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''ये डरी हुई सरकार है'': मणिपुर गई NFIW की फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम पर मामला दर्ज

मणिपुर के दौरे से लौटी NFIW की टीम की तरफ से हिंसा को 'राज्य प्रायोजित हिंसा' ( state sponsored violence ) बताने पर मामला दर्ज किया गया है। इस कार्रवाई पर संगठन की नेशनल सेक्रेटरी निशा सिद्धू ने कहा कि ''ये डरी हुई सरकार है''।
NFIW

28 जून से 1 जुलाई तक हिंसा प्रभावित मणिपुर का दौरा करने वाली तीन सदस्य वाली फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम पर मणिपुर में मामला दर्ज किया गया है। इस टीम में भारतीय महिला फेडरेशन ( National Federation of Indian women ) से जुड़ी एनी राजा (जनरल सेक्रेटरी), निशा सिद्धू ( नेशनल सेक्रेटरी) और दिल्ली की एक वकील दीक्षा द्विवेदी शामिल थीं।

दिल्ली लौटने पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम ने मणिपुर में हिंसा प्रभावित महिलाओं और बच्चों की स्थिति के बारे में बताया था साथ ही रिलीफ कैंप में लोगों की आपबीती को बयां किया था। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मणिपुर हिंसा को 'राज्य प्रायोजित हिंसा' ( state sponsored violence ) बताया गया था। इसी बयान पर मामला दर्ज किया गया है।

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मामला 8 जुलाई को इंफाल में एल लिबेन सिंह की तरफ से दर्ज करवाया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कई धाराओं ( 121A, 124, 153, 153A, 153B, 499, 504 505(2) के तहत दर्ज किए गए मामले में राज्य के खिलाफ युद्ध छेड़ना, उकसाना और मानहानि शामिल है।

हमने फ़ैक्ट फाइंडिंग टीम का हिस्सा NFIW की नेशनल सेक्रेटरी निशा सिद्धू से फोन पर बात की। मामला दर्ज होने पर उन्होंने कहा कि'' FIR किसी IPS ने दर्ज करवाई है, उसमें लिखा है कि 'राज्य प्रायोजित हिंसा' ( state sponsored violence) कहा है। ये तो लोग कह रहे हैं ये हम अपनी तरफ से तो नहीं कह रहे, ये तो पब्लिक ने कहा है जिनके बीच में हम गए हैं, वे कह रहे थे कि सरकार ने रोका नहीं है, सरकार की शह पर हो रहा है''।

वे आगे कहती हैं कि '' रिलीफ कैंप में लोगों ने हमसे कहा कि हमारे पास कोई नहीं आया। आप पहले हैं जो हमारे पास आए हैं। मैं ईमानदारी से कह रही हूं कि कूकी और मैतेई दोनों तरफ के लोगों के फोन आए हैं कि आपने हमारे मन की बात कही दी, जो हम नहीं कह सकते थे''।

निशा सिद्धू से पूछा कि वे इस कार्रवाई को कैसे देखती हैं तो उन्होंने कहा कि '' ये डरी हुई सरकार है जो नाकाम हो गई है वहां पर लोगों की मदद करने में''।

3 मई को शुरू हुई हिंसा को दो महीने से ज़्यादा का वक़्त हो गया है लेकिन अब भी मणिपुर से हिंसा से जुड़ी ख़बरें आ रही हैं। क़रीब 150 लोगों के मरने की ख़बर है जबकि हज़ारों लोग विस्थापित हो गए हैं। प्रभावित लोगों में कूकी और मैतेई दोनों ही समुदाय के लोग हैं। इंटरनेट बंद होने की वजह से लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मणिपुर की सटीक तस्वीर पेश करने का कोई दावा नहीं कर सकता ऐसे में वहां महिलाओं और बच्चों का हाल लेने पहुंची NFIW की टीम पर मामला दर्ज होना कई सवाल खड़ा करता है।

मामला दर्ज होने पर NFIW की दिल्ली इकाई की तरफ से भी एक बयान जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि '' यह दिखाई दे रहा है कि सरकार हर उस आवाज़ को दबा देना चाहती है जो उसकी नाकामी और बर्बरता को सामने लाने की कोशिश भी करे। एक तरफ ये राज्य और केंद्र सरकार एक-एक कर राज्यों को भेदभाव और सामुदायिक सांप्रदायिक हिंसा में झोंक कर उनके तमाम मौलिक और संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर तबाह कर रही है और किसी को उनके इरादों को बाहर लाने का भी अधिकार नहीं है। पूरा देश धीरे-धीरे एक जेल में बदल देने और सरकारी पुलिस का नागरिकों की आवाज कुचलने का अधिकार केंद्र और राज्य सरकारों को है। वहीं जान हथेली पर ले कर आम जनता के सामने सच्चाई लाने वालों के खिलाफ FIR दर्ज की जाती है। भारतीय महिला फेडरेशन की दिल्ली इकाई इन साथियों की बहादुरी पर उन्हें बधाई और धन्यवाद देती है वहीं उनके खिलाफ दर्ज हुई इस बेबुनियाद FIR को तुरंत वापस लेने की मांग सरकार से करती है''।

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वहीं कई महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं ने NFIW का समर्थन किया है। साथ ही इन्होंने एक ऑनलाइन हस्ताक्षर अभियान चला कर तुरंत FIR रद्द करने की मांग की है।

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