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सैकड़ों बीघा गेहूं की तैयार फसल जलकर ख़ाक, किसानों की सालभर की मेहनत बर्बाद

10 अप्रैल को डुमरियागंज तहसील के परसा हुसैन गाँव में कंबाइन से गेहूं काटते समय खेत में आग लग गई। देखते ही देखते 36 किसानों की सैकड़ों बीघा फसल जलकर ख़ाक हो गई।
सैकड़ों बीघा गेहूं की तैयार फसल जलकर ख़ाक

सिद्धार्थनगर (उत्तर प्रदेश) : "हम किसान हैं, किसानों की ज़िंदगी खेती होती है, जब खेती बर्बाद होती है तो हमारी पूरी ज़िंदगी बर्बाद होती है। एक किसान की खेती तबाह होने से केवल एक किसान तबाह नहीं होता है उसके साथ उसका पूरा परिवार तबाह हो जाता है। मेरे घर में ग्यारह लोग हैं, हम करीब तीन बीघे जमीन पर खेती करते हैं, उसी खेती से सालभर की तैयारी करते हैं। इस समय गेहूं की फसल बिलकुल तैयार थी, बस दो चार दिन में काटना ही था, लेकिन पूरी फसल में आग लग गई, पूरी खेती जलकर खाक हो गई। न हमारे पास कुछ खाने के लिए है न अगली खेती के लिए कोई तैयारी। सलभर हम क्या करेंगे, अपने परिवार को कैसे खिलाएँगे...नहीं मालूम।” इतना कहते ही डुमरियागंज तहसील के परसा हुसैन गाँव के किसान फूलचंद का गला भारी हो जाता है और वो शांत हो जाते हैं।

बीते 10 अप्रैल को डुमरियागंज तहसील के परसा हुसैन गाँव में कंबाइन (गेहूं काटने की मशीन) से गेहूं काटते समय खेत में आग लग गई। देखते ही देखते सैकड़ों बीघा फसल जलकर खाक हो गई। किसान फूलचंद कहते हैं कि, 'मशीन गरम हो गया था और उससे चिंगारी निकली जो खेतों में चली गई, जिसकी वजह से खेतों में आग लग गई। आग लगने की वजह से लगभग 36 किसानों की फसल जल गई।'

इसी गाँव के किसान मोहम्मद अकरम बताते हैं, 'हम दो भाई हैं, दोनों भाई मिलकर लगभग सवा तीन बीघा जमीन पर खेती करते हैं, ये खेती ही हमारी रोजी-रोटी है, इसी से हम गुजर-बसर करते हैं। आग लगने की वजह से हम लोगों की पूरे साल की मेहनत बर्बाद हो गया है। इस आग से हम दोनों भाइयों का लगभग चालीस हज़ार रुपए का नुकसान हुआ है। हम उम्मीद लगाए थे कि हमारी खेती हो जाएगी तो हम इसी से आगे की तैयारी करेंगे, अब न खेती बचा न पैसा रहा।' 

यहाँ की महिला किसान शहनाज़ बताती हैं कि, 'हम लोग तीन भाई साथ रहते हैं, सबका मिलाकर 6 बीघे की खेती है। एक चिंगारी से सबकी फसल जलकर खाक हो गई। हम लोगों ने दमकल वाले को फोन भी किया था लेकिन दमकल वाला समय पर नहीं आया। हम लोगों ने बहुत कॉल किया लेकिन जब आग बुझ गया तब दमकल वाला आया। चार गाँव के आदमी लोग मिलकर खुद से आग बुझाये।' महिला किसान शहनाज बताती हैं कि, 'अलग-अलग जगह पर ट्रैक्टर लगाया गया तब जाकर आग बुझी। शहनाज के पति सलाउद्दीन कहते हैं कि, 'बस सराकर हमारे नुकसान की भरपाई कर दे, और कुछ नहीं।'

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खेती जलने के बाद आजीविका कैसे चलाएँगे के बारे में पूछने पर अकरम बताते हैं कि, 'अब जो हो गया वो तो हो गया, जो अल्लाह ताला लिखे हैं वही होगा।' मुआवजा के बारे में पूछने पर अकरम कहते हैं कि, 'ये जमीन हमारे मामू की है, हम लोग उन्हीं की जमीन पर खेती करते हैं, जिसकी जमीन होती है उसको मुआवजा मिलेगा, मुआवजा को लेकर हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है।' 

एक अन्य किसान बताते हैं कि, 'बिलकुल तैयार फसल और जल गई, कैसे हम सब्र कर रहे हैं हमीं जानते हैं, जो खेती कट रही थी उसके बाद मेरी फसल कटनी थी लेकिन आग लगकर जल गई, कई गाँव के लोग इकट्ठा होकर आग बुझाये लेकिन तब तक लाखों की फसल जलकर राख़ हो चुकी थी।' किसान कहते हैं कि, 'जिस फसल से हम गेहूं की उम्मीद कर रहे थे आज वो जलकर राख़ हो चुकी है। मुआवजा के बारे में किसान कहते हैं कि, कितना मुआवजा मिल जाएगा, जितना नुकसान हुआ है उतना थोड़ी मिलेगा, कब मिलेगा ये भी तो नहीं पता।' 

करीब 60 साल के किसान फूलचंद बताते हैं कि, हमारे यहाँ एक बीघा में लगभग सात क्विंटल गेहूं होता है। गेहूं जब खेत में होता है तभी व्यापारी खरीद लेते हैं। पूरी गेहूं की खेती पैतीस हज़ार से कम का नहीं बिकता। उसी पैसे से गृहस्थी का बाकी सामान खरीदते, कपड़े खरीदते, लेकिन अब तो सब खत्म हो गया। मैं बूढ़ा हो गया हूँ, कोई साग-सब्जी नहीं बेच सकता। शरीर में इतना ताकत भी नहीं है कि पुलिस का चार लाठी खाकर कोई और काम कर लें। कोई सहारा भी नहीं है।

किसान कहते हैं कि, 'खेती से हम केवल पेट पालते हैं कोई नफ़ा (फायदा) तो होता नहीं है, एक बार की खेती में आधे से ज्यादा पूंजी लगा होता है तो जो घर में था वो भी चला गया और मिलने का जो उम्मीद था वो भी चला गया। अब तो भगवान ही सहारा है क्या कहें।' मुआवजा के नाम पर फूलचंद किसान कहते हैं कि, 'हम लोग उम्मीद कर रहे थे कि कुछ सरकार सहायता कर देगी, कुछ विधायक हमारे विधायक निधि से सहायता कर देंगे तो कुछ हम लोगों का सहायता हो जाएगा, लेकिन उन्होंने कुछ कहा नहीं, केवल मंडी समिति वाले है, जो दो हज़ार चार हज़ार देंगे, वही एक आश्वासन देकर गए हैं। देखो, कितना क्या देते हैं।

किसानों की बर्बाद फसल की मुआवजा के बारे में जब डुमरियागंज से बीजेपी विधायक और हिंदू युवा वाहिनी के प्रदेश प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने ठीक से बात नहीं की। मुआवजा के सवाल पर बीजेपी विधायक ने कहा कि, 'जो भी करना होगा हम किसानों को बता देंगे।' बताया जाता है कि राघवेंद्र प्रताप सिंह प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बेहद करीबी लोगों में से एक हैं।

इसके बारे में जब डुमरिया के तहसीलदार राजेश प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होने कहा कि, 'मंडी परिषद पैसा देता है, हम रिपोर्ट जल्दी-जल्दी बनाकर मंडी परिषद भेज रहे हैं, तहसीलदार ने कहा कि 11 अप्रैल को मंडी परिषद के अधिकारियों से मीटिंग भी हुई थी, ताकि जल्दी से जल्दी मुआवजा मिल सके।  

 (रिज़वाना तबस्सुम स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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