह नही हैं?"
Are we asking too much if we are asking the government to declare exam dates? In fact it is the absolute minimum thing we must ask.
They make crores of rupees in form and application costs alone. Aren't they answerable? #railway_groupd_examdate— Dr Gaurav Garg (@DrGauravGarg4) September 27, 2021
छात्रों को विभिन्न परीक्षाओं के लिए गणित पढ़ाने वाले एक अध्यापक राकेश यादव लिखते हैं, "उम्मीद की राह पर बहुत भर्तियां निकाली। युवाओं ने घरवालों से 1 साल का समय मांगा उसने जमकर मेहनत की और इसी तरह 1 से 2 साल हो गए फिर 2 से 3 साल हो गए और आज वही युवा पढ़ाई करने बजाय Tweet करने को विवश है।"
उम्मीद की राह पर बहुत भर्तियां निकाली
युवाओं ने घरवालों से 1 साल का समय मांगा
उसने जमकर मेहनत की और इसी तरह
1 से 2 साल हो गए फिर 2 से 3 साल हो गए
और आज वही युवा पढ़ाई करने बजाय
Tweet करने को विवष है।#railway_groupd_examdate— RAKESH YADAV🇮🇳 (@RYPofficial) September 27, 2021
वहीं युवाओं और छात्रों की आवाज़ को बढ़चढ़कर उठाने वाली युवा हल्ला बोल की टीम ने आज के इस आंदोलन को अपना समर्थन दिया। युवा हल्ला बोल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया, "हम लंबे समय से 'मॉडल परीक्षा कोड' की मांग कर रहे हैं ताकि सभी सरकारी नौकरी भर्ती प्रक्रिया 9 महीने के भीतर पूरी हो सके। अंतहीन देरी बेरोजगार युवाओं पर अत्यधिक मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक बोझ का कारण बनती है। इसे बदलना होगा!"
We have been demanding a 'Model Exam Code' for a long time so that all govt job recruitment process gets completed within 9 months.
The endless delay causes immense mental harassment and financial burden on unemployed youth. This has to change!#railway_groupd_examdate pic.twitter.com/lLv7ELMBDE
— Yuva Halla Bol (@yuvahallabol) September 27, 2021
डिजिटल इंडिया के इस दौर में आज सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्यों एक सरकारी भर्ती की प्रक्रिया एक साल में पूरी नहीं हो सकती? आज जब ज़्यादातर प्रतियोगी परीक्षाओं को कंप्यूटर बेस्ड ऑनलाइन मोड में कराया जाता है इसके बावजूद क्या कारण है कि एक भर्ती प्रक्रिया में 3-3 साल से अधिक का वक़्त लग रहा है? बेरोज़गारी के इस दौर में सरकारी विभागों में लाखों की संख्या में खाली पड़े पदों को भरने में सरकार दिलचस्पी क्यों नही दिखाती? ये सारे सवाल सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाते हैं।
ये कोई एक भर्ती का सवाल नहीं है ,पिछले कुछ सालों में यह नियति हो गई है। पहले भर्ती निकलती नहीं है, कहीं निकल जाए तो परीक्षाएं सालों साल नहीं होतीं और कहीं परीक्षाएं हो जाएं तो रिजल्ट की घोषणाओं में वर्षो का इंतज़ार करना पड़ता है। किसी भर्ती का परिणाम आ जाए तो उसमें गड़बड़ी और धांधली होने की खबर के साथ ही उसे कोर्ट में ले जाकर फंसा दिया जाता है।
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इसको लेकर देश के नौजवान पिछले कुछ सालों से आंदोलित हैं लेकिन सरकार इन सब चिंताओं से दूर अपने गुणगान में व्यस्त है। देश के युवा कई सालों से मनरेगा की तरह ही पढ़े लिखे नौजवानो के लिए भगत सिंह रोज़गार गारंटी योजना की मांग कर रहे हैं।
हाल ही में दिल्ली सहित देशभर में भारत की जनवादी नौजवान सभा(डीवाईएफ़आई) ने "कहाँ है हमारा रोज़गार" के सवाल को लेकर एक देशव्यापी अभियान चलाया था। इसी के तहत राजधानी में भी विरोध प्रदर्शन हुए थे। जिसमें उन्होंने एक आरटीआई के हवाले से बताया था कि दिल्ली में आधे से अधिक स्वीकृत पद ख़ाली पड़े हैं, जिनपर स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है। अब सवाल यह है कि राजधानी का ये हाल है तो बाक़ी दूर दराज़ इलाकों का क्या हाल होगा।
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