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यूपी: सरकार के 'चार साल में चार लाख नौकरी' का दावा 'झूठा' क्यों लगता है!

यूपी में बेरोजगारी का ये आलम है कि फोर्थ क्लास नौकरी के लिए पीएचडी व एमबीए स्टूडेंट्स अक्सर अप्लाई करते दिखते हैं। 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों में भी बेरोजगारी में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर बताया गया था। ऐसे में योगी सरकार का चार साल में चार लाख नौकरी देने का दावा न विपक्ष को हज़म हो रहा है और न ही प्रदेश के युवाओं के गले से नीचे उतर रहा है।
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बीजेपी ने एक ऐसा ट्वीट किया जो योगी सरकार के प्रदर्शन को मद्देनज़र रखते हुए काफी चौंकाने वाला लगता है। बीजेपी उत्तर प्रदेश ने दावा किया कि उसकी योगी शासित सरकार ने बीते चार साल में अलग-अलग विभागों में कुल 4 लाख 3 हजार 793 मौकरियां दी हैं, जिसका ब्योरा प्रियंका गांधी योगी सरकार से मांग रही थीं।

ऐसे में योगी सरकार का चार साल में चार लाख नौकरी देने का दावा न विपक्ष को हज़म हो रहा है और न ही प्रदेश के युवाओं के गले से नीचे उतर रहा है, जो बीते कई सालों से नौकरी को लेकर सड़क से सोशल मीडिया तक प्रदर्शन करते रहे हैं और कई बार पुलिस की लाठियों का शिकार भी बने हैं।

यूपी कांग्रेस ने इस दावे को झूठ बताते हुए प्रतिक्रिया में ट्वीट कर कहा, "यूपी में रोज़गार की हकीकत आई सामने। पांच लाख से ज्यादा सरकारी पद खाली पड़े हैं। योगी सरकार ने झूठे आंकड़ों को रखा है। जो भर्ती कोटे में हैं, जो रद्द हो गई, जिसकी नियुक्ति नहीं मिली, उसे भी नौकरी बता दिया। धन्य हो बाबा जी। ऐसा करो कि 4.5 लाख का वीडियो डाल दो जैसे लेखपाल का डाले थे।"

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, युवाओं को ‘अच्छे दिन’ और ‘नए रोज़गार के अवसर’ का सपना दिखाने वाली सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार अब प्रदेश की सबसे बड़ी समस्या को अपनी उपलब्धी के तौर पर पेश कर रही है। पूरे राज्य और इसके बाहर दिल्ली तक में लाखों युवाओं को नौकरी देने के बड़े-बड़े विज्ञापन, पोस्टर लगवाए जा रहे हैं। खुद सीएम योगी कई कार्यक्रम में कह चुके हैं कि उनकी साढ़े 4 साल की सरकार में साढ़े 4 लाख युवाओं को सरकारी नौकरियां दी गईं। वो पहले की सरकारों में नौकरियों को लेकर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का आरोप भी लगा चुके हैं।

ऐसे में 18 अगस्त को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सरकार के इन दावों पर सवाल उठाते हुए एक ट्वीट किया। अपने ट्वीट के साथ प्रियंका ने एक आरटीआई का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया। इस आरटीआई में यूपी सरकार जिन 4 लाख नौकरियों का दावा कर रही है, उसकी डिटेल्स मांगी गई थी, जिसके जवाब में सरकार ने कहा था कि- मांगी गई सूचना उपलब्ध नहीं है।

प्रियंका ने लिखा, “अगर यूपी सरकार ने ‘4 लाख’ नौकरियां दी हैं तो नौकरियों का ब्यौरा भी होगा। लेकिन सरकार से जवाब आया कि ऐसी कोई सूचना उपलब्ध नहीं है। विधानसभा सत्र चल रहा है, प्रदेश के युवा जानना चाहते हैं कि ‘4 लाख’ नौकरियां किन-किन विभागों में कब दी गईं? बता दीजिए।”

आरटीआई में तो नहीं लेकिन प्रियंका गांधी के इस ट्वीट पर चंद घंटों में ही बीजेपी यूपी के ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट जवाब के तौर पर सामने आ गया। इसमें प्रियंका के ट्वीट पर तंज कसते हुए लिखा गया, “श्रीमती वाड्रा जी… 4,03,793 ये कोई हड़पी हुई जमीन का क्षेत्रफल नहीं है। यूपी में भाजपा सरकार द्वारा दी गई नौकरियों की संख्या है।”

इसके साथ ही बीजेपी ने एक लिस्ट भी शेयर की। जिसमें अलग-अलग विभागों में दी गई नौकरियों की संख्या लिखी थी। इसके मुताबिक सबसे ज़्यादा 1 लाख 43 हज़ार 445 सरकारी नौकरियां पुलिस विभाग में दी गईं। फिर बेसिक शिक्षा में 1 लाख 25 हज़ार 987 नौकरियां दी गईं और UP लोक सेवा आयोग में 32 हज़ार 685 नौकरियां दी गईं हैं।

जो भर्ती कोटे में हैं, जो रद्द हो गई, जिसकी नियुक्ति नहीं मिली, उसे भी नौकरी बता दिया गया!

इस ट्वीट के जवाब में फिर पलटवार करते हुए कांग्रेस ने ट्वीट किया और इन आंकड़ों को गलत बताया। हालांकि कांग्रेस से इतर समाजवादी पार्टी और प्रदेस के युवा भी इसे फेक ही बता रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऐसे तमाम पोस्ट देखे जा सकते हैं, जो सरकार के इस दावे की पोल खोल रहे हैं। नौकरियों की लिस्ट वाले बीजेपी यूपी के ही ट्वीट के कॉमेंट बॉक्स में तमाम यूज़र्स ने नौकरियों के दावे पर सवाल उठाए हैं।

एक राकेश पांडे नाम के यूज़र ने मुख्यमंत्री योगी यादित्यनाथ को टैग कर लिखा है, "माननीय मुख्यमंत्री जी प्रदेश मे प्राथमिक शिक्षकों के दो लाख से ऊपर पद खाली हैं एवं आप की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 51112 का हलफनामा भी लगाया था कि इतने पदों पर भर्ती दी जाएगी वह सब कहां है, बेरोजगार छात्र इंतजार में है जुमला देना बंद करिए रोजगार दीजिए।"

एक अन्य यूजर प्रवीन खान लिखती हैं, “ हमारी 4000 उर्दू शिक्षक भर्ती साढ़े 4 साल से समीक्षा के नाम पर रुकी हुई है। समीक्षा के लिए ऐसे सुस्त समीक्षक रखे गए थे जो अभी तक पूरी नहीं कर पाए। अगर लाखों को रोजगार मिला तो हाई कोर्ट के तीन आदेश के बाद भी हमारी भर्तियों पर क्यों रोक लगी रही? #4000_उर्दू_भर्ती_पूरी_करो_योगीजी।"

 मंच से सड़क तक नियुक्ति के वादे किए, लेकिन नियुक्ति आज तक नहीं दी

गौरव वर्मा नाम के यूजर ने बीजेपी समेत कई अन्य दलों के नेताओं को भी टैग करते हुए लिखा है, “भाजपा के नेताओ ने 2017 के विधानसभा चुनाव में #BEdTET2011 अभ्यार्थियों से मंच से सड़क तक नियुक्ति के वादे किए, इन्होंने नियुक्ति आज तक नहीं दी, झूठे वादे करने वाली सरकार।"

रोज़गार संबंधित मद्दों के लिए संघर्ष करने वाले संगठन युवा हल्ला बोल के अध्यक्ष अनुपम ने अपने ट्विटर पर एक मीडिया चैनल से बातचीत का वीडियो शेयर कर योगी सरकार के चार साल में चार लाख नौकरियों के दावे को कोरा झूठ बताया है।

अनुपम के मुताबिक, "यूपी में बेरोज़गारी की स्थिति भयावह है। सबसे बुरी हालत महिलाओं और शिक्षित युवाओं की है। CMIE के अनुसार 2017 की तुलना में स्नातकों में बेरोजगरी दुगुनी हो गयी। लेकिन प्रदेश के 28.5 लाख बेरोज़गारोंं की पीड़ा समझने के बजाए योगी सरकार झूठा प्रचार कर रही है।"

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यूपी में बेरोजगारी आलम

बता दें कि यूपी में बेरोजगारी का ये आलम है कि फोर्थ क्लास नौकरी के लिए पीएचडी व एमबीए स्टूडेंट्स अक्सर अप्लाई करते दिखते हैं। 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों में भी बेरोजगारी में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर बताया गया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर 2018 में खत्म तिमाही में यूपी में सबसे ज्यादा करीब 15.8 फीसदी की दर से बोरोजगारी दर्ज की गई। ये आंकड़े मई 2019 के आखिर में जारी किए गए थे।

गौरतलब है कि बीते साल 17 सितंबर को जब देश भर में बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 70वां जन्मदिन सेवा दिवस के रुप में मना रही थी तभी देश के अलग-अलग हिस्सों से बेरोज़गार युवा सड़क और सोशल मीडिया पर इस दिन को राष्ट्रीय बेरोज़गार दिवस का नाम देकर अपना विरोध दर्ज करवा रहे थे। युवाओं के इस प्रदर्शन को प्रमुख विपक्षी दलों का समर्थन भी हासिल था, तो वहीं ट्विटर पर सेवा दिवस से कहीं ऊपर #NationalUnemploymentDay और #राष्ट्रीय_बेरोजगार_दिवस टॉप पर ट्रेंड कर रहा था।

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रोजगार की मांग को लेकर शरू हुए इस अभियान का केंद्र उत्तर प्रदेश ही था। कोरोना महामारी के बीच भारी संख्या में युवाओं ने बेरोज़गारी को लेकर अपनी आवाज़ बुलंद की थी। प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, बुलंदशहर समेत कई शहरों में प्रदर्शन कर रहे युवाओं को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग भी किया था। हालांकि ये पहला मौका नहीं था जब प्रदेश के युवा सरकार से रोज़गार की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे थे इससे पहले और इसके बाद भी ये सिलसिला बदस्तूर जारी रहा है।

योगी सरकार के रोज़गार रिपोर्ट में आंकड़ों का गोल-मोल

इन प्रदर्शनों का असर ये हुआ कि योगी सरकार को अपना रिपोर्ट कार्ड जारी करना पड़ा। इस रिपोर्ट कार्ड में यूपी सरकार ने बताया कि मार्च-2017 से लेकर तब तक के योगी आदित्यनाथ के कार्यकाल में कुल 3 लाख 75 हज़ार युवाओं को सरकारी नौकरी मिली। योगी सरकार ने विभागवार भर्तियों का ब्यौरा देकर बताया कि किस विभाग में कितने लोगों को नौकरी मिली। लेकिन जैसे ही ये रिपोर्ट कार्ड जारी हुआ, इसकी सत्यता पर सवाल उठने लगे।

सवाल इसलिए उठे क्योंकि सरकार ने ये तो बताया कि हमने कितने सीटों पर भर्ती की, लेकिन ये भर्ती कौन से साल में हुई और किस पद के लिए हुई ये नहीं बताया। छात्रों ने पूछा कि इतनी नौकरी दे दी तो ये भी बता दीजिए कि कौनसी वैकेंसी से कितने लोगों भर्ती हुए। अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि जो भर्तियां पूरी नहीं हुई हैं उनको भी सरकार ने गिन लिया। इस तरह यूपी सरकार ने पूरे आंकड़ों को गोल मोल कर दिया, अलग अलग जानकारी नहीं दी।

दुर्गेश चौधरी का झूठ और घोटालों की सच्चाई

इसी बीच लेखपाल दुर्गेश चौधरी का भी वीडियो सामने आया। ये वीडियो सीएम योगी आदित्यनाथ के ऑफिस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया था। इसमें दावा था कि यूपी के महाराजगंज के दुर्गेश चौधरी नाम के एक शख्स को लेखपाल की नौकरी मिली है। नौकरी के लिए सरकार का धन्यवाद ज्ञापन भी किया गया। ट्वीट में एक वीडियो भी लगा था जिसमें खुद दुर्गेश चौधरी बताते दिखे कि किस तरह उन्हें सरकारी नौकरी मिली।

लेकिन इस सरकारी ‘झूठ’ की पोल जल्दी ही खुल गई और लोग वीडियो और ट्वीट पर सवाल उठाने लगे। सवाल ये कि साल 2015 के बाद से जब लेखपाल पद के लिए वैकेंसी ही नहीं निकली तब दुर्गेश चौधरी को नौकरी कैसे मिली। आखिर दुर्गेश चौधरी का सलेक्शन कब और कैसे हुआ। विवाद बढ़ा तो ट्वीट डिलीट कर दिया गया। लेकिन तब तक तीर कमान से निकल चुका था और सच्चाई सामने आ चुकी थी कि दुर्गेश चौधरी की भर्ती समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में हुई थी।

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मालूम हो कि यूपी में 69000 शिक्षक भर्ती घोटाला हो या 2018 में UPSSSCद्वारा आयोजित ग्राम विकास अधिकारी की भर्ती का मामला या फिर बांदा कृषि विश्वविद्यालय की भर्ती हर जगह भ्रष्टाचार ही सुर्खियों में रहा है। इन मामलों की जांच पर जांच और फिर नतीजा कब सामने आएगा कुछ नहीं कहा जा सकता। हालांकि यूपी 2022 का विधानसभा चुनाव जरूर सिर पर है ऐसे में ये देखना दिलचस्प होगा कि कभी समाजवादी पार्टी को भ्रष्टाचार के नाम पर सत्ता के बाहर का रास्ता दिखाने वाली बीजेपी अपने कार्यकाल में हुए तमाम घोटालों पर क्या सफाई देती है।

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