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TRIPS वेवर समझौते : बिग फ़ार्मा और विकसित देश ख़ुश, भारत अभी भी ख़ामोश!

ट्रिप्स वेवर प्रस्ताव पर बातचीत जारी है, विकसित देश ट्रिप्स से जुड़े उन मुद्दों पर ज़ोर दे रहे हैं जो पेटेंट व्यवस्था को मज़बूत करते हैं और बिग फ़ार्मा का पक्ष लेते हैं।
TRIPS Waiver

कोविड-19 महामारी के दौरान टीका वितरण में असमानता, न तो बिग फार्मा के मानवीय पक्ष को और न ही खुद के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले विकसित देशों को अपील करने में सफल  रही है।

विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, ट्रिप्स (बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार से संबंधित पहलू) छूट प्रस्ताव पर बातचीत बिग फार्मा के पक्ष में पेटेंट व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में ढलती दिख रही है।

भारत और दक्षिण अफ्रीका ने अक्टूबर 2020 में ट्रिप्स में छूट संबंधित प्रस्ताव पेश किया था। भारत-दक्षिण अफ्रीका का प्रस्ताव, कॉपीराइट और संबंधित अधिकारों, औद्योगिक डिजाइन, पेटेंट और सुरक्षा कोविड-19 की रोकथाम, उपचार के संबंध में अघोषित जानकारीपर कुछ ट्रिप्स (व्यापार संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार) दायित्वों की अस्थायी छूट की मांग करता है। 

हालांकि, लगभग दो साल की औपचारिक और अनौपचारिक बातचीत के बाद भी, ट्रिप्स छूट प्रस्ताव में कोई तरक्की नहीं देखी गई है, और वास्तव में, कई विकसित देश, बिग फार्मा लॉबी के हितों का प्रतिनिधित्व करते हुए, ट्रिप्स-प्लस प्रावधानों पर जोर दे रहे हैं। जो विकासशील और कम विकसित देशों को कॉर्पोरेट हमले के खिलाफ खुद के हितों की रक्षा के लिए उपलब्ध लचीलेपन को नकारते हैं।

विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक ने 3 मई, 2022 को एक मसौदा भेजा था, जिसे जून 2022 में विश्व व्यापार संगठन के 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक में विश्व व्यापार संगठन में गहन चल रही बातचीत का आधार बनाया गया है। यह मसौदा डब्ल्यूटीओ सचिवालय के नेतृत्व में अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर), यूरोपीय संघ (ईयू), दक्षिण अफ्रीका और भारत के साथ हुई अनौपचारिक चर्चाओं से उभरा है। 

कई विशेषज्ञों ने मसौदे का विश्लेषण किया है, जिसके नवीनतम संस्करण पर बंद दरवाजे के  भीतर चर्चा की जा रही है। मसौदा अभी तक सार्वजनिक डोमेन में नहीं है, लेकिन इसका एक संस्करण सामने आया है और जिसे 25 मई को Bilaterals.org वेबसाइट पर डाल दिया गया था।

भारत-दक्षिण अफ़्रीका ट्रिप्स छूट प्रस्ताव का मज़ाक़ बनाना

चल रही बातचीत के तौर पर, विकसित देशों, जैसे कि यूनाइटेड किंगडम और स्विटजरलैंड ने मसौदे में कई प्रतिबंधात्मक शर्तें पेश की हैं, जिससे बौद्धिक पेटेंट व्यवस्था और भी मजबूत हो गई है।

प्रस्तावित ट्रिप्स छूट समझौते का मक़सद, निर्यात सहित उत्पादन और आपूर्ति सुनिश्चित करना है। हालाँकि, मसौदा इस उद्देश्य का मज़ाक उड़ाता नज़र आता है।

सबसे पहले, मसौदा केवल किसी "योग्य सदस्य" को ट्रिप्स समझौते के अनुच्छेद 28.1 के तहत ट्रिप्स के तहत लचीलेपन का इस्तेमाल करने और घरेलू हितों की रक्षा के लिए प्रदान किए गए अधिकारों के सीमित इस्तेमाल की अनुमति देता है। हालांकि, एक पात्र सदस्य को यहाँ किसी भी विकासशील देश के सदस्य के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसने 2021 में कोविड-19 वैक्सीन खुराक के विश्व निर्यात का 10 प्रतिशत से कम निर्यात किया है। यह मूल रूप से चीन जैसे देशों पर अंकुश लगाने की कोशिश करता है, जिनकी कोविड-19 के 2021 में टीके की कुल निर्यात में हिस्सेदारी है लगभग 34 प्रतिशत हैं और जिन्होंने महामारी के दौरान कई विकासशील देशों को टीके और दवाएं प्रदान की हैं।

ट्रिप्स और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर दोहा घोषणा से एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है जहां अनुच्छेद 28.1 के तहत लचीलेपन का प्रावधान और ट्रिप्स के अनुच्छेद 31 के तहत अनिवार्य लाइसेंस (सीएल) का इस्तेमाल सभी सदस्य देशों पर लागू होता है।

विशेषज्ञों का तर्क है कि यदि "योग्य सदस्य" देश के इस मानदंड को चिकित्साविधान तक बढ़ाया जाता है, तो परिणाम और भी विनाशकारी होंगे क्योंकि कई चिकित्साविधान उत्पादक और निर्यातक भारत जैसे विकासशील देशों से संबंध हैं।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि, आम तौर पर, विकसित देशों ने विकासशील देशों को विश्व व्यापार संगठन में विशेष और विभेदक उपचार के प्रति कमजोर करने का लगातार प्रयास किया है। इसमें महामारी के दौरान विश्व व्यापार संगठन की वार्ता कोई अपवाद नहीं है।

दूसरे, यह मसौदा विकासशील देशों को ट्रिप्स के तहत लचीलेपन प्रावधानों का इस्तेमाल करने से से रोकता है जो उत्पादन और निर्यात की क्षमता रखते हैं।  

रिपोर्टों के अनुसार, 10 मई को जनरल काउंसिल की एक बैठक में, चीन ने कहा था कि यदि पात्र सदस्यों को परिभाषित करने के मामले में निर्यात की हिस्सेदारी की कसौटी की चिंता का समाधान किया जाता है, तो देश ट्रिप्स कोविड के मसौदे में "प्रदान किए गए लचीलेपन का इस्तेमाल नहीं करेंगे"- जो प्रावधान विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक द्वारा भेजे गए मसौदे में दर्ज़ है। 

हालांकि, यह विकल्प, विकसित देशों और बिग फार्मा को अनिवार्य लाइसेंस का इस्तेमाल बंद करने के लिए निर्यात करने की क्षमता वाले विकासशील देशों पर दबाव बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है।

मसौदे को ध्यान से पढ़ने से पता चलता है कि इस मसौदे के कई प्रावधानों को ट्रिप्स समझौते से भी अधिक कठोर बना दिया गया है। इनमें से कई, वास्तव में, ट्रिप्स प्लस प्रावधानों की प्रकृति के हैं - डब्ल्यूटीओ के ट्रिप्स निज़ाम के तहत निर्धारित अनिवार्य या सरकारी द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लाइसेंस का इस्तेमाल करने के लिए अतिरिक्त शर्तों को शामिल किया गया है - जो अंत में उच्च स्तर की बौद्धिक संपदा (आईपी) प्रदान करते हैं और पेटेंट धारकों को सुरक्षा प्रदान करते हैं।

एक, अनिवार्य लाइसेंस जो ट्रिप्स के लचीलेपन प्रावधान के तहत इस्तेमाल के लिए है, उस पर भी मसौदा एक आवश्यक शर्त लगाता है, यह निर्दिष्ट करते हुए कि "योग्य सदस्य" इसका उपयोग केवल "कोविड -19 महामारी को संबोधित करने के लिए जरूरी सीमा तक" कर सकते हैं। यह आवश्यकता ट्रिप्स-प्लस तत्व है क्योंकि अनिवार्य लाइसेंस जारी करना कभी भी ट्रिप्स समझौते के तहत इस तरह की जांच के अधीन नहीं रहा है।

दूसरा, मसौदा निर्देश देता है कि "योग्य सदस्य अपने क्षेत्रों में आयात किए गए कोविड-19 की वैक्सीन के पुन: निर्यात को रोकने के लिए सभी उचित प्रयास करेंगे"। विशेषज्ञों का मत है कि यह एक ट्रिप्स-प्लस प्रावधान है और जिसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल जैसे कि कोविड-19 में नहीं लगाया जाना चाहिए। कोविड-19 महामारी के दौरान, कई विकासशील देशों ने एकजुटता और खुराक-साझाकरण प्रतिबद्धता के प्रदर्शन में अन्य विकासशील और कम विकसित देशों के साथ टीकों को साझा किया था।

तीसरा, मसौदा यह शर्त भी रखता है कि 'पेटेंट विषय' में केवल कोविड-19 वैक्सीन के निर्माण के लिए आवश्यक सामग्री और प्रक्रियाएं शामिल हैं। यह केवल पेटेंट टीकों, अवयवों और प्रक्रियाओं के लिए सीएल के उपयोग को सीमित करता है। यह शर्त भी ट्रिप्स-प्लस तत्व के अंतर्गत आती है क्योंकि ट्रिप्स के अनुच्छेद 31 के तहत किसी भी विषय-वस्तु के लिए अनिवार्य लाइसेंस जारी किए जा सकते हैं।

चौथा, मसौदा व्यापार रहस्यों के कारण बाधाओं को दूर करने में विफल रहता है। मेनुफ़ेक्चरिंग  संबंधित जानकारी को अक्सर एक व्यापार रहस्य (ट्रिप्स के अनुच्छेद 39 के तहत) के रूप में संरक्षित किया जाता है, जिसके उपयोग से टीकों के निर्माण और नियामक अनुमोदन में तेजी आ सकती है। हालांकि, मसौदे में विकसित देशों द्वारा सुझाए गए एक हालिया संशोधन में यह शर्त लगाई है कि "इस अनुच्छेद में पैरा में कुछ भी ऐसी व्याख्या नहीं की जाएगी, जो किसी विपणन अनुमोदन प्रक्रिया में किसी पात्र सदस्य के संबंधित अधिकारियों को प्रवर्तक द्वारा प्रस्तुत अज्ञात जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।"

यह ट्रिप्स-प्लस प्रावधान है क्योंकि यह ट्रिप्स समझौते के अनुच्छेद 39.3 के तहत डब्ल्यूटीओ सदस्यों के प्रति लचीलेपन के प्रावधान को समाप्त करता है।

भारत सरकार की चुप्पी और अस्पष्टता को चुनौती देने वाली आवाज़ें

दुनिया भर में कई आवाज़ें - नागरिक समाज, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों की हैं – जिन्होने वर्तमान में बातचीत के प्रस्ताव पर छूट के प्रस्ताव के मसौदे पर बात की है। प्रोफेसर जोसेफ स्टिग्लिट्ज़, जयती घोष और श्रीनाथ रेड्डी सहित प्रसिद्ध विशेषज्ञों ने भारतीय और दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्राध्यक्षों को सीधे अपील भेजी है।

सिविल सोसाइटी और अन्य विषय विशेषज्ञों ने हाल ही में एक पत्र भेजा (दिनांक 28 मई) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि "वाणिज्य मंत्रालय को ट्रिप्स छूट वार्ता में सक्रिय रूप से शामिल होने और 65 डब्ल्यूटीओ सदस्यों के गठबंधन जिसने प्रस्ताव का समर्थन किया है, को नेतृत्व देने का सुझाव दिया है।"

दूसरे वैश्विक कोविड शिखर सम्मेलन में पीएम को उनके बयान पर बधाई देते हुए, पत्र में कहा गया है कि “2021 के दूसरे भाग के बाद से ट्रिप्स छूट प्रस्ताव के बारे में वाणिज्य मंत्रालय की कार्रवाई अपारदर्शी और शांत है। पूरी क्वाड प्रक्रिया के साथ-साथ मसौदे की तालिका के बाद ट्रिप्स छूट पर भारत की स्थिति को स्पष्ट करने वाला कोई बयान या स्पष्टीकरण नहीं आया है।

विशेषज्ञों ने आग्रह किया है कि अंतिम मसौदे में चिकित्सीय विधान और निदान को शामिल करना सुनिश्चित करना चाहिए और यह केवल टीकों तक सीमित नहीं होना चाहिए, और यह कि ट्रिप्स प्लस प्रावधान जैसे, केवल अनिवार्य लाइसेंस, अधिसूचना आवश्यकताओं और एंटी-डायवर्सन के मामले में सूचना का प्रकटीकरण उपबंधों को समाप्त किया जाना चाहिए।

त्रिशूर से संसद सदस्य (लोकसभा), टी.एन. प्रथपन लगातार पीएम मोदी को ट्रिप्स छूट के लीक समझौता मसौदे को खारिज करने के लिए पत्र लिख रहे हैं। उन्होंने ट्रिप्स छूट को चिकित्सीय विधान और निदान के लिए संभावित विस्तार और अंतिम मसौदे से सभी ट्रिप्स प्लस शर्तों को हटाने का सुझाव दिया है।

"वाणिज्य मंत्रालय में नौकरशाही प्रमुख को बदलने के बाद से ट्रिप्स छूट में भारत के दृष्टिकोण पर रुख धीमा और सक्रिय भूमिका" नहीं होने का हवाला देते हुए, उन्होंने उनसे फिर से "स्थिति का जायजा लेने और वाणिज्य मंत्रालय को निर्देश देने को कहा है ताकि मंत्रालय ट्रिप्स छूट मसौदे पर आधारित वार्ता का नेतृत्व कर सके।”

दुनिया भर के कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों ने मसौदे को अस्वीकार करने और गरीब देशों की ओर से दृढ़ता से बातचीत करने की मांग की है, क्योंकि भारत ने इस मुद्दे पर भयानक चुप्पी अपनाई हुई है। हालांकि विश्व व्यापार संगठन का 12वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन इसी सप्ताह शुरू हो रहा है, लेकिन ट्रिप्स छूट प्रस्ताव का भविष्य अभी भी अनिश्चित बना हुआ है।

हालाँकि, जिस तरह से बातचीत चल रही है, ऐसा लगता है कि बिग फार्मा अपने मक़सद में सफल हो सकती है और दुनिया एक अधिक कठोर बौद्धिक संपदा अधिकार व्यवस्था के तहत आ सकती है। यह ट्रिप्स-प्लस प्रावधानों के माध्यम से ट्रिप्स लचीलेपन के प्रावधानों से अर्जित लाभ को और पीछे की ओर ले जाएगा।

इस लेख को मूल अंग्रेजी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:

TRIPS Waiver Negotiations: Big Pharma & Developed Countries Upbeat, India Silent!

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