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ज्ञानवापी विवाद में तप रहा है देश, मगर बनारस के लोग पेश कर रहे शांति-सद्भाव की मिसाल

"बनारस के अल्पसंख्यक समुदाय ने शांति-सद्भाव की एक बड़ी मिसाल पेश की है। इस तबके के लोगों ने अपना कारोबार बंद रखकर विरोध तो प्रदर्शित किया, लेकिन सड़क पर उतरकर ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे शहर का अमनो-अमान बिगड़े। बनारस अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए समूची दुनिया में जानी जाती है।"
banaras

एक के बाद एक कई आतंकी हमलों को झेल चुके बनारस ने समूची दुनिया को अमन-चैन को जो पैगाम दिया है उसे हमेशा याद किया जाएगा। ज्ञानवापी विवाद के बाद से माहौल बिगाड़े की कोशिशें तो बहुत हुईं, लेकिन इस शहर के अमनपसंद लोगों ने देश और दुनिया को बता दिया कि वह अमन के सबसे बड़े पैरोकार हैं। बनारसियों के बीच ताने-बाने का रिश्ता है जो आसानी से दरकरने वाला नहीं है। 10 जून 2022 को देश-प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसक वारदातें हुईं, लेकिन बनारस में शांति रही। ऐसा नहीं कि इस शहर के लोगों ने भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गलतबयानी का पुरजोर विरोध नहीं किया। मुस्लिम बहुल इलाकों में दुकानें पूरी तरह बंद रहीं, लेकिन यहां न कोई सड़क पर उतरा और न ही किसी ने नारेबाजी की।

मुस्लिम बहुल इलाकों में बाज़ारों में पसरा रहा सन्नाटा

बनारसियों के भाईचारे की रवायत से गदगद पुलिस कमिश्नर ए सतीश गणेश ने शनिवार को जनता के नाम एक खुला-पत्र जारी किया। पत्र में कहा गया है, "काशीवासियों के धैर्य, सहनशीलता की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। हर संकट की घड़ी में इस शहर ने अमन-चैन का संदेश दिया है। पांच बार आतंकवादी हमलों को झेलने वाले बनारस ने हमेशा की तरह शुक्रवार को भी एक बड़ी नजीर पेश की। 10 जून को जुमे की नमाज के दिन देश कई हिस्सों में हिंसा वारदातें हुईं, लेकिन बनारस के लोगों ने शांति-सद्भभाव का परिचय देते हुए अमन कायम रखा। सबसे सहयोग और वक्त-वक्त पर दिए महत्वपूर्ण सुझाव से काशी में सर्वत्र शांति रही। इसके लिए प्रबुद्धजनों का हृदय से आभार। ये सहयोग व सुझाव की प्रक्रिया निरंतर जारी रहे।"

बनारस में सड़कों पर गश्त करती पुलिस

विवाद-बवाल के बीच बनारस शांत

गंगा-जमुनी तहजीब के लिए समूची दुनिया में अलग पहचान रखने वाला बनारस हमेशा अमन का पैगाम देता रहा है। फिलहाल का पूरा विवाद ज्ञानवापी मस्जिद और शिवलिंग की डिबेट से ही शुरू हुआ है। लेकिन शहर ने खुद को संभाल रखा है। गुरुवार की शाम बनारस के मिश्रित आबादी वाले संवेदनशील इलाकों में पुलिस ने रूट मार्च किया और दंगा नियंत्रक उपकरणों के साथ पूर्वाभ्यास भी किया, लेकिन बनारसियों ने पुलिस को बता दिया कि वो खुद शहर की पहरेदारी करेंगे। दंगाइयों को खुद पुलिस के हवाले कर देंगे।

बंद रहा दालमंडी बाज़ार

टीवी डिबेट में भाजपा से निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा की धर्म विशेष के अराध्य के खिलाफ की गई जहरीली टिप्पणी के विरोध में दालमंडी,  नई सड़क,  सराय हड़हा,  मदनपुरा, बजरडीहा और पीलीकोठी सहित बनारस के मुस्लिम बहुल इलाकों में दुकानें पूरी तरह बंद रहीं। हालांकि जुमे की नमाज खत्म होने के बाद दालमंडी, नई सड़क और सराय हड़हा सहित कुछ इलाकों में कुछ दुकानें खुलीं, लेकिन ज्यादातर बंद ही रहीं। बजरडीहा समेत बनारस शहर के संवेदनशील इलाकों में पुलिस ने फ्लैग मार्च किया। जुमे की नमाज शांतिपूर्वक हुई। कहीं कोई शोर नहीं मचा। कोई बितंडा भी खड़ा नहीं हुआ। कुछ इलाकों में अफवाह का बाजार जरूर गर्म रहा। विरोध प्रदर्शन पर चर्चा भी होती रही। माहौल तनावपूर्ण भी रहा, लेकिन हर किसी ने धैर्य का परिचय दिया।

ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी के सेक्रेटरी मोहम्मद यासीन

जुमे की नमाज से पहले ही ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी और बुनकर बिरादराना तंजीम बाइसी कमेटी ने अपील जारी करते हुए कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। खासतौर से नौजवान किसी के भी उकसावे में न आएं। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के जॉइंट सेक्रेटरी एसएम यासीन ने चिट्‌ठी जारी करते हुए अपील की थी, "कुछ शरारती तत्व हमारे लोगों, खासतौर से हमारे नौजवानों को भड़काकर गैर-जिम्मेदाराना काम के लिए उकसा कर उनकी जिंदगी से खिलवाड़ करते हैं। बच्चे कानून के शिकंजे में फंसकर अपने और अपने मां-बाप के लिए परेशानी का सबब बनते हैं। हमारी अपील है कि सोशल मीडिया की अफवाहों पर कतई ध्यान न दें। अगर कुछ समझना है तो जिम्मेदार लोगों से संपर्क करें और उनसे मसला समझें। सौहार्द कायम रखने के लिए हम सब मिल कर काम करें।"

अमन के लिए जारी किया गया था यह पैगाम

बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी कमेटी बनारस के सदर सरदार हाफिज मुईनुद्दीन उर्फ कल्लू हाफिज ने भी चिट्‌ठी जारी कर लोगों से शांति की अपील की थी। उन्होंने कहा था, "जुमे पर दुकानें की बंदी की सोशल मीडिया की खबर पूरी तरह से फर्जी है। हमारी कमेटी ने ऐसी फर्जी पोस्ट को नकार दिया है जो शहर के अमन-चैन को बिगाड़ने का प्रयास करती है। सबसे अपील है कि सोशल मीडिया की अफवाह पर कतई ध्यान न दें। रोजाना की तरह आज भी शांतिपूर्वक अपना काम करें और जुमे की नमाज अदा करें।"

नई बस्ती इलाके में पसरा रहा सन्नाटा।

हिन्दू-मुस्लिम के बीच ताना-बाना का रिश्ता

बनारस में शांति की बड़ी वजह है हिन्दू-मुस्लिम के बीच ताना-बाना का रिश्ता। बनारसी साड़ियों का यह ताना-बाना इतना मजबूत है कि उसे कोई नहीं तोड़ सकता है। बनारस के जाने-माने व्यापारी नेता बदरुद्दीन अहमद ने "न्यूज़क्लिक" से कहा, "हम मस्जिदों में सद्भाव और भाईचारगी का पाठ पढ़ाते हैं। कड़वा सच यह है कि भाजपा सरकार जब से सत्ता में आई है तभी से हमारे धैर्य का इम्तिहान ले रही है। हमारी भावनाओं पर कुठाराघात किया जा रहा है। इसके बावजूद हम चुप हैं और देशहित में चुप रहेंगे। हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि प्रशासन निष्पक्ष रहे और ईमानदारी का परिचय दे। शहर की फिजा खराब करने और उत्तेजक बयानबाजी करने वालों के साथ पुलिस सख्ती से निपटे।

व्यापारी नेता बदरुद्दीन

बदरूद्दीन ने यह भी कहा, "आखिर कोई किसी धर्म और संप्रदाय के खिलाफ कोई बात क्यों कहे?  भाजपा नेताओं की काली करतूतों के चलते देश जल रहा है और फिजां में अफवाहें तैर रही हैं। ज्ञानवापी का विवाद खड़ा किया गया, तब भी इस शहर के लोगों ने धैर्य नहीं खोया। अमन का परिचय दिया। बनारस शांत रहा। बनारस नहीं चाहता कि यहां कोई बवाल हो। हिन्दू-मुसलानों के बीच ताना-बाना का अटूट रिश्ता है। एक दूसरे के बगैर दोनों का काम नहीं चलने वाला। कोई लाख कोशिश कर ले, चाहे तो मजाक भी उड़ा ले, लेकिन बनारस का अमनचैन बिगाड़ पाने में कामयाब नहीं होगा। बनारस में बितंडा वो लोग ज्यादा खड़ा कर रहे हैं बाहरी हैं और यहां सिर्फ मुकदमा खड़ करने और कराने के लिए भेजे गए गए हैं। इनकी शिनाख्त होनी चाहिए और सख्त एक्शन भी होना चाहिए। अदालतों को चाहिए कि जो लोग कटपेस्ट वाले मुकदमे दायर कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई हो।"

वाराणसी के वरिष्ठ पत्रकार एवं चिंतक प्रदीप कुमार ने काशी धर्म परिषद आयोजकों की रीति-नीति पर त्वरित टिप्पणी करते हुए कहा है, " दंगाइयों की कोई कौम नहीं होती। दंगाई सिर्फ दंगाई होते हैं। उत्तेजक बयानबाजी करने वाले उन लोगों पर शिकंजा कसा जाना चाहिए धर्म विशेष का चोला पहनकर बनारस शहर की फिजा बिगाड़ने की कोशिश से बाज नहीं आ रहे हैं। जब देश में अफवाहों का बाजार गर्म है तो उत्तेजक बयानबाजी और धर्म परिषद का आयोजन कतई उचित नहीं है। अच्छी बात यह है कि बनारस के अल्पसंख्यक समुदाय ने शांति-सद्भाव की एक बड़ी मिसाल पेश की है। इस तबके के लोगों ने अपना कारोबार बंद रखकर विरोध तो प्रदर्शित किया, लेकिन सड़क पर उतरकर ऐसी कोई हरकत नहीं की जिससे शहर का अमनो-अमान बिगड़े। बनारस अपनी गंगा-जमुनी तहजीब के लिए समूची दुनिया में जानी जाती है।

प्रदीप कहते हैं, "बनारस सिर्फ एक शहर नहीं लघु भारत है। चाहे व्यक्ति हो या समूह हो, संविधान में उल्लेखित अपने अधिकारों के तहत किसी भी फैसले के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज करा सकता है। किसी को यह अधिकार नहीं है कि सड़क पर उतर कर उपद्रव करे। बनारस के हर समझदार शहरी का कर्तव्य है कि जब फिजा में जाने-अंजाने, चाहे-अनचाहे तनाव तैर रहा हो तो खुद पर संयम रखें। शरारती तत्वों की यह कोशिश रहती है कि लोगों को उकसाकर आमने-सामने किया जाए। उनकी इस मंशा को नाकाम करने के लिए संविधान के मुताबिक आचरण और संयम जरूरी है, जिसका प्रदर्शन बनारस के अल्पसंख्यक समुदाय ने किया। अपेक्षा है कि दूसरे समुदाय के लोग भी उसी राह पर चलें। वाराणसी के अल्पसंख्यक समुदाय से पूरे प्रदेश के लोगों को सबक लेना चाहिए और जहां कहीं भी इस तरह की घटनाएं हुईं, या होने की संभावना है वहां भाई-चारे को बढ़ाने का ही काम करें।"

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