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यूपी : बलिया में गर्मी से बेहाल लोग सिर्फ़ स्वास्थ्य व्यवस्था से ही नहीं, बिजली आपूर्ति से भी परेशान हैं

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे के बीच बलिया के कई इलाक़ो में बीते कुछ दिनों से बिजली गुल है, अस्पतालों से लेकर श्‍मशान घाट तक लोगों की भारी भीड़ दिखाई दे रही है।
Hospital

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल का बलिया ज़िला इन दिनों हीट वेव और उससे हो रही मौत की खबरों को लेकर लगातार सुर्खियों में है। बलिया का ज़िला अस्पताल मरीज़ों से पटा पड़ा है, तो वहीं इमरजेंसी में लोगों की भारी भीड़ नज़र आ रही है। कई लोग तो जगह के अभाव में जहां-तहां अस्पताल के कॉरिडोर में लेटे दिखाई देते हैं। हालांकि प्रशासन की सख्ती और लखनऊ के स्वास्थ्य विभाग की टीम के दौरे के बाद अब अस्पताल की तस्वीर थोड़ी बदली जरूर है, लेकिन ये बरकरार कब तक रहती है, ये बड़ा सवाल है।

बता दें बलिया के दौरे पर खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बुधवार, 21 जून को पहुंचे। जहां उन्होंने एक नए अस्पताल और कई विकास योजनाओं की आधारशिला रखी और जनसभा को संबोधित किया। इस बीच विपक्ष ने इस दौरे पर सवाल उठाते हुए मरीज़ों की अनदेखी और जिले में सुविधाओं की भारी कमी को लेकर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा। साथ ही मुख्यमंत्री साहब से जिला अस्पताल का दौरा करने का आग्रह भी किया।

बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है

दरअसल, बलिया में भयंकर गर्मी के बीच जिला चिकित्सा व्यवस्था तो सवालों के घेरे में है ही, लेकिन बिजली विभाग भी कम विरोध का सामना नहीं कर रहा है। गर्मी के बढ़ते प्रकोप और कई-कई दिनों तक बिजली गुल होने के कारण आए दिन यहां लोग बिजली विभाग के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन को मजबूर हैं। गांव तो गांव, बलिया शहर के ही कई इलाकों में बीते लंबे समय से बिजली व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। कहीं ट्रांसफार्मर जल जा रहे हैं, तो कहीं आपूर्ति ही ठप पड़ी है। ऐसे में इस भीषण गर्मी में लोगों का हाल और बेहाल हो गया है।

बिजली विरोध प्रदशर्न की तस्‍वीर 

न्यूज़क्लिक ने बलिया के कुछ स्थानीय लोगों से बातचीत कर पूरे मामले को समझने की कोशिश की। साथ ही इस भीषण गर्मी में लोगों को मिल रही सुविधाओं की भी पड़ताल की...

बलिया शहर से महज़ 10 मिनट की दूरी पर स्थित गड़वार रोड के निवासी सुरेंद्र गुप्ता बताते हैं कि जिला अस्पताल की स्थिति सालों से जर्जर ही बनी हुई है। इमरजेंसी में गंदगी का भंडार रहता है, जहां-तहां कूड़ा फेंका रहता है, मरीज़ों के लिए स्ट्रेचर तक की ठीक व्यवस्था नहीं है। लेकिन बीते कुछ दिनों में यहां पहली बार जिला अस्पताल के अंदर-बाहर कुछ नए डेज़र्ट कूलर देखने को मिले हैं, मरीज़ों और तीमारदारों के बैठने के लिए कुर्सियां लग गई हैं, जिनका पहले नामो-निशान तक नहीं था।

सुरेंद्र और उनके आस-पास के लोग बिजली की समस्या से परेशान हैं, वो बताते हैं कि रविवार, 18 जून को तीन दिन के बाद उनके यहां लाइट आई थी, जो मंगलवार दोपहर 12 बजे के बाद फिर चली गई। ये सिलसिला लगभग महीने भर से जारी है। रोज़ यहां के ट्रांसफार्मर जल जाते हैं, विभाग कहता है कि नया ट्रांसफार्मर आजमगढ़ से आएगा। उसे लाने में एक से दो दिन लग जाते हैं, फिर लगाने के बाद वो घंटों चार्ज होता है और फिर कुछ ही समय में वो दोबारा खराब या जल जाता है। ऐसे में इस भीषण गर्मी में बिना पंखा, कूलर और पानी के लोगों का जीना मुश्किल हो गया है।

बता दें कि बिजली की समस्या के बारे में लखनऊ की स्पेशल टीम ने भी अपनी जांच में पाया है कि 'कुछ गांवों में ट्रांसफार्मर फुका है, 20-21 दिन हो गए हैं बदला नहीं है और एक तियाही गांव में बिजली नहीं है। लोग परेशान हैं और ऐसे में किसी और बीमारी से ग्रसित लोगों की तबीयत और बिगड़ती जा रही है।

श्‍मशान घाट की भयानक तस्वीरें

बलिया में इन दिनों श्‍मशान घाट से भी भयानक तस्वीरें सामने आ रही है। जिस तरह कोरोना काल में गंगा में लाशें तैरने की तस्वीरों ने प्रशासन की पोल खोल दी थी, ठीक उसी तरह यहां के मुक्तिधाम में इस समय गंगा किनारे देर रात तक शवों के जलने की खबरें सामने आ रही हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो एक दिन में करीब 10 से 15 लोगों का यहां अंतिम संस्कार हो रहा है।

जनपद के महाबीर घाट में अंतिम क्रिया को अंजाम देने वाले एक शख्स भीमा का कहना है कि यहां पिछले कुछ दिनों में बहुत ज्यादा लोगों का दाह संस्कार किया गया है। एक दिन में कई बार 20 के आस-पास भी लोग आ जाते हैं। जो आम दिनों में देखने को नहीं मिलता, क्योंकि यहां कुछ ही दूरी पर कई और घाट भी हैं इसलिए इतने लोगों को एक साथ यहां जलते देखना डरावना भी है।

भीमा के मुताबिक लोग गर्मी से मर रहे हैं या नहीं, ये उन्हें नहीं पता लेकिन उन्हें इतना पता है कि लोग ज्यादा मर रहे हैं। और जो लोग यहां अंतिम संस्कार के लिए आते हैं, वो भी सुबह और शाम के समय ही ज्यादा आते हैं, क्योंकि उन्हें खुद भी गर्मी और लू का डर सताता है। गर्मी यहां आग की तरह लग रही है, प्रशासन की ओर से घाटों पर कोई खास सुविधा भी नहीं है।

मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए भी लोगों की लंबी लाइन

श्‍मशान घाट के अलावा बलिया में इन दिनों मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए भी लोगों की लंबी लाइन देखने को मिल रही है। परिजन जिला अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो पा रही है। आला अधिकारियों की मानें तो व्यवस्था बिल्कुल ठीक है, लेकिन आम लोगों का कहना है कि प्रमाण पत्र बनाने वाले बाबू आते ही नहीं हैं और अगर आते भी हैं तो कुछ लोगों का काम कर दोपहर में गायब हो जाते हैं।


पहाड़ीपुर के एक निवासी बताते हैं कि उनकी पत्नी को गुजरे कई दिन हो गए लेकिन वो अभी तक अस्पताल के ही चक्कर काट रहे हैं। क्योंकि उनकी पत्नी ने अस्पताल में ही दम तोड़ा था, इसलिए प्रशासन अभी मौत के कारण को लेकर ताल-मटोल कर रहा है। कभी आज, तो कभी कल बुलाते बुलाते हफ्ता बीत गया है, लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिल पाया है।

सरकार से अभी भी मदद और सहानुभूति की उम्मीद

ज़िले के ज्यादातर लोग इस वक्त अपने परिजनों को खोने के गम में हैं, उनके अंदर आक्रोश तो है लेकिन कहीं न कहीं उन्हें सरकार से अभी भी मदद और सहानुभूति की उम्मीद है, जिसके चलते वो कुछ भी मीडिया में बोलने से बचना चाहते हैं। हालांकि प्रशासन भले ही दावा कर ले कि ये लगातार हो रही मौतों के पीछे हीटवेव नहीं है, लेकिन मौजूदा समय में ज़िले के हालात और अस्पताल आ रहे रोगियों की संख्या कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।


गौरतलब है कि बलिया एकाएक तब सुर्खियों में आया जब बीते दिनों ज़िले में पांच दिन के भीतर 68 लोगों की मौत का मामला सामने आया। आनन-फानन में प्रशासन ने लखनऊ से विशेषज्ञों की जांच टीम तो भेज दी, लेकिन बलिया ज़िला अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट (सीएमएस) के बयान पर भी विवाद ख़ूब बढ़ा और बाद में उनके पद से मुक्त किए जाने की ख़बर भी मीडिया में आई। जब जिलाधिकारी ने जिला अस्पताल का औचक निरीक्षण किया तो पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल गई। बलिया से विधायक और राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह ने भी मीडिया में दिए अपने बयान में इस बात को स्वीकार किया कि गर्मी के चलते लोगों की दिक्कतें बढ़ रही हैं।

विपक्ष ने लगाया नाकामी का आरोप

ध्यान रहे कि स्थानीय मीडिया की कई रिपोर्ट्स पहले भी जिला अस्पताल की बदहाली को लेकर खबरों में रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के कई दौरों में इसे ऊपर-ऊपर से सज़ा कर, मरीज़ों को उच्चतम सुविधा देने का दावा किया जाता रहा है। उधर विपक्ष लगातार योगी सरकार को जिले में सुविधाओं की नाकामी पर घेर रहा है और मृतकों के लिए 25-25 लाख मुआवज़े की मांग कर रहा है।

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से लेकर जिले के पूर्व मंत्री नारद राय ने बीजेपी की योगी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा है कि जिले में हज़ारों लोग मर रहे हैं, लेकिन न अस्पताल में डॉक्टर की सुविधा है और न मरीज़ों के लिए बेड। दोनों ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की सरकार में बने ट्रामा सेंटर, महिला अस्पताल में 100 बेड, आधुनिक मशीनें और एंबुलेंस की सुविधा को मौजूदा सरकार ने चौपट कर दिया है। 18 से 22 घंटे की बिजली आपूर्ति भी सिर्फ कागज़ों में ही सीमित रह गई है। जिसके चलते अब गर्मी में लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

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