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नकली नोटों में 2 हजार के नोटों का हिस्सा तकरीबन 60 फीसदी

NCRB की रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 में जितने भी नकली नोट मिले, उनमें से 60 प्रतिशत 2 हजार के नोट थे। साल 2021 में तकरीबन 20 करोड़ नकली करेंसी पकड़ी गई इसमें से तकरीबन 12 करोड़ की करेंसी 2 हजार रुपए के नोट की थी।
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Image courtesy : Scroll

अपने आस पास के लोगों से पूछिए कि उन्होंने 2 हजार रूपये का नोट कब देखा? उनमें से अधिकतर कहेंगे कि कई दिनों से उन्होंने 2 हजार का नोट नहीं देखा।  कई लोगों से पूछेंगे कि नोटबंदी का क्या फायदा है तो उनमें से अधिकतर कहेंगे कि नकली नोट चलन से बंद हो गए। ऐसे तो कई सारी रिपोर्टें हैं जो बताती हैं कि नोटबंदी का वैसा कोई फायदा नहीं हुआ जिसकी वकालत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते थे। ठीक ऐसे ही नकली नोटों की मौजूदगी से जुड़ी कई रिपोर्टें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो यह बताती हैं कि नकली नोटों की परेशानी अब भी बनी हुई है। इसलिए वह ख्याल छोड़ देना चाहिए जो यह कहती हैं कि नोटबंदी ने नकली नोटों की परेशानी खत्म कर दी होगी।

अभी हाल- फिलहाल प्रकाशित NCRB की रिपोर्ट बताती है कि साल 2021 में जितने भी नकली नोट मिले, उनमें से 60 प्रतिशत 2 हजार के नोट थे। साल 2021 में तकरीबन 20 करोड़ नकली करेंसी पकडे गए। इसमें से तकरीबन 12 करोड़ की करेंसी 2 हजार रुपए के नोट की थी। साल 2016 में सरकार ने नोटबंदी की थी। 500 और 1000 रूपये के नोटों का चलन रातों-रात बंद हो गया था। उसकी जगह पर सरकार ने 2000 और 500 के नए नोट जारी किये थे। सरकार पूरे दमखम के साथ कहती थी कि नकली नोटों का चलन बंद करना नोटबंदी के मुख्य मकसदों में से एक है।

नोटबंदी से एक साल पहले साल 2015 में 15.48 करोड़ रूपये के नकली नोट पकड़े गए थे। साल 2016 में 15.92 करोड़ रूपये के नकली नोट पकडे गए। साल 2017 में 28 करोड़ नकली नोट पकडे गए। साल 2018, 19, 20, 21 में क्रमशः 25, 92, 20 और 15 करोड़ नकली नोट पकडे गए। यानी नकली नोटों की जब्ती में किसी तरह की कमी नहीं आयी है। वह जस की तस बनी हुई है।

 जब भी नकली नोट पकड़े जाते हैं तो सरकार का आरोप होता है कि बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान की तरफ से भारत में नकली नोटों की सप्लाई की जा रही है। लॉकडाउन के समय नकली नोटों की जब्ती कम हुई तो सरकार की तरफ से यह कहा गया कि इसका मतलब है कि यह आरोप नहीं है बल्कि ठीक बात है कि नकली नोटों की सप्लाई दूसरे देशों से होती है। मगर यह सोचने वाली बात है कि जब आर्थिक गतिविधयां ही नहीं होंगी तब यह कैसे मुमकिन है कि नकली नोटों को पकड़ा जाए? नकली नोट तो तब ही पकड़ें जायेगे जब आर्थिक गतिविधयां हों। कहने का मायने यह है कि नकली नोटों के फैलाव को रोकने के लिए आनाकानी करने की बाजे कुछ  गंभीर कदम उठाने की जरूरत है।

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