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लुलु मॉल विवाद: योगी आदित्यनाथ को धुंधले दिख रहे हैं अराजक तत्व!

लखनऊ में बने लुलु मॉल पर छिड़े विवाद के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख़्त निर्देश जारी किए हैं, इसके बावजूद मॉल में अराजक तत्वों का आगमन जारी है..
yogi car

अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं, जब लखनऊ के सबसे बड़े लुलु मॉल का आनंद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक ओपन गाड़ी में बैठकर ले रहे थे, और उसे ड्राइव कर रहे थे ख़ुद लुलु मॉल के मालिक यूसुफ अली। इतना ही नहीं लुलु मॉल में घूमने से पहले योगी आदित्यनाथ ने इसका उद्घाटन भी किया था।

लेकिन दो ही दिन बीते थे कि अंधभक्तों और तथाकथित बुद्धिजीवियों की टोली एक साथ बाहर निकल पड़ी... फिर जो नारा योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के विधानसभा चुनाव में दिया था, वहीं नारा इस लुलु मॉल के भीतर नाचने लगा... 80 बनाम 20 का। फर्क सिर्फ इतना था कि चुनाव में योगी आदित्यनाथ 80 के पक्ष में थे और मॉल वाले बुद्धिजीवी 20 के पक्ष में।

क्योंकि इन बुद्धिजीवियों को लग रहा था कि इस मॉल में 80 फीसदी मुस्लिम लड़कों को नौकरी दी गई है, जबकि 20 प्रतिशत हिंदू लड़कियां यहां नौकरी करती हैं, ताकि इस मॉल के ज़रिए लव जेहाद को बढ़ावा दिया जा सके।

लुलु मॉल पर सवालिया निशान लगने के बाद क्षेत्रीय निदेशक जयकुमार गंगाधर ने लेटर जारी कर लखनऊ की जनता का आभार जताया। मॉल की तरफ से जारी लेटर में कहा गया कि मॉल पूरी तरह व्यावसायिक है और यहां किसी भी जाति और धर्म का भेदभाव नहीं होता, लेटर में ये भी लिखा कि हमारे यहां 80 प्रतिशत से ज्यादा हिंदू कर्मचारी हैं बाकी मुस्लिम ईसाई और अन्य धर्म के लोग हैं, प्रतिष्ठान में किसी को भी धार्मिक गतिविधि संचालित करने की छूट नहीं है और नमाज पढ़ने वालों के खिलाफ एफआईआर  दर्ज हो गई है।

फोटो--- लैटर

वैसे ये कहना ज़रा भी ग़लत नहीं होगा कि इन बुद्धिजीवियों को न ही रोज़गार से मतलब है, न ही शिक्षा और न विकास से... इन्हें सिर्फ इससे मतलब है कि समाज में सांप्रादायिक सौहार्द की आहूति कैसे दी जाए, कैसे समाज की हवा ज़हरीली बनाई जाए और कैसे जाति-धर्म के नाम पर तुष्टिकरण किया जाए।

इन्हीं सब विवादों के बीच जब कुछ युवकों द्वारा मॉल में नमाज़ पढ़ने का वीडियो वायरल हुआ तब मामले ने और ज्यादा तूल पकड़ा लिया, तमाम हिंदूत्ववादी संगठन मॉल के बाहर जाकर हनुमान चालिसा पढ़ने लगे, विरोध प्रदर्शन करने लगे और सड़के जाम करने लगे। जिसके बाद मामले में एफआईआर दर्ज हुई और जांच शुरु हो गई। पुलिस ने फिलहाल नमाज़ पढ़ने वाले चार युवकों को हिरासत में ले लिया है, जबकि एक की पहचान की जा रही है।

जब कुछ दक्षिणपंथी और हिंदुत्ववादी संगठनों ने मॉल के आसपास सड़कों पर हंगामा करना शुरु किया तब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी लगा कि उनके बनाए नियम उन्हें ही निशाने पर ले रहे हैं।

हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि इसी साल की शुरुआत में योगी आदित्यनाथ ने एक एडवाइज़री जारी कि थी, कि खुले में या सड़क पर किसी भी तरह के धार्मिक कार्यक्रम या आयोजन नहीं किए जा सकते हैं। इसके बावजूद सड़कों पर खुले आम सभाएं हो रही हैं और हंगामा हो रहा है।

ख़ैर... मामले में सख्ती दिखाने के लिए योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए है कि ‘’लखनऊ में एक मॉल खुला है, वह मॉल अपने व्यवसायिक प्रतिष्ठान को लेकर काम कर रहा है, उसको लेकर राजनीति का अड्डा बनाना, सड़कों पर प्रदर्शन करना, यातायात को बाधित करना गलत है.'’

‘'बार-बार लखनऊ प्रशासन से कहा गया कि जो अराजकता की स्थिति पैदा करने, सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का कुत्सित प्रयास हो रहा है, उसे गंभीरता से लेना चाहिए और किसी भी प्रकार की शरारत को स्वीकार नहीं करना चाहिए, जो अनावश्यक मामलों को बढ़ावा देकर माहौल को खराब करने का प्रयास करते हैं उनसे सख्ती से निपटना चाहिए।'’

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्ती जायज़ है, लेकिन ऐसा लगता है कि उन्हें अराजक तत्व थोड़े धुंधले दिख रहे हैं। जिसका कारण ये हो सकता है कि ये पूरी अराजकतत्वों की टोली दक्षिण पंथियों की और हिंदुत्ववादी संगठनों की है। वरना बड़ी बात नहीं है कि अभी तक ‘’बाबा के तथाकथित बुलडोज़र’’ तैयार हो चुके होते।

आपको बता दें कि 17 जुलाई को करणी सेना और राष्ट्रीय हिंदू रक्षक दल के कार्यकर्ताओं के समूह मॉल में नमाज अदा किए जाने के जवाब में वहां हनुमान चालीसा पढ़ने का दावा करते हुए मॉल पर धावा बोल बोल दिया। इस विवाद के चलते रात में पुलिस उपायुक्त (दक्षिण), गोपाल कृष्ण चौधरी का तबादला कर दिया गया। डीसीपी ट्रैफिक रहे सुभाष चंद्र शाक्य को नया डीसीपी साउथ बनाया गया। इस मामले में 20 से ज्यादा लोगों को हिरासत में भी लिया गया।

फिलहाल जो भी हो, लेकिन उपद्रवी मानने के लिए तैयार नहीं है, जिसमें ताज़ा नाम आचार्य परमहंस का भी जुड़ गया है। आचार्य परमहंस अपने शिष्यों के साथ लुलु मॉल पहुंच गए और कहने लगे कि नमाज़ पढ़कर इस मॉल को अपवित्र कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि वो यहां पर वेद और मंत्रों का उच्चारण करेंगे ताकि इस मॉल को पवित्र किया जा सके। हालांकि मौका रहते पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया। 

मॉल के मालिक मुसलमान हैं क्या इसलिए हो रहा है विवाद?

पिछले दिनों हुई घटनाओं से कौन वाकिफ़ नहीं है, पहले उत्तर प्रदेश, फिर मध्य प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली समेत कई राज्यों में एक वर्ग के लोगों को जिस तरह से टारगेट किया गया, जिस तरह से लोगों के घर, दुकानें, रोज़गार को नष्ट किया गया, उसके बाद इस बात में बहुत कम संशय है कि यहां इस लिए बवाल हो रहा क्योंकि इसके मालिक मुसलमान हैं। कल्पना कीजिए अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जगह किसी दूसरी पार्टी के नेता ने इस मॉल का उद्घाटन किया होता तो शायद मंज़र कुछ और होता। उसे तुरंत हिंदू विरोधी करार दे दिया जाता। लेकिन अब आलम ये है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने उनके ही नियम आईना बनकर ख़ड़े हैं। कई हिंदू संगठन ही कह रहे हैं कि इस मॉल पर बुलडोज़र चला दो। अब योगी आदित्यनाथ के पास भी मजबूरी है, वो भी सोचते होंगे कि काश उन्होंने इस मॉल का उद्घाटन नहीं किया होता तो राजनीति चमक सकती थी, लेकिन फिलहाल तो किरकिरी ही हो रही है।

कौन हैं लुलु मॉल के मालिक?

लुलु भारत का सबसे बड़ा मॉल बताया जा रहा है, जिसके मालिक केरल के एम ए यूसुफ हैं। इन्होंने दुनिया भर में लुलु ग्रुप की कमान संभाल रखी है। क्योंकि अबू धाबी में मौजूद लुलु ग्रुप ने अब भारत में भी विस्तार करना शुरु कर दिया है, जिसके सुपरमार्केट दक्षिण भारत के कई शहरों में पहले से मौजूद हैं। लेकिन इस ग्रुप के द्वारा लखनऊ में बनाया गया मॉल उत्तर भारत में पहला इनवेस्टमेंट है। आपको बता दें कि एम ए यूसुफ साल 1973 में भारत छोड़ अबू धाबी शिफ्ट हो गए थे और वहीं से अपने कारोबार की शुरुआत की। फिलहाल उनकी कंपनी का टर्नओवर अरबों में है।

फिलहाल लुलु मॉल को लेकर विवाद लगातार जारी है, कई हिंदुत्ववादी संगठन अब भी प्रदर्शन करने की चेतावनी दे रहे हैं।

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