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यूपी: चुनावी समर में प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री का महिला सुरक्षा का दावा कितना सही?

सीएम योगी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी आए दिन अपनी रैलियों में महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नज़र आ रहे हैं। हालांकि ज़मीनी हक़ीक़त की बात करें तो आज भी महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है।
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"साल 2017 से पहले प्रदेश की बहन बेटियां असुरक्षित थीं। अब अपराधियों में कानून का खौफ है"

उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा के बेहतर दावे करता ये विज्ञापन बीजेपी की योगी आदित्यनाथ सरकार का है। सीएम योगी सत्ता में आने के बाद से ही ज़ीरो टॉलरेंस, न्यूनतम अपराध और बेहतर कानून व्यवस्था का दावा करते रहे हैं। ऐसे में अब जब कुछ ही महीनों बाद प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, तो सीएम योगी के साथ-साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी आए दिन अपनी रैलियों में महिला सुरक्षा के कसीदे पढ़ते नज़र आ रहे हैं। हालांकि जमीनी हकीकत की बात करें तो आज भी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश टॉप पर है।

राष्ट्रीय महिला आयोग के मुताबिक साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश से रिपोर्ट हुए, जो कुल शिकायतों का आधा से ज्यादा का आंकड़ा है। आयोग की हालिया जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 30 हजार से ज्यादा मामले सामने आए। जिसमें सबसे अधिक 15,828 शिकायत यूपी से थीं।

बता दें कि कुछ दिनों पहले ही मेरठ में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि पांच साल पहले इसी मेरठ की बेटियां शाम होने के बाद अपने घर से निकलने में डरती थीं। आज मेरठ की बेटियां पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं। अब योगी आदित्यनाथ की सरकार अपराधियों के साथ जेल-जेल खेल रही है।

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प्रधानमंत्री-मुख्यमंत्री के दावे और ज़मीनी हक़ीक़त

इससे पहले इलाहाबाद, जिसे मोदी-योगी सरकार ने अब प्रयागराज बना दिया है, वहां आधी आबादी को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने दावा किया था, “5 साल पहले यूपी की सड़कों पर माफियाराज था! यूपी की सत्ता में गुंडों की हनक हुआ करती थी! इसका सबसे बड़ा भुक्तभोगी कौन था? मेरे यूपी की बहन बेटियां थीं। योगी जी ने इन गुंडों को उनकी सही जगह पहुंचाया है, आज यूपी में सुरक्षा भी है और अधिकार भी।

पीएम मोदी की तरह ही सीएम योगी भी महिला सुरक्षा और सशक्तिकरण के तमाम दावे कर रहे हैं। लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है? आइए आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं…

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा क्राइम के आंकड़ें देखें तो यहां भी उत्तर प्रदेश टॉप पर है। यहां साल 2020 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के 49,385 मामले दर्ज कराये गये थे।

बलात्कार के मामले में भी उत्तर प्रदेश पूरे देश में दूसरे स्थान पर है। यानी राजस्थान के बाद उत्तर प्रदेश ही वो राज्य है जहां महिलाएं सबसे अधिक बलात्कार का शिकार हो रही हैं। साल 2020 में देश भर में बलात्कार के कुल 28046 मामले दर्ज किए गए, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में कुल 2,769 मामले दर्ज हुए।

ताजा आंकड़ों की बात करें तो यूपी के 16 जिलों में पिछले एक माह में 41 लड़कियों से रेप और छेड़छाड़ के संगीन मामले सामने आए। इनमें 33 नाबालिग हैं। सिर्फ एक माह में साढ़े 3 साल की बच्ची से लेकर 30 साल की महिला तक से रेप की खबरें सुर्खियां बटोर चुकी हैं।

और तो और जहां तक गुंडों को सही जगह पहुंचाने का दावा है तो उसकी भी सच्चाई जान ही लीजिए। एनसीआरबी 2020 के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश हत्या के मामले में भी नंबर एक पर है। रिपोर्ट की माने तो साल 2020 में देश में कुल 29,193 हत्याएं हुईँ, जिसमें से अकेले उत्तर प्रदेश में 3,779 मामले दर्ज हुए। 2019 की तुलना में ये आंकड़ा ज्यादा है। ऐसे में प्रधानमंत्री का दावा कहां टिकता है? ये तो पीएम मोदी और उनकी टीम ही बता सकती है।

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दुष्कर्म और हत्या का बढ़ता ग्राफ, कहां है न्यूनतम अपराध!

अखबार के पन्ने पलटें तो पिछले एक हफ़्ते में ही महिलाओं के साथ रेप और हत्या जैसी क़रीब एक दर्जन घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यह स्थिति तब है जबकि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध पर लगाम लगाने की यूपी सरकार तमाम कोशिशें कर रही है और अपराध कम होने का दावा भी कर रही है।

यूपी में पिछले साल 17 अक्तूबर को राज्य सरकार ने महिलाओं और बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान और स्वावलंबन के मक़सद से मिशन शक्ति अभियान की शुरुआत की थी। शारदीय नवरात्रि से लेकर बासंतिक नवरात्रि तक महिला सुरक्षा को लेकर जागरूकता के साथ-साथ महिलाओं के ख़िलाफ़ होने वाले अपराध को रोकने के लिए भी तमाम क़दम उठाने का लक्ष्य रखा गया था। अब इस अभियान के साल भर से ज्यादा समय होने के बाद भले ही सरकार इसकी सफलता का दावा कर रही हो लेकिन ज़मीनी सच्चाई इससे अलग है।

प्रदेश में आज भी महिलाओं के साथ न सिर्फ़ रेप और हत्या की घटनाएं लगातार हो रही हैं बल्कि ज़्यादातर मामलों में यह बात भी सामने आई है कि शुरुआती दौर में पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज करने में हीला-हवाली की। अपराध भी जघन्य तरीक़े से हो रहे हैं। यानी अपराधियों में कोई ख़ौफ़ हो, यह भी नहीं दिख रहा है।

अभियान कई, लेकिन सफल एक भी नहीं

महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यूपी सरकार और पुलिस इससे पहले भी कई अभियान चला चुकी है लेकिन महिला सुरक्षा को लेकर सरकार अक्सर विपक्ष के निशाने पर रहती है। पिछले दिनों सरकार ने 'ऑपरेशन दुराचारी' नामक अभियान चलाने की भी बात कही थी जिसके तहत महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म या अन्य अपराध करने वालों के पोस्टर चौराहों पर लगाने की बात कही गई थी।

यही नहीं, यूपी में बीजेपी सरकार ने सत्ता में आते ही महिला सुरक्षा को लेकर एंटी रोमियो स्क्वाड्स का गठन किया था लेकिन न तो अपराधों में कमी आई और न ही एंटी रोमियो स्क्वाड्स की सक्रियता कभी ज़मीन पर दिखीष बल्कि यह एंटी रोमियो स्क्वाड अपनी विवादास्पद कार्रवाइयों को लेकर ही ज़्यादा चर्चा में रहा। पिछले साल हाथरस, बलरामपुर, आज़मगढ़ जैसी कई जगहों पर लगातार बलात्कार और हत्या की कई घटनाएं सामने आई थीं। जाहिर है यूपी सरकार ने तमाम अभियान तो चलाए, लेकिन यह अपराधियों में भय पैदा करने में बहुत सफल नहीं हुए।

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महिलाओं की तरफ़ मुड़ रहा चुनावी समर

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के चुनावी समर में हवा का रुख़ इस बार महिलाओं की तरफ़ मुड़ रहा है। शुरुआत कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने की और औरतों के लिए घोषणा पत्र जारी किया। 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' का नारा दिया और औरतों के लिए सुरक्षा, शिक्षा, रोज़गार समेत कई योजनाएं लाने का वादा किया। फिर अख़बारों में प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री आदित्यनाथ की तस्वीरों वाले विज्ञापन छपे और प्रयागराज में 'कन्या सुमंगला योजना' की शुरुआत की गई। समाजवादी पार्टी भी महिलाओं को लगातार केंद्र में रखकर योगी सरकार को घेर रही है। ऐसे में बहुत संभव है कि इस बार महिलाओं का मुद्दा चुनावी सियासत में हावी रहने वाला है।

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