Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

पूर्वांचल में किसानों से मानसून ही नहीं, योगी सरकार भी रूठी, सूखे की घोषणा न किए जाने पर बनारस, सोनभद्र और चंदौली में प्रदर्शन

बरसात नहीं होने के कारण जिले के तमाम किसानों की फसलें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। अभी तक किसानों के लिए उचित मुआवज़े की घोषणा नहीं की गई। किसानों ने मांग उठाई है पीड़ित किसानों को प्रति बीघा बीस हजार रुपये की दर से क्षतिपूर्ति दी जाए।
protest

यूपी के पूर्वांचल में मानसून और सरकार दोनों ही किसानों से रूठ गए हैं। पूर्वाचल के ज्यादातर जिलों में मानक से एक तिहाई बारिश नहीं हो पाई है, जिसके चलते किसान धान की रोपाई नहीं कर पाए हैं। खरीफ की खेती नहीं कर पाने की वजह से बेहाल किसानों ने आंदोलन शुरू कर दिया है। सोनभद्र, वाराणसी, चंदौली सहित कई जिलों के किसानों ने प्रदर्शन किया और इलाके को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग उठाई है।

चंदौली में कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन

वाराणसी जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर किसानों ने राजातालाब तहसील मुख्यालय पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा। लोक समिति व ग्राम प्रधान संघ आराजी लाइन के संयुक्त तत्वावधान में सैकड़ों किसानों ने वाराणसी जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने की मांग को लेकर तहसील राजातालाब में धरना प्रदर्शन किया। लोगों ने उपजिलाधिकारी को मांग पत्र सौंपा और वाराणसी जिले को जल्द सूखा घोषित करने की मांग उठाई। इससे पहले आराजीलाइन और सेवापुरी प्रखंड के दर्जनों गांव से आए आक्रोशित किसानों ने राजातालाब बाजार से रैली निकाली और तहसील गेट पर प्रदर्शन किया।

इस दौरान किसानों ने जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि जुलाई महीना बीत चुका है। बनारस जिले में सिर्फ नाम के लिए बारिश हुई है। किसान ज्वार, तिल, मक्का, सब्जी, अरहर आदि की खेती नहीं कर पाए है। साथ ही फसल की रोपाई भी नहीं हो सकी है। बारिश का इंतजार करते- करते धान की नर्सरी खराब हो गई है। किसान भुखमरी के कगार पर हैं और शासन-प्रशासन सिर्फ तमाशा देख रहे हैं।

बनारस में ज्ञापन सौपते किसान

बनारस के ग्राम प्रधान संघ अध्यक्ष मुकेश कुमार ने आरोप लगाया कि एक तरफ जहां किसान परेशान हैं, वहीं बिजली विभाग व बैंक अधिकारियों द्वारा संकट की इस स्थिति में भी किसानों को परेशान कर उनके ट्रैक्टर आदि खींचे जा रहे हैं जिसे तत्काल रोका जाए। बकाया वसूली भी स्थगित करने की मांग की। लोक समिति संयोजक नन्दलाल मास्टर ने कहा, "बरसात नहीं होने के कारण जिले के तमाम किसानों की फसलें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। अभी तक किसानों को उचित मुआवजा की घोषणा नहीं किया गया। किसानों ने मांग उठाई है कि फसलों की हुई क्षति भरपाई के लिए पीड़ित किसानों को प्रति बीघा बीस हजार रुपये की दर से क्षतिपूर्ति दी जाए।

सभी तरह की लगान व अन्य राजस्व वसूली पर रोक लगाई जाए। किसानों के कर्जे व बिजली बिल माफ किया जाए। बच्चों के स्कूल फीस माफ किया जाए, असंगठित खेतिहर मजदूरों को मुआवजा व मनरेगा में काम दिया जाए, नहर में अविलंब पानी छोड़ा जा और 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की जाए। पर्यावरण रक्षा जल संरक्षण के लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जाए।

बनारस को सूखाग्रस्त घोषित करने के प्रदर्शन

आंदोलन-प्रदर्शन में प्रधान संघ अध्यक्ष मुकेश कुमार, रामबाबू पटेल ग्रामप्रधान गजापुर, विजय पटेल ग्राम प्रधान दिलीप पटेल, सर्वजीत भारद्वाज, संतोष यादव, राजेन्द्र पटेल, चंद्रजीत प्रकाश यादव के अलावा सरोज, लालमन, सुरेन्द्र, दिलीप, श्रीप्रकाश, महंगू, अमित, अनीता, सोनी, आशा, श्याम सुंदर सुनील मुन्नी, बिंदु, रमावती, सीता, श्यामदेई, सुरजा कुमारी, वित्तन, अंजू आदि लोग शामिल रहे। प्रदर्शनकारी किसानों का नेतृत्व नन्दलाल मास्टर, संचालन प्रधानसंघ अध्यक्ष मुकेश कुमार और अध्यक्षता कृष्णदत्तपुर के प्रधान प्रकाश यादव ने किया।

मुश्किल में सोनभद्र के किसान

उधर, सोनभद्र में भारतीय किसान संघ ने जिले को सूखाग्रस्त घोषित करने समेत छह सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन किया और जिलाधिकारी को मांग-पत्र सौंपा। इस मौके पर आयोजित सभा में भारतीय किसान संघ के काशी प्रांत के जिलाध्यक्ष राम बहादुर सिंह कहा, "सोनभद्र में कम बरसात होने के चलते किसान धानों की रोपाई नहीं कर सके हैं, जिससे किसानों की मुश्किल बढ़ गई है। एक तरफ मानसून किसानों को मुश्किल में डाल रहा है तो दूसरी ओर सरकार। सोनभद्र में कृषि ही मुख्य आजीविका का साधन है। यहां के किसान बारिश के पानी पर ही निर्भर हैं। बरसात नहीं होने के कारण धान की रोपाई नहीं हो सकी है। गहरे बोरिंग भी पानी छोड़ चुके हैं। पीने के पानी का भी संकट पैदा हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति भी बहुत कम हो रही है, जिसके चलते किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि सामान्य से काफी कम वर्षा होने की स्थिति में जनपद को तत्काल कृषि विभाग व संबंधित विभाग से आंकड़ा लेकर सूखाग्रस्त घोषित किया जाए। बीमित किसानों की तरफ से फसलों की बुवाई न कर पाने की स्थिति में बीमा कंपनी से निर्धारित नियमावली के तहत तत्काल भुगतान कराया जाए। साधन सहकारी समितियों पर डीएपी नहीं मिल रही है पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाए, ताकि जो छोटे किसान हैं कुछ संसाधनों के माध्यम से सब्जी की रोपाई कर सके।"

किसान नेता राम बहादुर ने सोन लिफ्ट कैनाल पंप पूरी क्षमता के साथ चलाने की मांग उठाते हुए पंप को पर्याप्त विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने की मांग उठाई, ताकि तेजी से खिसक रहे जलस्तर में सुधार हो सके। उन्होंने कहा, "ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत आपूर्ति बहुत कम मिल रही है। समस्या के समाधान के लिए किसानों को निर्बाध रूप से 18 घंटे बिजली दी जाए। पर्वतीय इलाके में ज्यादातर लघु और सीमांत किसान हैं, जो मिर्च व टमाटर की खेती करते हैं। बारिश न होने से धान की नर्सरी सूख गई है।" इस मौके पर किसान नेता रामजी सिंह मौर्य, सदानंद, प्रभु पाल सिंह, महेंद्र जयसवाल, चंद्रप्रकाश सिंह, हीरालाल, छत्रसाल सिंह, अनमोल, आनंद प्रकाश, दयाराम, नागेंद्र, ज्योति, जंग सिंह ने विचार व्यक्त किए।

किसान विरोधी नीतियों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

दूसरी ओर, चन्दौली जिले में भी सूखे से जूझ रहे किसानों ने प्रदर्शन किया और सरकार की किसान विरोधी और नव उदारवादी आर्थिक नीतियों पर हमला बोला। साथ ही देश भर में हिन्दुत्व का ऐजेंडा लागू पर मोदी सरकार की कड़ी आलोचना की। किसानों ने कहा कि सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के चलते मजदूरों और ग्रामीण गरीबों का जीवन बर्बाद हो गया है। किसानों और मजदूरों को अपने हक के लिए सड़कों पर उतर कर लड़ना होगा। अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन,अखिल भारतीय खेत और ग्रामीण मजदूर सभा, मजदूर किसान मंच और भारतीय खेत मजदूर यूनियन ने चंदौली में जिलाधिकारी कार्यालय तक मार्च निकाल कर एडीएम के द्वारा महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित मांग-पत्र सौंपा।

चंदौली जिला मुख्यालय पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि खेत मजदूर व ग्रामीण गरीब अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी हैं। यह तबका सबसे निचले पायदान पर खड़ा है। भाजपा सरकार जानबूझकर किसानों का शोषण कर रही है। खेत मजदूरों को नरेगा में काम नहीं मिल रहा है। वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को जमीन का पट्टा, पीएम आवास के लिए पांच लाख रुपये की सहायता देने, खेत मजदूरों को प्रतिवर्ष 200 दिन काम और 600 रुपये दैनिक मजदूरी दी जाए। यूपी में भूमि सुधार कानून का कड़ाई पालन किया जाए। खाली पड़े सभी सरकारी पदों को तत्काल भरा जाए और सार्वजनिक क्षेत्र की मनमानी पर रोक लगाई जाए। प्रमोशन में आरक्षण, एमएसपी की गारंटी की मांग भी उठाई गई।

किसान मार्च का नेतृत्व अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के जिलाध्यक्ष जयनाथ राम, अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा के जिलाध्यक्ष रामदुलारे बिंद, मजदूर किसान मंच के राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय, उत्तर प्रदेश खेत मजदूर यूनियन के के जिला प्रभारी शिवमुरत राम, सीटू के महानंद यादव, आदिवासी नेता रामदुलारे वनवासी के अलावा शुकदेव मिश्रा, अनिल पासवान, श्रवण कुशवाहा, रामेश्वर प्रसाद, आलोक राजभर, डाक्टर रामकुमार राय, शशिकांत कुशवाहा, रमायन राम, विजयी राम, रामप्यारे यादव, चौथी पासवान, अनिता, रामकेश राय कृष्णा राजभर आदि ने किया।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest