NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
शिक्षा
भारत
राजनीति
तमिलनाडु : मेडिकल छात्रों का प्रदर्शन 50 दिन के पार; प्रशासन ने विश्वविद्यालय बंद कर छात्रों का खाना-पानी रोका
छात्रों का आरोप है कि राज्य सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय के तहत आने के बावजूद, कॉलेज के कुछ कोर्स में फ़ीस, तमिलनाडु सरकार के नियंत्रण वाले दूसरे मेडिकल कॉलेजों की तुलना में 30 गुना और स्वपोषित निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में 3 गुना तक ज़्यादा वसूली जा रही है।
श्रुति एमडी
28 Jan 2021
तमिलनाडु : मेडिकल छात्रों का प्रदर्शन 50 दिन के पार; प्रशासन ने विश्वविद्यालय बंद कर छात्रों का खाना-पानी रोका

तमिलनाडु के कुड्डालोर जिले के राजा मुथियाह मेडिकल कॉलेज के छात्र पिछले 50 दिन से ज़्यादा  से प्रदर्शन कर रहे हैं। छात्रों का यह प्रदर्शन कॉलेज प्रशासन द्वारा की गई बेतहाशा फ़ीस वृद्धि के खिलाफ़ है।

प्रदर्शन को दबाने के लिए विश्विद्यालय प्रशासन ने "परिसर में विपरीत परिस्थितियों" को आधार बनाते हुए पिछले हफ़्ते कॉलेज बंद कर दिया और छात्रों को हॉस्टल से जबरदस्ती निकालने की कोशिश की। तबसे छात्रों को ठीक से खाना, पानी तक नहीं मिल पा रहा है, ना ही उनके पास बिजली और सफ़ाई जैसी बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं।

लेकिन प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने प्रशासन की तानाशाही के सामने ना झुकने का फ़ैसला किया है। हर दिन वे नए-नए हमलों को नाकाम करते हैं और प्रदर्शन जारी रख रहे हैं। छात्र अपना खाना खुद बना रहे हैं और प्रदर्शन स्थल पर ही अपनी कक्षा ले रहे हैं।

निजी कॉलेजों से भी ज़्यादा बदतर स्थिति

कुड्डालोर जिले में स्थित और अन्नामलाई यूनिवर्सिटी से संबंधित RMMC कॉलेज पर 2013 में तमिलनाडु सरकार ने पूरा नियंत्रण कर लिया था। लेकिन इसके बावजूद यहां निजी चिकित्सा कॉलेजों से भी ज़्यादा शुल्क वसूली जा रही है।

राज्य सरकार के उच्च शिक्षा मंत्रालय के तहत आने के बावजूद, कॉ़लेज के कुछ कोर्स में फ़ीस, तमिलनाडु सरकार के नियंत्रण वाले दूसरे मेडिकल कॉलेजों की तुलना में 30 गुना और स्वपोषित निजी मेडिकल कॉलेजों की तुलना में 3 गुना तक ज़्यादा वसूली जा रही है।

2020-21 की तुलनात्मक फीस (RMMC छात्रों द्वारा जारी)

MD (डॉक्टर ऑफ मेडिसिन) छात्रों को 25000 का भत्ता दिया जाता है, जो दूसरे सरकारी मेडिकल कॉ़लेजो में दी जाने वाली राशि से 10000 कम है।

RMMC के छात्रों का मानना है कि उन्हें ना तो सरकारी कॉलेज में पढ़ने का फायदा मिल रहा है, ना ही उन्हें निजी मेडिकल कॉलेज छात्रों द्वारा हासिल की जाने वाली विशेष सुविधाएं मिल रही हैं। राज्य संचालित विश्विद्यालय RMMC में दाख़िल छात्रो को कोर्स पूरा होने के बाद अनिवार्य सरकारी सेवा से संबंधित दो साल का बॉन्ड भरना होता है। अगर उन्हें बॉन्ड का उल्लंघन करते हुए पाया जाता है, तो उन्हें 40 लाख रुपये सरकार को चुकाने होंगे। इसी तरह पोस्टग्रेजुएट छात्रों को भी अनिवार्य तौर पर तमिलनाडु सरकारी सेवा में दाखिला लेना पड़ता है। इसके बावजूद RMMC के छात्रों के पास दूसरे कॉ़लेजों की तरह की सुविधाएं नहीं हैं। 

RMMC में MD के अंतिम वर्ष के छात्र आशीष ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हर मामले में हमारा कॉलेज सरकारी संस्थान है, हम अनिवार्य सरकारी सेवा का बॉन्ड भरते हैं, हम ऑउट-पेशेन्ट डिपार्टमेंट (OPD) में भी काम करते हैं, लेकिन यहां की फ़ीस स्वपोषित कॉलेजों से भी ज़्यादा बदतर है। किसी निजी कॉलेज में MD के एक छात्र को सालाना 3।5 लाख रुपये तक की फ़ीस देनी होती है। लेकिन यहां मुझे 9।6 लाख रुपये सालाना फ़ीस देनी होती है, जबकि कोर्स पूरा होने के बाद यहां मुझे मनमुताबिक़ काम करने की स्वतंत्रता भी नहीं होती। यह कैसे सही है?"

आशीष पूछते हैं, "एक अहम सवाल यह भी है कि 2स705 करोड़ रुपये कहां गए? यह वह पैसा है जो 2013 से विश्वविद्यालय को आवंटित किया गया है। छात्रों का कहना है कि कॉ़लेज के इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करने में इस पैसे का ठीक ढंग से इस्तेमाल नहीं किया गया।"

RMMC में MS की एक छात्रा पूजा ने न्यूज़क्लिक को बताया, "हम यह प्रदर्शन सिर्फ़ हमारे लिए नहीं कर रहे हैं। अगर हमारे कॉ़लेज को आवंटित हुए पैसे का ठीक से उपयोग हो जाता तो यहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पातीं, कुड्डालोर जिले के सैकड़ों गांवों के लिए बहुत उपयोगी साबित होतीं।"

तेज हुआ प्रदर्शन

छात्रों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार का ध्यान खींचने के लिए विरोध के दौरान कई तरह के सृजनात्मक तरीके अपनाए। अब पिछले हफ़्ते से उन्होंने अपने प्रदर्शन को तेज करने का फ़ैसला किया है। पिछले 6 हफ़्तों से प्रदर्शन के दौरान छात्रों ने यह निश्चित किया था कि उनकी वज़ह से यूनिवर्सिटी द्वारा आम लोगों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर कोई असर ना पड़े। लेकिन प्रदर्शन के 42 वें दिन, 20 जनवरी को उन्होंने "ऑउट पेशेंट डिपार्टमेंट (OPD)" सेवाओं का बॉयकॉट शुरू कर दिया है। इससे एक हफ़्ते पहले उन्होंने नोटिस भी दिया था। 

21 जनवरी को ही प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा, "मेडिकल और डेंटल कॉलेजों को अगले आदेश आने तक अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के लिए आपात प्रभाव द्वारा बंद किया जा रहा है।"

कॉलेज और हॉस्टल बंद होने से खाना, पानी, बिजली और स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच बाधित हो गई है। महिला प्रदर्शनकारी शिक्षकों के घरों में शौचालय उपयोग के लिए अपील करती नज़र आई थीं।

बुनियादी जरूरतों को तक पूरा करने के लिए छात्रों को प्रदर्शन करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कैंपस के बाहर से खाना और पानी लाने के लिए कॉलेज के गेट पर 22 जनवरी को एक प्रदर्शन किया गया। छात्रों को बाल्टियों के साथ पानी के लिए भी प्रदर्शन करना पड़ा। उन्होंने हॉस्टलों के भीतर भी टॉर्च जलाकर बिजली की मांग करते हुए एक प्रदर्शन किया था।

22 जनवरी को जब छात्रों ने मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखा, तभी सफ़ाई, जल और विद्युत सेवा तक उन्हें ठीक ढंग से पहुंच दी गई। छात्रों ने मेस के लिए 80,000 रुपये की फ़ीस भी भरी है, जबकि अब भी मेस को बंद रखा जा रहा है।

यह भी सामने आया कि बहुत सारे छात्र बीमार पड़े। कई छात्र तो भूख, प्यास और थकान के चलते प्रदर्शन स्थल पर ही बेहोश तक हो गए। उनका उनके साथियों ने प्राथमिक उपचार किया।

प्रशासन ने छात्रों के माता-पिता तक भी पहुंचने की कोशिश की, ताकि प्रदर्शन को ख़त्म करवाया जा सके। प्रिया कहती हैं, "हमारे परिवार हमारे प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं। वे इसकी अहमियत जानते हैं। निश्चित ही वे लोग हमारी सेहत को लेकर डरे हुए हैं। लेकिन इसके बावजूद वे तक हमसे पूछ रहे हैं कि उन्हें कब प्रदर्शन में शामिल होना है।" प्रिया ने यह भी बताया कि बच्चों के घरवाले प्रदर्शन को वित्तीय सहायता भी दे रहे हैं।

अंसवेदनशील और अचानक ढंग से अनिश्चितकाल तक के लिए कॉलेज को बंद करने के फ़ैसले से नाराज़ बच्चों ने 25 जनवरी को प्रधानमंत्री को ख़त भी लिखा है। छात्र अपनी मांगों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं।

बता दें कॉलेज की मोटी फ़ीस के खिलाफ़ यह पहला विरोध प्रदर्शन नहीं है। 2017 में छात्रों ने ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट फीस में संशोधन की मांग के साथ आंदोलन चलाया था। लेकिन उस वक़्त भी प्रशासन ने छात्रों के साथ किसी भी तरह की बात करने से इंकार कर दिया था। 

इस लेख को मूल अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें।

Tamil Nadu: Medical Students’ Protest Crosses 50 Days; Admin Shuts University, Denies Food and Water

Tamil Nadu Medical Students
Medical Students Protest
Rajah Muthiah Medical College
Government-run Medical College
Students Protest Against High Fees
Fee Hike
students protest

Trending

सरकार से युवाओं को रोज़गार देने की मांग, कोरोना अपडेट और अन्य
किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
बावल: प्रदर्शन करतीं`महिलाओं की वेतन वृद्धि की मांग और शोषक कंपनी प्रशासन
अपने ही इतिहास से शापित एक असहाय राजनीतिज्ञ का सच बोलना
ग्राउंड रिपोर्ट: नाराज़गी और मलाल के बीच राजस्थान के किसान लंबी लड़ाई के लिए तैयार
महिलाओं को सड़क हादसों के बाद आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है!

Related Stories

सुपवा
सोनिया यादव
सुपवा: फीस को लेकर छात्रों का विरोध, कहा- प्रोजेक्ट्स-प्रैक्टिकल्स के बिना नहीं होती सिनेमा की पढ़ाई
29 August 2020
“फिल्म बनाने की कला कॉपी पेन में लिखकर परीक्षा देने की कला नहीं हैं। फिल्म मेकिंग सीखने के लिए फील्ड पर उतरना पड़ता है। मार्च के बाद यून
jamia
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
जामिया को लेकर वीडियो वार : जेसीसी ने कहा- हाथ में पत्थर नहीं, पर्स है
17 February 2020
बीते 15 दिसंबर, 2019 को जामिया मिलिया इस्लामिया हिंसा मामले में कुछ नए वीडियो सामने आये हैं। इन वीडियो में साफ दिखा रहा है कि पुस्तकालय के अंदर अर्
JNU
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
JNU: दिल्ली HC का छात्रों के हक में फैसला  
24 January 2020
कई संगठनों के लंबे संघर्ष के बाद शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने छात्रावास की नियमावली में संशोधन के फैसले को चुनौती देने वाली जेएनयू छात्र संघ

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • Daily Round-up Newsclick
    न्यूज़क्लिक टीम
    सरकार से युवाओं को रोज़गार देने की मांग, कोरोना अपडेट और अन्य
    25 Feb 2021
    आज के डेली राउंड अप में चर्चा करेंगे सोशल और डिजिटल मीडिया को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार ने जारी किए नियम, छात्र और अध्यापक आज ऑनलाइन आंदोलन चला रहे हैं जिसमें वो सरकार से युवाओं को रोज़गार…
  • किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
    न्यूज़क्लिक टीम
    किसान आंदोलन : किसानों के हौसले बुलंद , आंदोलन का बदलती तस्वीर
    25 Feb 2021
    किसान आंदोलन अपने तीसरे माह में प्रवेश कर गया है। ये आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर भीषण ठंड में शुरू हुआ था जो अब धीरे धीरे गर्मी के मौसम में प्रवेश कर रहा है लेकिन किसानों के हौसले आज भी बुलंद हैं।
  • प्रयोगशाला में विकसित मिनिएचर मस्तिष्क कर रहा है वास्तविक जीवन की स्थितियों की नकल
    संदीपन तालुकदार
    प्रयोगशाला में विकसित मिनिएचर मस्तिष्क कर रहा है वास्तविक जीवन की स्थितियों की नकल
    25 Feb 2021
    यूसीएलए और स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय की शोधकर्ताओं की एक टीम ने इंसानी स्टेम कोशिकाओं से एक साल से (20 महीने) अधिक समय से एक मस्तिष्क कृत्रिम अंग को विकसित किया है और पाया है कि स्टेम-कोशिका से…
  • ssc
    न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
    एसएफआई-डीवाईएफआई ने कर्मचारी चयन आयोग को परीक्षाओं में अनियमिताओं पर सौंपा ज्ञापन!
    25 Feb 2021
    गत वर्ष जानकारी दी थी कि करीब एक लाख से अधिक रिक्तियां सुरक्षा बलों की हैं जबकि 2018 में उत्तीर्ण हजारों उम्मीदवारों को अभी तक नियुक्त नहीं किया गया है।
  • rojgar
    अभिषेक पाठक
    ट्वीट-रूपी सैलाब के साथ छात्रों का हल्ला बोल!
    25 Feb 2021
    बढ़ती बेरोज़गारी, घटती वेकैंसी, कम वेकैंसी की भर्ती में भी चयन आयोगों का गैरज़िम्मेदाराना रवैय्या, सालों-साल का विलंब और ऐसे ही अन्य तमाम मुद्दों पर छात्रों ने ट्विटर के माध्यम से अपना आक्रोश दर्ज कराया।
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें