क्या हुआ छिन गई अगर रोज़ी, वोट डाला था इस बिना पर क्या!
ग़ज़ल
लग गई सेंध फिर मिरे घर क्या?
रख दूं इल्जाम नेहरुओं पर क्या!
अक़्ल की बात और भक्तों से,
अक़्ल पे पड़ गए हैं पत्थर क्या!
घर का सब कुछ चुरा के बेच दिया,
इनसे बढ़के था मीर जाफ़र क्या!
क्या हुआ छिन गई अगर रोज़ी,
वोट डाला था इस बिना पर क्या!
अब वहीं बैठ के भजन कीजे,
अन्न देगा न राम रघुबर क्या!
जगमगाता विकास उतरा है,
तुमने देखा न फूल दफ़्तर क्या!
मर गया देश जी गया जीयो,
देश है दोस्ती से ऊपर क्या!
भक्त क्यों भूल अपनी मानेगा,
जान भगवान से है बढ़कर क्या!
चीन का नाम क्यूं नहीं लेते,
कोई मधुमेह का है चक्कर क्या!
छंद रच के जो झूठ फैला दे,
उसको मानेगा कोई शायर क्या!
- आशुतोष कुमार
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