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यूएन ने नागोर्नो काराबख को लेकर अर्मेनिया व अज़रबैजान के बीच संघर्ष समाप्त करने का आह्वान किया

दोनों सरकारों ने साल 1994 में हस्ताक्षरित विवादित क्षेत्र पर संघर्ष विराम समझौते का उल्लंघन करने को लेकर एक-दूसरे को दोषी ठहराया।
अर्मेनिया व अज़रबैजान

विवादित नागोर्नो काराबख क्षेत्र को लेकर अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच ताज़ा झड़प रविवार 27 सितंबर को हुआ जिससे दोनों में युद्ध होने की संभावना बढ़ गई है। रविवार को शुरु हुई झड़पें सोमवार की सुबह तक जारी रहीं जो कि साल 2016 के बाद से सबसे बड़ा संघर्ष बताया जा रहा है।

रविवार सुबह शुरू हुए संघर्ष में लड़ाकों और नागरिकों की बड़ी संख्या में मौत की ख़बर सामने आई है। अर्मेनियाई अधिकारियों ने अज़रबैजान पर नागोर्नो काराबख में नागरिक बस्तियों पर हमला करने का आरोप लगाया जिसमें उसके 16 सैनिक मारे गए और 100 से अधिक घायल हो गए। दिन और देर रात के संघर्ष के दौरान दोनों देशों के बड़ी संख्या में लोग मारे गए जबकि दोनों तरफ हथियारों के भी भारी नुकसान हुआ है।

अर्मेनियाई और नागोर्नो-कराबख दोनों ने तब से मार्शल लॉ और सेना में अनिवार्य भर्ती की घोषणा की है। अर्मेनियाई विदेश मंत्रालय ने अजरबैजान पर हमला करने का आरोप लगाते हुए और "नागोर्नो कराबख के लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा" करने का वचन देते हुए ट्विटर पर एक बयान जारी किया।

नागोर्नो-काराबख अर्मेनियाई नस्लीय बहुलता वाला अजरबैजान से अलग हुआ एक क्षेत्र है। साल 1991 में सोवियत संघ के विघटन के समय इस क्षेत्र ने अजरबैजान से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की जिससे अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध हुआ। साल 1994 में तीन पक्षों के बीच संघर्ष विराम, अजरबैजान की सरकार, आर्मेनिया की सरकार और नागोर्नो कराबख के नेताओं के बीच रूस की मध्यस्थता के साथ समझौता हुआ। हालांकि, इस विवाद का अंतिम समाधान अभी भी लंबित है जिससे समय-समय पर संघर्ष भड़क जाता है।

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इन झड़पों को लेकर चिंता ज़ाहिर की है और दोनों पक्षों से लड़ाई रोकने की अपील की है। ईरान के विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ ने रविवार को एक ट्वीट में "मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत" के लिए ईरान के अधिकारियों की पेशकश करते हुए कहा कि "हमारे क्षेत्र को अब शांति की आवश्यकता है"।

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