तिरछी नज़र : कश्मीर, कश्मीरियों के सिवा सबका ‘अंदरूनी मामला’ है!
कश्मीर के हालात ठीक हैं। और ठीक क्या, बल्कि बहुत ही ठीक हैं। और यह कहना है यूरोप के कुछ सांसदों का। सरकार तो पांच अगस्त से कहती आ रही है कि कश्मीर में सब ठीक-ठाक है पर हम मान ही नहीं रहे थे। सरकार का कहना है कि चार अगस्त तक कश्मीर में हालत बहुत खराब थे। इतने खराब थे कि सरकार को कुछ हटाना पड़ा। जैसे ही सरकार ने अगस्त माह की पांच तारीख को वो चीज हटाने का काम किया तो अचानक ही सब कुछ ठीक होने लगा।
हमारी यह पुरानी आदत रही है कि ये विदेशी, और उस पर भी गोरे, कुछ कह दें तो एकदम मान लेते हैं। न्यूटन के सिद्धांत, आइंस्टीन की थ्योरी सभी वेदों-पुराणों में वर्णित है। पर जब तक न्यूटन, आइंस्टीन ने नहीं बताया हमने माना ही नहीं। इसी तरह से मोदी जी, अमित शाह जी तो कोई तीन महीने से बता बता कर थक गये पर हम मान ही नहीं रहे हैं कि कश्मीर में सब ठीक है, शांति है। इसीलिए यूरोपीय सांसदों को बुलाना पड़ा, यह बताने के लिए कि कश्मीर में सब ठीक है। हम पहले ही मान लेते तो न इतनी मेहनत करनी पड़ती और न ही इतना पैसा खर्च करना पड़ता।
खैर अब क्योंकि यूरोपीय यूनियन के कुछ सदस्य देशों के सांसदों ने कश्मीर का दौरा कर लिया है और बता दिया है कि कश्मीर में सब ठीक है, सो हम मान लेते हैं। उन्होंने यह भी बता दिया है कि कश्मीर भारत का अंदरूनी मामला है। पहले लगता था कि कश्मीर कश्मीरियों का अंदरूनी मामला होना चाहिये था पर अब मान लेते हैं कि कश्मीर हरियाणा का अंदरूनी मामला है, महाराष्ट्र का मामला है, और जहां भी चुनाव हों, उन सब जगहों का मामला है पर कश्मीर कश्मीरियों का मामला नहीं है। हरियाणवियों (हरियाणा वासियों) से 370 पर वोट मांगे जा सकते हैं।
महाराष्ट्रीयन लोगों से 370 हटाने को लेकर चर्चा की जा सकती है। पर कश्मीरियों से 370 पर बात करना पाप है क्योंकि धारा 370 भारत का अंदरूनी मामला है और भारत सरकार की निगाह में कश्मीर प्रदेश तो हमारा है पर कश्मीर के नागरिक विदेशी हैं।
सुनते हैं कि ये जो विदेशी सांसद आये और कश्मीर गये, इसका प्रबंधन एक दलाल (लॉबिंग करने वाली) कम्पनी के पास था। उस दलाल कम्पनी ने इन विदेशी सांसदों का प्रधानमंत्री जी से मिलने का कार्यक्रम भी तय कर रखा था। प्रधानमंत्री जी मिले और बहुत गर्मजोशी से मिले। उसके बाद उन सांसदों को श्रीनगर ले जाया गया। वहां उन्होंने सैर सपाटा किया। डल झील में शिकारे की सवारी की। उसके बाद प्रैस से मिले। प्रैस को बताया कि कश्मीर बहुत ही सुन्दर है। कश्मीर बहुत शांत है। और कश्मीर मैं सब कुछ ठीक-ठाक है।
अच्छा मेहमान वह होता है जो मेजबान के यहां फालतू की तांक झांक न करे। जो ढका हुआ है उसे ढका ही रहने दे। यूरोप से ये मेहमान अगर अच्छे मेहमान सिद्ध हुए तो हमने भी मेहमान नवाजी में कोई कसर बाकी नहीं रहने दी। कश्मीर में हम और भी विदेशी मेहमानों की मेजबानी के लिए तैयार हैं, बस शर्त यही है कि वे भी अच्छे मेहमान बनने के लिए तैयार हों।
(लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)
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